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नाम : चुन्नी लाल खेत्रपाल
जन्म तिथी : 25 अगस्ता 1937
ठिकाण : उत्तरप्रदेश, भारत
व्यावसाय : भौतिक विज्ञानी
प्रारंभिक जीवनी :
चुन्नी लाल खेत्रपाल का जन्म 25 अगस्ता 1937 को उत्तरप्रदेश मे हुआ था | उनहोंने अपने कॉलेज कि पढाई इलाहाबाद विश्वाविघ्यालय से कि थी | जहाँ से उन्होंने 1957 से स्त्रातक कि उपाधि प्राप्ता कि थी | 1959 मे अपनी मास्टार डिग्री हासिल कि थी | उन्हेांने परमाणू प्रशिक्षण प्रतिष्ठान प्रशिक्षण मे शामिल होकर अपने करियर कि शुरुआत कि थी | उसी वर्षे मुंबई एक साथ 1965 मे पीएचडी सुरक्षित करने के लिए मुंबई विश्वाविघ्यालय मे अपने डॉक्टरेट अनुसंधान कर रहे है |
कार्य :
चुन्नी लाल खेत्रपाल एक भारतीय रासायनिक भौतिक विज्ञानी और इलाहाबाद विश्वाविघ्यालय के पूर्व कूलपति है | उन्हे अपने अध्यायन के लिए जाना जाता है | रासायनिक भौतिकी मे विशेश रुप से परमाणू चुंबकिय अनुनाद स्पेक्ट्रोस्कोपी के क्षेत्र मे कार्य किया है |उन्होंने कुछ समय के लिए टाटा इंस्टीटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मे काम किया था | और स्विटजरलैंड चले गए, जहां उनहेांने डॉक्टरेट कि पढाई के बाद किया था |
1957 से 1969 तक बासेल विश्वाविघ्यालय, जब उन्होंने एक शोध सहायक के रुप मे कैंट स्टै युनिवर्सिटी के लिक्किड क्रिस्टाल इंस्टीटयूट मे काम करने के लिए अपना आधार अमेरिका स्थानांतरित कर दिया था | वह 1973 मे भारत लौट आए और रमन रिसर्च इंस्टीटयूट मे एक सहायक प्रोफेसर के रुप मे शामिल हो गए थे | जहां उन्होंने ग्यारह साल तक भारतीय विज्ञान संस्थान मे एक प्रोफेसर के रुप मे और 1984 मे परिष्कृत उपकरण सुविधा के प्रमूख के रुप मे अपना जीवन बिताया था 1998 मे इलाहाबाद विश्वाविघ्यालय के कुलपति के रुप मे नियुक्त किया गया था |
जब उनका कार्यकाल 2001 मे सामाप्ता हुआ तो, उन्होने संजय गांधी स्त्रातकोत्तर आयुविज्ञान संस्थान मे पाच साल के कार्यकाल 2001: 206 के लिए एक विशिष्ट प्रोफेसर के रुप मे कार्यभार संभाला था | ओर सेंटर ऑफ बायेामेडिकल मैग्नेटिक रेजोनेंस लखनऊ कि स्वायत शास्त्री संस्था के निदेश्ंक है |
परमाणू चुंबकीय अनुवाद स्पेक्ट्रोस्कोपी एनएमआर का उपयोग करते हुए, खेत्रपाल ने तरल क्रिस्टल के निमैटिक चरण मे अणुओं के उन्मूखीकरण का अध्यायन किया था | भारत मे एनएमआर अध्यायन का नेतूत्वा करने के अलावा, उन्होंने इलाहाबाद विश्वाविघ्यालय मे इंस्टीटयूट ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी स्टडीज और व्यावसायिक अध्यायन संस्थान कि स्थापना कि थी |
उन्होंने परमाणू चुंबकीय अनुनादके 8 वॉल्यूम एन साइक्लो पीडीया सहित अन्या व्दारा प्रकाशित पुस्तकों के अध्यायों मे योगदान देने के अलावा कई लेख और पूस्तके प्रकाशीत वे नेशनल मैग्नेटिक रेजीनेंस सोसायटी और सेंटर ऑफ बायेामेडिकल मैग्नेटिक रेजोनेंस मे से एक थे | और पहले राष्ट्रपति के रुप मे सेवा कि थी | और बाद मे एक निपुण निदेशक थे|
पुरस्कार और सम्मान :
1) वैज्ञानिक और ओधागिक अनुसंधान परिषद ने देव को शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित 1982 मे|
2) वह भारत के विश्वाविघ्यालय अनुदान आयोग 1996 के सी वी रमन पूरस्कार के प्राप्ता कर्ता भी है |
3) 1996 मे गोयल पूरस्कार से सम्मानित|
4) इंडियनन मेडल और इंडियनन केमिकल सोसायटी 2005 का लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड|
5) उनहे 1990 मे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के आरके असुंदी मेमोरियल लेक्चर अवार्ड|
6) राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के एनआर धार मेमोरियल लेक्चर अवार्ड 2005|