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व्यवसायी

माइकल डेल जीवनी - Biography of Michael Dell in Hindi Jivani

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दुनिया के जाने माने कंप्यूटर कंपनी “डेल टेक्नोलोजीस” के फोउडर(founder) माइकल डेल की, जिन्होंने बचपन से ही अपने दिमाग को कुछ यूँ चलाया की सिर्फ 10 साल की उम्र से उन्होंने इन्वेस्टमेंट करना शुरू कर दिया और 12 साल की उम्र तक उन्होंने 2000 डालर की सेविंग कर ली और हद तो तब हो गयी जब 14 साल की उम्र तक उनकी इनकम उनके स्कुल टीचर से भी जयादा हो गयी |


अमेरिका के ह्यूस्टन में माइकल नाम के एक लड़के का जन्म हुआ। स्कूल की पढ़ाई के बाद बॉयलॉजी पढ़ने के लिए उसका टेक्सास विश्वविद्यालय में दाखिल हो गया। माता-पिता चाहते थे कि उनका होनहार बेटा डॉक्टर बने।


माता-पिता ने उसे १५ साल की उम्र में कम्प्यूटर भी लाकर दिया। माइकल की कम्प्यूटर में खासी रुचि थी। और फिर एक ही साल बाद माइकल का बॉयलॉजी से मन उचट गया। माइकल को कम्प्यूटर ज्यादा रोमांचक लगने लगा। माइकल का दिमाग इसमें दौड़ने लगा कि आखिर कम्प्यूटर काम कैसे करता है। माइकल ने अपने कम्प्यूटर के सारे पुर्जे खोलकर देखे कि आखिर यह बना कैसे है। माता-पिता को माइकल का ऐसा करना अजीब भी लगा।


एक कंपनी के कम्प्यूटर को खोल देने के बाद माइकल दूसरी कंपनी का कम्प्यूटर खरीदकर लाया और उसे भी खोलकर देखा और समझा। दौड़-भाग रंग लाई।


माइकल की समझ में आ गया कि कम्प्यूटर कैसे काम करता है। और फिर माइकल ने स्टूडेंट रहते हुए डाक टिकट और अखबार बेचकर जो थोड़े बहुत पैसे कमाए थे, उनसे १९८४ में यूनिवर्सिटी के अपने कमरे में खुद कम्प्यूटर बनाना शुरू किया। उसने कम्प्यूटर बना भी लिया। माइकल का सोचना था कि ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से कम्प्यूटर बनाना चाहिए। माइकल ने कंपनी शुरू कर दी और नाम रखा पीसी"ज लिमिटेड।


माइकल ग्राहकों को सीधे कम्प्यूटर बेचने में विश्वास करता था इसलिए उसके कम्प्यूटर सस्ते थे। फिर वह ग्राहकों की सुविधा का भी ध्यान रखता था। तो उसकी तरकीब और कारोबार दोनों चल निकले। १९८३ में माइकल ने कंपनी का नाम बदला और नया दिया- डेल कम्प्यूटर कॉर्पोरेशन। धीरे-धीरे कारोबार बढ़ता गया, क्योंकि माइकल डेल के काम करने का तरीका लोगों को बहुत पसंद आया। जब माइकल की उम्र २७ साल थी, तभी उसकी कंपनी की दुनियाभर में धूम मच गई।


कंपनी ने पहले ही साल में 6 मिलियन डॉलर की बिक्री की, जो अगले साल बढ़कर 34 मिलियन डॉलर हो गयी। 1987 तक डेल अमेरिका की सबसे अग्रणी मेल – आर्डर कंपनी बन गयी। इसी साल कंपनी ने विदेशी बाजारों में भी प्रवेश किया।


उल्लेखनीय बात यह थी कि डेल कंप्यूटर कारपोरेशन की स्थापना करते वक़्त माइकल डेल के पास सिर्फ 1000 डॉलर की पूंजी थी। इतनी कम पूंजी में कंप्यूटर व्यवसाय शुरू करना कोई हंसी खेल नहीं था। बहरहाल, डेल ने सोचा कि अगर वे आर्डर पे कंप्यूटर बनाएंगे, तो उन्हें इन्वेंटरी यानी स्टॉक की कोई समस्या से नहीं जूझना पडेगा।


आर्डर पर कंप्यूटर बनाने से एक लाभ यह भी हुआ कि इससे बिचौलिए की भूमिका कम हो गयी। परिणामस्वरूप ग्राहक को कंप्यूटर सस्ते में मिला, डेल की लागत कम हुई और उनका लाभ बढ़ता चला गया।


कम लागत और ज्यादा लाभ सफल व्यवसाय की नींव हैं। शुरुआती आठ वर्षों में डेल कंप्यूटर ने 80 प्रतिशत की वार्षिक दर से प्रगति की। 2000 तक इसकी वार्षिक आमदनी 27 अरब डॉलर हो गयी। जब इन्टरनेट का दौर शुरू हुआ, तो डेल ने उसका तत्काल लाभ उठाते हुए ऑनलाइन सेलिंग शुरू कर दी। डेल ने कहा – हमारे लिए इन्टरनेट किसी साकार स्वप्ना जैसा हैं।


इसमें सौदे की लागत शून्य हो जाती हैं। 1996 में डेल ने ई – कॉमर्स शुरू कर दिया। 2000 तक आते – आते हर दिन 5 करोड़ डॉलर की बिक्री होने लगी। आज कंपनी की आधी से ज्यादा बिक्री इन्टरनेट के माध्यम से होती हैं।


अपने नाम को ब्रांड


छोटे-से कारोबार से मिली पहली सफलता ने माइकल डेल का आत्मविश्वास इतना बढ़ा दिया कि सन् 1988 में उन्होंने अपने नाम को ब्रांड बनाने का साहसिक निर्णय ले लिया। पीसी कम्प्यूटर्स लिमिटेड को उन्होंने डेल कम्प्यूटर्स के नाम से रजिस्टर करवाया और पब्लिक इश्यू के जरिए 80 मिलियन डॉलर इकट्ठा किए। आगामी चार साल में डेल कम्प्यूटर्स का कारोबार इतना बढ़ गया कि सन् 1992 में माइकल डेल सबसे कम उम्र (27 वर्ष) में ऐसी कंपनी के संस्थापक सीईओ घोषित कर दिए गए, जो दुनिया की 500 बड़ी कंपनियों में एक थी। सन् 1996 में उन्होंने सर्वर लॉन्च किया, अचल सम्पदा क्षेत्र में प्रवेश किया और होम एन्टरटेन सिस्टम व पर्सनल डिवाइसेस भी बनाने लगे। सन् 1998 में अपने व अपने परिवार के निवेश पर अधिकतम मुनाफा कमाने की मंशा से माइकल डेल ने एमएसडी कैपिटल की स्थापना की और शेयरों व सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग, प्राइवेट ईक्विटी में लेन-देन व रीयल एस्टेट मार्केट में खरीद-फरोख्त करने लगे। माइकल डेल ने न्यूयॉर्क, सांता मोनिका व लंदन में कार्यालय खोलकर उन्हें प्रोफेशनल्स के सुपुर्द किया और खुद वॉच डॉग बनकर दैनिक गतिविधियों से दूर होने लगे। उनके अनुसार, मैंने जो भी कारोबार किया, उसमें ग्राहकों को ऑनलाइन बेहतर सेवा देने की कोशिशों को प्राथमिकता दी है। जो तेज गति से दौड़ते हैं, वे अक्सर दुर्घटना भी कर बैठते हैं। सन् 2010 में निवेशकों को आधी-अधूरी जानकारी देने व अकाउंटिंग में गड़बड़ी के लिए माइकल डेल ने जहां 4 मिलियन डॉलर दंड चुकाया है, वहीं उनके द्वारा स्थापित माइकल सुजैन फाउंडेशन सारी दुनिया खासकर अमेरिका व भारत के बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य पर अरबों डॉलर खर्च कर रहा है।