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खुशवंत सिंह का जन्म पंजाब के हदली में हुआ था, जो अब सर सोभा सिंह के लिए पाकिस्तान का एक हिस्सा है। उनके पिता अपने समय के सबसे प्रमुख बिल्डरों में से एक थे और लुटियन के दिल्ली में काम करने के लिए इस्तेमाल करते थे।
सिंह ने नई दिल्ली में मॉडर्न स्कूल में अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने लाहौर में सरकारी कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की और बाद में नई दिल्ली में सेंट स्टीफंस कॉलेज और लंदन के किंग्स कॉलेज में पढ़ाई की।
कैरियर
एक पत्रकार के रूप में भी खुशवन्त सिंह ने बहुत ख्याति अर्जित की। 1951 में वे आकाशवाणी से जुड़े थे और 1951 से 1953 तक भारत सरकार के पत्र 'योजना' का संपादन किया। 1980 तक मुंबई से प्रकाशित प्रसिद्ध अंग्रेज़ी साप्ताहिक 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया' और 'न्यू डेल्ही' के संपादक रहे।1983 तक दिल्ली के प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के संपादक भी वही थे। तभी से वे प्रति सप्ताह एक लोकप्रिय 'कॉलम' लिखते हैं, जो अनेक भाषाओं के दैनिक पत्रों में प्रकाशित होता है। खुशवन्त सिंह उपन्यासकार, इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक के रूप में विख्यात रहे हैं।साल 1947 से कुछ सालों तक खुशवन्त सिंह ने भारत के विदेश मंत्रालय में महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे।वर्तमान संदर्भों और प्राकृतिक वातावरण पर भी उनकी कई रचनाएं हैं। दो खंडों में प्रकाशित 'सिक्खों का इतिहास' उनकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है। साहित्य के क्षेत्र में पिछले सत्तर वर्ष में खुशवन्त सिंह का विविध आयामी योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
खुशवन्त सिंह ने कई अमूल्य रचनाएं अपने पाठकों को प्रदान की हैं। उनके अनेक उपन्यासों में प्रसिद्ध हैं - 'डेल्ही', 'ट्रेन टू पाकिस्तान', 'दि कंपनी ऑफ़ वूमन'। इसके अलावा उन्होंने लगभग 100 महत्वपूर्ण किताबें लिखी। अपने जीवन में सेक्स, मजहब और ऐसे ही विषयों पर की गई टिप्पणियों के कारण वे हमेशा आलोचना के केंद्र में बने रहे। उन्होंने इलेस्ट्रेटेड विकली जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
निधन
जाने माने पत्रकार और लेखक खुशवंत सिंह का 20 मार्च, 2014 गुरुवार को निधन हो गया। वह 99 वर्ष के थे और उनका जन्म पंजाब (अब पाकिस्तान) में वर्ष 1915 में हुआ था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके पुत्र और पत्रकार राहुल सिंह के अनुसार उन्होंने सुजान सिंह पार्क स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उन्हें सांस लेने में कुछ परेशानी थी। खुशवंत सिंह भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे। एक पत्रकार, स्तंभकार और एक बेबाक लेखक के रुप में उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुस्कारों से सम्मानित भी किया गया। उन्हें पद्मश्री, पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है। खुशवंत सिंह 'योजना', नेशनल हेराल्ड, हिन्दुस्तान टाइम्स और 'दि इलेस्ट्रेटेड विकली ऑफ़ इंडिया' के संपादक रहे थे। इनके अनेक उपन्यासों में सबसे अधिक प्रसिद्ध 'डेल्ही', 'ट्रेन टू पाकिस्तान', 'दि कंपनी ऑफ़ वूमन' हैं। वर्तमान संदर्भों और प्राकृतिक वातावरण पर भी उनकी कई रचनाएं हैं। दो खंडों में प्रकाशित 'सिक्खों का इतिहास' उनकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है। लगभग 70 वर्ष साहित्य के क्षेत्र में खुशवंत सिंह का विविध आयामी योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। साल 1947 से कुछ सालों तक खुशवंत सिंह जी ने भारत के विदेश मंत्रालय में विदेश सेवा के महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। साल 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे।
प्रमुख कार्य
यद्यपि सिंह कई चीजों का हिस्सा थे, भारतीय कानूनी प्रणाली से भारतीय पत्रकारिता को उपन्यास लिखने के लिए संपादकीय के लिए भारतीय पत्रकारिता से लेकर, यह उनके उपन्यास थे, जिन्होंने उन्हें दुनिया भर में प्रसिद्ध किया।
उनकी पुस्तक 'ए हिस्ट्री ऑफ द सिख' को सिख इतिहास पर सबसे अधिक आधिकारिक काम माना जाता है।
पुरस्कार और उपलब्धियां
खुशवंत सिंह को अपने जीवनकाल में बहुत प्रशंसा मिली। इसमें शामिल हैं: 1 9 74 में पद्म भूषण (1 9 84 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के खिलाफ विरोध में), पंजाब रतन अवार्ड (2006), पद्म विभूषण (2007), साहित्य अकादमी फेलोशिप पुरस्कार, (2010), टाटा लिटरेचर लाइव! पुरस्कार (2013), किंग्स कॉलेज, लंदन (2014) की फैलोशिप।
खुशवंत सिंह के लिखे सूत्र
1.अच्छा स्वास्थ्य – अगर आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप कभी खुश नहीं रह सकते। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ये आपकी खुशियां छीन लेती हैं।
2. ठीक ठाक बैंक बैलेंस – अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए बहुत अमीर होना ज़रूरी नहीं। पर इतना पैसा बैंक में हो कि आप आप जब चाहे बाहर खाना खा पाएं, सिनेमा देख पाएं, समंदर और पहाड़ घूमने जा पाएं, तो आप खुश रह सकते हैं। उधारी में जीना आदमी को खुद की निगाहों में गिरा देता है।
3. अपना मकान – मकान चाहे छोटा हो या बड़ा, वो आपका अपना होना चाहिए। अगर उसमें छोटा सा बगीचा हो तो आपकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल हो सकती है।
4. समझदार जीवन साथी – जिनकी ज़िंदगी में समझदार जीवन साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को ठीक से समझते हैं, उनकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल होती है, वर्ना ज़िंदगी में सबकुछ धरा का धरा रह जाता है, सारी खुशियां काफूर हो जाती हैं। हर वक्त कुढ़ते रहने से बेहतर है अपना अलग रास्ता चुन लेना।
5. दूसरों की उपलब्धियों से न जलना- कोई आपसे आगे निकल जाए, किसी के पास आपसे ज़्यादा पैसा हो जाए, तो उससे जले नहीं। दूसरों से खुद की तुलना करने से आपकी खुशियां खत्म होने लगती हैं।
6. गप से बचना- लोगों को गपशप के ज़रिए अपने पर हावी मत होने दीजिए। जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप बहुत थक चुके होंगे और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर भर चुका होगा।