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नाम : बसंती दुलाल नागचौधुरी
जन्म दि: 6 सितंबर 1917
ठिकाण : बरोदी गांव, ढाका जिला, ब्रिटीश भारत
व्यावसाय : भौतिकी विज्ञानी
पत्नी : दिपाली नाग
मृत्यू: 25 जून 2006 88 वर्षे कि आयू
प्रारंभिक जिवनी :
बसंती नागचौधूरी का जन्म 6 सितंबर 1917 को ढाका जिले के बरोदी गांव मे हुआ था | उनके पिता यूसी नाग ढाका विश्वाविदयालय मे अंग्रेजी के प्रोफेसर थे | वह सात पूत्रों मे सबसे बडे थे , जिनमे से एक कि काफी युवा मे मृत्यू हो गई थी | उन्होंने बनारस हिंदू विश्वाविदयालय से विज्ञान स्त्रातक कि उपाधि प्राप्त कि थी |
उन्होने इलाहाबाद विश्वाविदयालय से मास्टार डिग्री प्राप्ता कि थी | इलाहाबाद मे, उन्होंने प्रभावशाली वकील परमेश्वर नारायण टक्सर के साथ साथ प्रसिध्द भारतीय भौतिक विज्ञानी, मेघनाद साहा के मुलाकात कि थी | वह साहा के करीबी बन गए थे | और उनके शोध समूह मे शामिल हो गए थे | जुलाई 1938 मे जब सहा कलकत्ता विश्वाविदयाल चले गए तब नागचौधूरी उनके साथ चले गए थे |
सहा के माध्याम से, वह अर्नेस्ट लॉरेंस के सपर्क मे आए और बाद मे समर्थन के साथ वे न्यूक्लियर भौतिक अपने डॉक्टरेट कि नौकरी करने के लिए 1938 के अंत मे कैलिफैर्निया विश्वाविदयालय बर्कने चले गए थे | उनके थिसिस सलाहकार अर्नेस्टा लॉरेंस थे |
नागचौधरी कि शादी आगरा के सेंट जॉन्सा कॉलेज मे एक प्रोफेसर की बेटी दिपाली नाग से हुई थी | दिपाली नाग एक प्रिसिध्दा शास्त्रीय गायक थी | उनका एक बेटा था | नागचौधूरी का 25 जून 2006 को मस्तिष्का रोधमलन से निधन हो गया था | वह अपनी पत्नी दिपाली नाग, उसके बेटे और परिवार व्दारा बताया गया था |
कार्य :
बसंती दुलाल नागचौधूरी एक भारतीय भौतिकविदू और अकादमिक भारत सरकार के एक वैज्ञानिक सलाहकार थे | उन्हें भारत मे परमाणू भौतिकी के अग्रदूतों मे से एक के रुप मे जाना जाता है | कलकत्ता विश्वाविदयालय मे राष्ट्र के पहले साइक्लोट्रॉन के निर्माण के लिए जाना गया है | 1949 मे जब साहा इंस्टीटयूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्सा सीएसआयएनपी कि स्थापना कि गई थी | नागचौधूरी ने कलकत्ता विश्वाविदयालय मे पढाने के लिए जारी रखते हुए संस्थान मे अनुसंधान से संबंध्दा किया था |
1952 मे सहा के सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्हे एसआयएनपी का निदेशक नामित किया गया था | 1953 मे उन्हेांने मेघनाद साहा को कलकत्ता विश्वाविदयालय से भौतिकी के पालिट प्रोफेसर के रुप मे सफलता दिलाई थी |1970: 1974 तक उन्होने डीआरडीओ के वैज्ञानिक सलाहकार के रुप मे कार्य किया था | 1970: 71 मे नागचौधूरी ने एक समिती कि अध्याक्षता कि जिसमे भारत के समुद्री सृरक्षा मुद्रदों कि जांच कि थी |
1 जुलाई 1974 से 1 जनवरी 1979 तक, उन्होंने जवाहरलाल नेहरु विश्वाविछयालय जेएनयू के कुलपति के रुप मे कार्य किया था | उन्होने पर्यावरण योजना और समन्वय पर राष्ट्रीय समिती के अध्याक्ष के रुप मे कार्य किया था | उन्होने भारतीय प्रौघोगिकी संस्थान, दिल्ली के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स मे भी कार्य किया था |
नागचौधूरी ने कई भारतीय और अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों मे सेवा कि थी | 1976: 1984 तक उन्हेांने सैघ्दांतीक भौतिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के वैज्ञानिक परिषद के एक सदस्या की सेवा कि थी | उन्होंने भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र कि कंपनियों के बोर्डा मे भी काम किया है | इनमे भारत डायनामिक्सा लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्सा लिमिटेड और हिंदूस्तान एयरोनॉटिक्सा लिमिटेड शामिल थे |
पूरस्कार और सम्मान :
1) नागचौधूरी को 1964 मे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का फेलो चुना गया था |
2) उन्हे 1975 मे पदमविभूषण से सम्मानित किया गया था |
3) उन्हें आंध्र विश्वाविदयालय और कानपूर विश्वाविदयालय से मानद डॉक्टरेट कि उपाधि भी मिली थी |