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व्यवसायी

वारेन बुफेट जीवनी - Biography of Warren Buffett in Hindi Jivani

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वारेन बुफेट का जन्म 30 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओमाहा शहर के नेबरस्का जगह पर हुआ था | वारेन बुफेट के पिता का नाम होवार्ड बुफे था जो शेयर बाजार में कारोबारी थे और माँ का नाम लीला था | वो अपने माता की तीन संतानों में दुसरे स्थान की सन्तान और इकलौते पुत्र थे | वारेन ने Rose Hill Elementary School से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा की शुरुवात की थी | 1942 में उनके पिता को यूनाइटेड स्टेट कांग्रेस के लिए चुना गया था जिसके बाद उनका परिवार वाशिंगटन चला गया था | वारेन इसके बाद ऐलिस डील जूनियर हाई स्कूल में पढ़े और 1947 में वुडरो विल्सन हाई स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की |


Warren Buffett वारेन बुफेट को व्यापार और निवेश का शौक बचपन से ही था | अपने व्यापार के शुरवाती दिनों में जब वो केवल ग्यारह वर्ष के थे तब वो घर घर जाकर पत्रिकाए बांटना , च्युइंगहम और कोका कोला की बोतल बेचना जैसे कई काम किया करते थे ताकि उनके जेब खर्च के पैसे निकल सके | इसके बाद वो अपने दादाजी की किराणा की दुकान पर पैसे कमाने के लिए अख़बार बांटते , गोल्फ बाल और स्टाम्प बेचने आदि कई काम किया करते थे जब वो हाई स्कूल में पढ़ा करते थे | केवल तेरह वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला आयकर रिटर्न भरा था जिसके कारण उन्होंने अपने साइकिल के उपयोग और घड़ी पर 35 डॉलर की कमी कर दी थी | उन्हें हमेशा इस बात का अफ़सोस रहा कि उन्होंने पैसा कमाने की शुरुवात बहुत देर से की |


Warren Buffet का मानना है कि वो आज जो भी है उसका पूरा Credit Benzamin Graham को जाता है , दोस्तो बेंजामिन Graham भी शेयर बाजार के बहुत बड़े खेलाड़ी थे और Warren उन्ही के वहा $1200 डॉलर प्रतिमाह के सैलरी पर काम किया था । और उन्ही से वारेन बफेट(Warren Buffet) ने निवेश के गुण सीखे थे ,जब वारेन ने कंपनी के जॉइन किया था ।


उसका 2 साल बाद बेंजामिन Graham Retire हो गए ,और तभी वारेन ने भी वहा से नौकरी छोड़ दी हर अपना खुद का काम शुरू किया , आजके कुछ सालों में देखते जी देखते के उत्तर चढ़ाव के बाद वारेन बफ़ेट अरबोअति के गिनतियों में शामिल हो गैर और आज दुनिया के तीसरे और अमेरिका के सबसे धनी ब्यक्ति बन गए , वारेन Buffet आज 85 बर्ष के आयु में भी सफल investor और Entrepreneur होने के साथ ही साथ एक Motivational Speaker भी और वो 21 वी सदी के सबसे दान बीर माने गए है ।


सबसे बड़ी बात ये हैं की वारेन बफे ने अपनी कुल संपति का लगभग 85% हिस्सा Bill Gates की Bill & Melinda Gates Foundation को दान मैं देकर इतिहास रच दिया ओर दुनिया का सबसे बड़े दानशुर बन गए ।


निजी जीवन


श्री बफेट नें 1952 में सुसान थोम्प्सन (Susan Thompson) से शादी कि.उनके तीन बच्चे हुए, सुसी, हॉवर्ड (Howard) और पीटर (Peter).1977 से उन्होनें अलग अलग रहना शुरू कर दिया था, हालाँकि जुलाई 2004 में सुसान कि मौत तक वो शादी शुदा ही बने रहे। उनकी सुपुत्री सुसी ओमाहा में रहती हैं और अपने सुसान A. बफेट संस्था के द्वारा धर्मार्थ कार्य करती हैं और गर्ल्स, Inc (Girls, Inc.) कि राष्ट्रीय बोर्ड सदस्या हैं।


2006 में अपने 76 जन्मदिन पर उन्होनें हमेशा से अविवाहित और अपनी लंबे समय कि साथी ऐस्ट्रिड मेंक्स (Astrid Menks), जिनकी उम्र ६० वर्ष थी और वो उनकी पत्नी के 1977 में सेन फ्रांसिस्को चले जाने के बाद से उनके साथ ही रह रही थीं, से शादी कर ली। दिलचस्प बात ये हैं कि उन दोनों कि मुलाकात सुसान बफेट नें ही करवाई थी, ओमाहा में संगीत में अपना भविष्य बनाने के लिए जाने से पहले.वो तीनों काफी करीब थे और दोस्तों को छुट्टी के लिए भेजे गए निमंत्रण पर लिखा होता था "वारेन, सुसी और ऐस्ट्रिड" (रोजर लोवेंसटीन (Roger Lowenstein) कि किताब बफेट: द मेकिंग ऑफ़ एन अमेरिकन कैपिटलिस्ट के अनुसार).सुसान बफेट नें अपनी मौत से पहले संक्षेप में इस रिश्ते के बारे में चार्ली रोज शो (Charlie Rose Show) के एक साक्षात्कार में की थी, ये बफेट की निजी जिंदगी की एक दुर्लभ झलक थी।


वो ब्रिज (bridge)(ताश का एक खेल) के एक काफी उत्सुक खिलाड़ी हैं और उनका कहना है हफ्ते में 12 घंटे इस खेल को खेलते हुए बिताते हैं। वो अक्सर बिल गेट्स और पॉल एलन (Paul Allen) के साथ खेलते हैं।


टिप्स –


  “कमाई : कभी भी अकेली आय पर निर्भर न रहे. आय का दूसरा साधन बनाने के लिये निवेश करे.”


  “सफलता : जब मौके आते है तभी आप कोई काम करते हो. मेरे जीवन में एक ऐसा पल भी आया था जब मेरे पास उपायों का गठरा पड़ा था. लेकिन यदि मुझे अगले हफ्ते कोई उपाय आता है तो ही मै कुछ कर पाउँगा अन्यथा मै कुछ नही कर पाउँगा.”


 “खर्च : यदि आपको जिसकी जरुरत नही है वो चीज़े आप खरीद रहे हो तो एक दिन आपको जिन चीजो की जरुरत है उस चीजो को बेचना पड़ेगा.”


“सेविंग : खर्च करने के बाद जो बचे उसे सेव न करे लेकिन सेव करने के बाद जो बचा उसे खर्च अवश्य करे.”


“जोखिम : कभी भी नदी की गहराई को दो पैरो से नही नापना चाहिये.”


 “निवेश : कभी भी अपने सारे अन्डो को एक ही बास्केट में न डाले.”


“उम्मीद : इमानदारी सबसे महंगा तोहफा है. छोटे लोगो से इसकी उम्मीद ना करे.”


 “इंसानियत : यदि आप इंसानियत के 1% लकी लोगो में भी शामिल हो, तो आप 99% लोगो को इंसानियत सिखा सकते हो.”