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अन्यवैज्ञानिकSCIENTIST

दिलीप देवीदास भावलकर की जीवनी - Biography of Dilip Devidas Bhavalkar in hindi jivani

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नाम : दिलीप देवीदास भावलकर

जन्म तिथी : 16 अक्टूबर 1940

ठिकाण : सागर, माध्यप्रदेश, भारत

व्यावसाय : लेजर भौतिक विज्ञानी


प्रारंभिक जीवनी : 


        डी. डी. भावलकर का जन्म 16 अक्टूबर 1940 को मध्याप्रदेश मे हुआ था | 1959 मे उन्होंने स्त्रातक बीएससी और 1961 मे सागर विश्वाविघ्यालय मे स्त्रातकोत्तर एमएससी कि पढाई पूरी कि थी | उन्हेांने साऊथेप्टम विश्वाविघ्यालय मे अपनी पढाई जारी रखी थी | और इलेक्ट्रॉनिक्सा मे मास्टार डिग्री एमएससी और लेजरों मे डॉक्टरेट कि उपाधि पीएचडी हासिल कि थी | 1966 मे उसी विश्वाविघ्यालय मे संकाय के सदस्या के रुप मे अपना करियर शुरु किया था |


कार्य :


        दिलीप देवीदास भावलकर एक भारतीय ऑप्टिकल भौतिक विज्ञानी है | परमाणू ऊर्जा विभाग के तहत राजा समन्ना सेंटर फॉर एडंवास्ड टेक्नोलॉजी कैट के सस्थापक निदेशक है |जो पराबैंगनीकिरण और कण त्वरक के क्षेत्र मे उच्चा अध्यायन के लिए केंद्र के रुप मे सेवा कर रहे है | उनहें भारत मे प्रकाशिकि और पराबैंगनीकिरण मे अग्रणी अनुसंधान का श्रेय दिया जाता है |


        साऊथेम्प्टनमे उनका करियर था | 1967 मे भारत लौटने के बाद अत्पकालिक और लेजरों पर अपना काम रखने के लिए भाभा परमाणू अनुसंधान केंद्र बीएआरसी मे वैज्ञानिक अधिकारी क‍ि नौकरी स्वीकार कर ली थी | वह इस अविध के दौरान 1987 तक बीएआरसी मुख्याधारा मे रहे थे | वह 1973 मे अनुभाग प्रमूख और 1984 मे डिबीजन प्रमूख बने थे |


        जब परमाणू ऊर्जा विभाग व्दारा 1987 मे उन्नत प्रौघोगिकि केंद्र शुरु किया गया तो भावलकर को इसके संस्थापक निदेशक के रुप मे नियुक्त किया गया था | 2002 मे उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंनने व्कांटालसे मे शामिल हो गए, जो औघोगिक और चिकित्सा पराबैंगनीकिरण बनाने वाली एक संस्था थी | इसके निदेशक के रुप मे और आज तक इस पद को धारण किया है |


        भावलकर भारत मे लेजर के अग्रदूतों मे से एक है | उनहोने बीएआरसी मे लेजरों पर शोध शुरु किया था | बीएआरसी मे डीएई कि उन्नात प्रौघोगिकी केंद्र कि स्थापना मे प्रमूख हस्तिायों मे से एक रहे है | और अपनी शुरुआत से लेकर अपने सुपरनेशन तक संस्था के साथ जुडे रहे | 10GW कि स्पंदित शक्ति उत्पन्ना करने के लिए एक एनडी ग्लास लेजर श्रृंखला के उनके विकास ने लेजर निर्मित प्लाजमा पर बाद मे प्रयोगो कि सहायता कि है |


        उन्हेाने लेजर के जैविक और चिकीत्सा अनुप्रयोगो के विकास मे भी योगदान दिया है | भारत मे पहला सिक्रोट्रॉन विकिरण स्त्रोत और INDUS2 के अग्रदूत कि स्थापना के लिए योगदान करने के लिए जाना जाता है |भावलकर सेंटर फॉर एडवांस्ड टेकनोलॉजी के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक है | औरभारतीय प्रौघोगिकी संस्थान, कानपूर के एक प्रतिष्ठित मानद प्रोफेसर है |


        उन्होने पीएई सर्न सहयोग और समन्न्वित दीर्धकालिक सहयोग कार्यक्रम के समन्वयक के रुप मे कार्य किया है | उन्होने आंतर्राष्ट्रीय रैखिक कोलाइडर कार्यक्रम कि संचालन समिती के सदस्या के रुप मे कार्य किया है | वह भारतीय लेजर एसोसिएशन के संसथापक अध्याक्ष है | वह इंडियन फिजिक्सा एसोसिएशन के सदस्या है | और एशियन कमेटी फॉर प्फयूचर एक्सेलेरेटर्स और इंटरनेशनल कमेटी फॉर फयूचर एक्सेलेरेटर्स के पूर्व सदस्या है |


पुरस्कार और सम्मान : 


1) इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 1986 मे भावलकर को अपना फेलो चुना था |

2) उनहे 1984 मे विज्ञान और प्रौघोगिकी श्रेणी मे सर्वोच्चा भारतीय पूरस्कार शांति स्वरुप भटनागर पूरस्कार से सम्मानित किया |

3) उनहे 1999 मे कुरुक्षेत्र विश्वाविघ्यालय का गोयल पूरस्कार मिला |

4) भारत सरकार व्दारा उन्हे पदमश्री के नागरिक पुरस्कार के लिए 2000 के गणतंत्र दिवस सम्मान सुची मे शामिल किया गया था |

5) उनहे 2000 मे एक और पूरस्कार एच के फिरोदिया पुरस्कार मिला था |