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नाम : कोलथूर गोपालन
जन्म दि : 29 नवबर 1918
ठिकाण : सलेम, तामिलनाडू
व्यावसाय : पोषण विशेषज्ञ
मृत्यू : 3 अक्टूबर 2019 200 वर्षे कि आयू
प्रारंभिक जीवनी :
कोलथूर गोपालन का जन्म 29 नवंबर 1918 को तामिलनाडू के सेलम मे हुआ था | उन्होंने मद्रास विश्वाविघ्यालयों एमडी और पीएचडी कि उपाधि प्राप्ता कि थी | और एमएससी लंदन विश्वाविघ्यालय से पूरी कि थी | ब्रिटीश काल मे पोषण अनुसंधान प्रयोगशाला एनआरएल मे पोषण अनुसंधान मे अपने पेशेवर करियर कि शुरुआत करते हुए थे |
उन्होंने अगले छह दशकों मे अपनी यात्रा जारी रखी थी | 1950 के दषक के अंत मे जब एनआरएल हैदराबाद मे चला गया था | गोपालन ने निदेशक के रुप मे पदभार संभाला और कई प्रमूख क्षेत्रों मे अनुसंधान का विस्तार किया था |
कार्य :
कोलथुरु गोपालन एक भारतीय पोषण विशेषज्ञ थे | स्तंतत्र भारत मे पोषण अनुसंधान शुरु करने के लिए वे जिम्मेदार थे |जिससे एकीकृत बाल विकास सेवा जैसे कई हस्ताक्षेप हुए है | स्कूली बच्चों के लिए मध्यान्हा भोजन योजना, गण्डमाला रोकथाम कार्यक्रम आदि का नेतृत्वा किया था |
उन्होने राष्ट्रीय पोषण फाउंडेशन कि स्थापना जिसने भारतीय खाघ पदार्थो के पोषक मूल्या को प्रकाशित किया था | राष्ट्रीय पोषण निगरानी ब्यूरो एनएनएमबी जो उनके प्रयास का उत्पाद है | उन्होंने प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण, विटामिन ए कि कमी फ्रेनोडर्मा, लैथिर्मि फलोरोसिस और पेलाग्रा जैसी समस्याओं से निपटने के लिए अनुसंधान संस्थान कि स्थापना कि गई थी |
भारतीय खाघ पदार्था पर गोपालन के कार्य भी उल्लेखनीय है | उनहोने थैरी न्यूट्रिटिव वैल्यूज के लिए 500 से अधिक भारतीय खाघ पदार्था का विश्लेषण किया था | और उस परएक विस्तृत अध्यायन रिपोर्ट पेश कि थी | इस कार्य का उपयोग सभी पोषक तत्वों के आहार मे गणना के लिए किया गया था | इसने भारत को ऐसा पहला विकासशील देश बनाया, जिसके पास अपने अनुशंसित आहार भत्तै है |
एनआईएन आज एनडीआईए पोषण मे विज्ञान के एक वास्तुकार और पिता के रुप मे उनकी प्रतिभा कि ग्वाही देता है | उनके नेतृत्वा मे अनुसंधान ने 1970 के दशक मे शुरु किए गए प्रमूख रार्ष्टीय विटामिन ए और आयरन सप्लीमेंटेशन के आधार पर आधार बनाया था | गोपालन एक दूरदर्शी संस्थान निर्माता थे | उन्होने चिकीत्सा और पोषण विज्ञान को एक समग्र दुष्टिकोण से देखा था |
और हमेशा उनहें एक बहुविषयक और बहु: क्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ संबंधित करना चाहते थे | विशेष रुप से चकित्सा विज्ञान मे उनका योगदान और विशेष रुप से पोषण विज्ञान अपार है | वास्ताव मे, उनहोंने पोषण को केंद्र के स्तार पर लाया और इसे देश की विकास योजनाओं और नितियों मे एक महत्वापूर्ण ड्रायवर के रुपमे स्थापित करने मे महत्वापूर्ण भूमिका निभाई थी |
पुरस्कार और सम्मान :
1) वह रॉयल सोसाइटी एफआरएस के फेलो थे |
2) उनहे 2003 मे पदमभूषण पूरस्कार से सम्मानित किया गया था |
3) 2019 उन्हें लिविंग लीजेंड अवार्ड से सम्मानित किया गया था |
4) उन्हें मरणोपरांत, भारत मे उनके योगदान के लिए एक लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था |
पूस्तके :
1) भारतीय खाध पदार्थो का पोषक मुल्था|
2) आहार युक्त आहार के साथ भारतीय खाघ पदार्थो के पोषक मूल्या|
3) भारतीय खाघ संरचना तालिकाएँ|
4) डाइट मिट्रिक्सा हेड बुक ऑफ फूड एक्सचेंज|