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विलियम जेम्स जीवनी - Biography of William James in Hindi Jivani

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विलियम जेम्स (William James ; 11 जनवरी, 1842 – 26 अगस्त, 1910) अमेरिकी दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक थे जिन्होने चिकित्सक के रूप में भी प्रशिक्षण पाया था। इन्होंने मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से पृथक किया था, इसलिए इन्हें मनोविज्ञान का जनक भी मन जाता है। विलियम जेम्स ने मनोविज्ञान के अध्ययन हेतु एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "प्रिंसिपल ऑफ़ साइकोलॉजी है"


लेखन कार्य


वर्ष 1890 ई. में विलियम जेम्स की पुस्तक 'प्रिंसिपिल्स ऑफ़ साइकॉलाजी' प्रकाशित हुई, जिसने मनोविज्ञान के क्षेत्र में क्रांति मचा दी, और जेम्स को उसी एक पुस्तक से जागतिक ख्याति मिल गई। अपनी अन्य रचनाओं में उसने दर्शन तथा धर्म की समस्याओं को सुलझाने में अपनी मनोवैज्ञानिक मान्यताओं का उपयोग किया और उनका समाधान उसने अपने 'फलानुमेयप्रामाणवाद' और 'आधारभूत अनुभववाद' में पाया। जेम्स ने 'ज्ञान' को बृहत्तर व्यावहारिक स्थिति का जिससे व्यक्ति स्वयं को संसार में प्रतिष्ठित करता है, भाग मानते हुए 'ज्ञाता' और 'ज्ञेय' को जीवी और परिवेशके रूप में स्थापित किया है। इस प्रकार सत्य कोई पूर्ववृत्त वास्तविकता नहीं है, अपितु वह प्रत्यय की व्यावहारिक सफलता के अंशों पर आधारित है। सभी बौद्धिक क्रियाओं का महत्व उनकी व्यावहारिक उद्देश्यों की पूर्ति की क्षमता में निहित है।


मनोवैज्ञानिक सिद्धांत


विलियम जेम्स ने आधारभूत अनुभववाद को पहले मनोवैज्ञानिक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। लॉक और बर्कले के मतों से भिन्न उसकी मान्यता थी कि चेतना की परिवर्तनशील स्थितियाँ परस्पर संबंधित रहती हैं; तदनुसार समग्र अनुभव की स्थितियों में संबंध स्थापित हो जाता है; मस्तिष्क आदि कोई बाह्य शक्ति उसमें सहायक नहीं होती। मस्तिष्क प्रत्यक्ष अनुभव की समग्रता में भेद करता है। फलानुमेय प्रामाण्यवाद और आधारभूत अनुभववाद पर ही विलियम जेम्स की धार्मिक मान्यताएँ आघृत हैं। फलानुमेय प्रामाण्यवाद सत्य की अपेक्षा धार्मिक विश्वासों की व्याख्या में अधिक सहायक था, क्योंकि विश्वास प्राय: व्यावहारिक होते हैं। यहाँ तक कि तर्कों के प्रमाण के अभाव में भी मान्य होते हैं। किंतु परिणामवादी दृष्टिकोण से सत्य की परिभाषा स्थिर करना संदिग्ध है। 'द विल टु बिलीव' में विलियम जेम्स ने अंत:करण के या संवेगजन्य प्रमाणों पर बल दिया है और सिद्ध किया है कि उद्देश्य और संकल्प ही व्यक्ति के दृष्टिकोण का निर्माण करते हैं।


व्यवसाय


जेम्स ने अपने गॉडफादर राल्फ वाल्डो इमर्सन, उनके देव विल्यम जेम्स सिडिस, साथ ही चार्ल्स सैंडर्स पीरिस, बर्ट्रेंड रसेल, जोशीयाह रॉयस, अर्नस्ट मैक, जॉन डेवी, मैसेदोनियो फर्नादेज समेत पूरे जीवन के कई लेखकों और विद्वानों के साथ बातचीत की। , वाल्टर लिपमान, मार्क ट्वेन, हॉरॉटियो अल्जेर, जूनियर, जी। स्टेनली हॉल, हेनरी बर्गसन और सिगमंड फ्रायड।


जेम्स हार्वर्ड में अपने सभी अकादमिक कैरियर में खर्च किए। उन्हें 1873 के वसंत के लिए शरीर विज्ञान में प्रशिक्षक नियुक्त किया गया था, 1873 में शरीर रचना विज्ञान और शरीर विज्ञान में प्रशिक्षक, 1876 में मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर, 1881 में दर्शन के सहायक प्रोफेसर, 1885 में पूर्ण प्रोफेसर, 188 9 में मनोविज्ञान में अध्यक्ष की अध्यक्षता में, दर्शन में लौट आए 18 9 7, और 1 9 07 में दर्शन के एमेरिटस प्रोफेसर


जेम्स ने दवा, शरीर विज्ञान और जीव विज्ञान का अध्ययन किया, और उन विषयों में पढ़ना शुरू किया, लेकिन मानव मन के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए एक समय था जब मनोविज्ञान एक विज्ञान के रूप में स्वयं बना रहा था। जेम्स के जर्मनी में हर्मन हेल्मोल्ट्ज़ और फ्रांस में पियरे जेनेट जैसी आंकड़ों के काम से परिचित हुए ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक मनोविज्ञान में पाठ्यक्रमों की शुरुआत की। उन्होंने 1875- 1876 शैक्षणिक वर्ष में हार्वर्ड में अपना पहला प्रायोगिक मनोविज्ञान पाठ्यक्रम पढ़ाया।


अनमोल विचार


1. इस तरीके से काम करिए कि आपके काम के जरिए कोई न कोई बदलाव जरूर आएगा और आप देखेंगे कि बदलाव आकर ही रहेगा।


2. उसी व्यक्ति को समझदार कहा जा सकता है, जो जानता हो कि किन बातों को बिलकुल नज़रअंदाज़ करना है।


3. अगर आपको नतीजों की चिंता है तो आप उनको हासिल करने के लिए जुट जाएंगे और उन नतीजों को हासिल भी करेंगे।


4. ज्यादा काम देखकर थकान नही होती है। लेकिन जिन कार्यो को हम बीच में छोड़ देते है उनके बारे में सोचकर थकान होने लगती है।


5. मनुष्यो की विफलता का एक ही सबसे बड़ा कारण है, ये कि वे खुद पर भरोसा ही नही करता है।


6. अपनी जीवनशैली बदलना चाहते है तो उसकी शुरुआत आज से ही करे। उसे आगे से आगे टालने की जरूरत नहीं है।


7. जब भी मनुष्य अपनी सोच को या अपने एटीट्यूड को बदलता है तो वे अपने पूरे जीवन को ही बदल देता है।


8. हम इसीलिए कभी नहीं हंसते है क्योंकि हम खुश है। बल्कि हम खुश है क्योंकि हम हंसते रहते है।


9. अगर आप किसी चीज की उम्मीद नहीं करेंगे तो भी जीवन में बदलाव लाना आसान है।


10: अगर हम एक ही बात को बार-बार दोहराते जाएंगे तो लोगो का उस पर विश्वास खत्म हो जाएगा।


11: दुनिया में आप कहीं भी रहे,लेकिन आपके दोस्तों से ही आपकी दुनिया खूबसूरत बनती है।


 12: किसी चीज पर विश्वास करना शुरू करेंगे तो ही वे फैक्ट का रूप लेगा।