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शिव नाडार जीवनी - Biography of Shiv Nadar in Hindi Jivani

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शिव नाडार भारत के प्रमुख उद्यमी एवं समाजसेवी हैं। वे एचसीएल टेक्नॉलोजीज के अध्यक्ष एवं प्रमुख रणनीति अधिकारी हैं। सन् २०१० में उनकी व्यक्तिगत सम्पत्ति ४.2 बिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य है। उनको सन २००८ में भारत सरकार द्वारा उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया था। पाँच देशों में, 100 से ज्यादा कार्यालय, 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी और दुनिया भर के कंप्यूटर व्यवसायियों, उपभोक्ताओं का विश्वास - शिव नाडार अगर सबकी अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं, तो इसके केंद्र में उनकी मेहनत, योजना और सूझबूझ ही है।


नाडर का जन्म 1945 में मुलूइपोझी गांव में, तमिलनाडु जिले के तिरुथुकुड़ी जिले (वर्तमान) में तिरूशेन्डुर से लगभग 10 किलोमीटर (6.2 मील) में हुआ था। उनके माता-पिता शिवसुब्रमण्य नादर और वामसुंदरी देवी थे। उनकी मां, वामसुंदर देवी, दीना थांथी अखबार के संस्थापक एस पी अदितानार की बहन हैं।


नाडर ने टाउन हायर सेकेंडरी स्कूल, कुंबकोणम में पढ़ाई। जून 1 9 55 में उन्हें पहली बार (छहवें मानक) में भर्ती कराया गया और टाउन हाई स्कूल में जून 1 9 57 तक अपनी शिक्षा जारी रखी। नादर ने अमेरिकन कॉलेज, मदुरै में पूर्व विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त की और पीएसजी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री प्रौद्योगिकी के, कोयम्बटूर


अगस्त 1976 में एक गैरेज में उन्होंने एचसीएल इंटरप्राइजेज की स्थापना की, तो 1991 में वे एचसीएल टेक्नोलॉजी के साथ बाजार में एक नए रूप में हाजिर हुए। पिछले तीन दशक में भारत में तकनीकी कंपनियों की बाढ़-सी आ गई है, लेकिन एचसीएल को उत्कर्ष तक ले जाने के पीछे शिव नाडार का नेतृत्व ही प्रमुख है। नाडार की कंपनी में बड़े पद तक पहुंचना भी आसान नहीं होता। शिव ने एक बार कहा था, मैं नेतृत्व के अवसर नहीं देता, बल्कि उन लोगों पर निगाह रखता हूं, जो कमान संभाल सकते हैं।


कुछ साल पहले फो‌र्ब्स की सूची में शामिल धनी भारतीयों में से एक, नाडार 1968 तक तमिलनाडु की डीसीएम कंपनी में काम करते थे। उन्होंने अपने साथ के छह लोगों को प्रेरणा दी, क्यों न एक कंपनी खोली जाए, जो ऑफिस इक्विपमेंट्स बनाए। फलत: 1976 में एचसीएल की नींव पड़ी। 1982 में जब आईबीएम ने एचसीएल को कंप्यूटर मुहैया कराना बंद कर दिया, तब नाडार और उनके साथियों ने पहला कंप्यूटर भी बना लिया। फिलहाल, हालत यह है कि एचसीएल की 80 फीसदी आमदनी कंप्यूटर और ऑफिस इक्विपमेंट्स से ही होती है। फरवरी 1987 में चर्चित पत्रिका 'टाइम' ने लिखा था, पूरी दुनिया नाडार की सोच और भविष्य के लिए तैयार किए गए नेटवर्क को देखकर आश्चर्यचकित और मुग्ध है। दरअसल, नाडार का साम्राज्य अर्थशास्त्र और शासन को नई परिभाषा देने वाला है। वैसे, तकरीबन तीन दशक पहले जब नाडार ने कंपनी स्थापित की थी, तो यह एक दांव की तरह ही था। तमिलनाडु में पहले नौकरी छोड़ना और बाद में दिल्ली में क्लॉथ मिल की जमी-जमाई जॉब को भी ठोकर मार देना..ऐसा साहस नाडार ही कर सकते थे, लेकिन वे न सिर्फ कामयाब हुए, बल्कि उन्होंने साथियों और निवेशकों का भरोसा भी जीता।


एचसीएल के संस्थापक अध्यक्ष


शिव नादर एक प्रसिद्ध भारतीय आईटी उद्योगपति हैं। वे एचसीएल और शिव नादर फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। उन्होंने 1970 के मध्य में एचसीएल की स्थापना की और धीरे-धीरे कंपनी को हार्डवेयर के साथ-साथ आईटी उद्योग का एक बड़ा नाम बना दिया। आईटी उद्योग में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया। आईटी क्षेत्र साथ-साथ शिव देश के शिक्षा क्षेत्र में भी बदलाव के लिए कार्य कर रहे हैं। यह कार्य शिव फाउंडेशन द्वारा संचालित किया जाता है।


पुरस्कार और सम्मान


1995: डाटाक्वेस्ट ने उन्हें ‘आई टी मैन ऑफ़ द ईयर’ चुना।


2005: प्रधानमंत्री ने उन्हें ‘सीएनबीसी बिजनेस एक्सिलेंस’ पुरस्कार से नवाजा।


2006: ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) ने मानद फैलोशिप से सम्मानित किया।


2007: मद्रास विश्वविद्यालय ने सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए उन्हें डॉक्टरेट की मानद डिग्री (डी एस सी) से सम्मानित किया।


2007: अर्न्स्ट एंड यंग ने उन्हें ‘इंटरप्रेन्योर ऑफ़ द ईयर 2007′ सम्मान से नवाज़ा।


2008: आईटी ट्रेड एंड इंडस्ट्री सहित जनसेवा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 2008 में उन्हें ‘पद्मभूषण’से सम्मानित किया गया।


2009: फोर्ब्स पत्रिका ने एशिया पैसिफिक रीजन के ‘48 हीरोज ऑफ फिलेनथ्रोपी’ में उन्हें शामिल किया।


2010: ‘डाटाक्वेस्ट लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।


वर्तमान में शिव आईआईटी कानपुर के अध्यक्ष हैं।


शिव नादर के बारे में


1. नादर ने अपना करियर पुणे में वॉलचंद ग्रुप कूपर इंजीनियरिंग के साथ शुरू किया. इसके बाद 1967 में उन्होंने सात साथियों के साथ मिलकर माइक्रोकॉप कंपनी बनाई और उसे बाद में टेलीडिजिटल कैलकुलेटर को बेच दिया.


2. 1976 में उन्होंने 1,87000 रुपये के साथ HCL की स्थापना की.


3. एचसीएल एशिया की बड़ी आईटी कंपनियों में से एक है. कंपनी की इस सफलता में कर्मचारियों का खासा योगदान है. और हो भी क्यों न जब कर्मियों को मर्सडीज कार और पेड छुट्टियों जैसा रिवॉर्ड जो दिया जाता है.


4. 1980 के दौरान सिंगापुर में पहली ब्रांच खोलकर HCL को एक इंटरनेशनल कंपनी बनाया और पहले साल 10 लाख रुपये कमाएं.


5. 2008 में उन्हें आईटी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया. यही नहीं मद्रास यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि भी दी.


6. शिव नादर ने चेन्नई में ‘एसएसएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग’ की स्थापना की. यह कॉलेज उनके पिता की याद में शुरू किया गया. शिव नादर चाहते हैं कि भारतीय स्टूडेंट्स विदेशी यूनिवर्सिटीज के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट्स में भी आगे बढ़ कर भाग लें. यही नहीं शिव नादर ने उत्तर प्रदेश में विज्ञान स्कूल भी खोले हैं और इनकी तरफ से 50 जिलों में 200 स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप भी दी जाती है.