Advertisement
नाम : बसंत कुमार साहू
जन्म दि: 19 फरवरी 1937 आयू 83
ठिकाण : ओडिशा, भारत
व्यावसाय : प्रोफेसर, तलछटविज्ञानी, गणितीय भूविज्ञानी
प्रारंभिक जीवनी :
बसंत कुमार का जन्म 19 फरवरी 1937 को ओडिसा मे हुआ था | बी के साहू ने 1956 मे कटक के रावेनशॉ कॉलेज मे अपनी स्त्रातक कि पढाई बीएससी ऑनर्स पूरी कि थी | और भारतीय प्रौघोगिकी संस्थान खडगपूर मे शामिल हुए थे | जहाँ से उन्होंने इंजिनियरींग मे मास्टार डिग्री प्राप्ता कि थी |
1958 मे अमेरिका जाने के बाद, उन्होंने विस्कॉनिक विश्वाविदयालय मेडिसन मे एटीसीएम के साथी के रुप मे डॉक्टरेट कि पढाई कि थी | और 1962 मे पीएचडी हासिल करने के बाद, वह पंजाब विश्वाविदयालय मे अपना करियर सुरु करने के लिए भारत लौट आए |
कार्य :
बसंत बुमार ने क्षेत्रीय इंजिनियरींग कॉलेज राउरकला वर्तमान राष्ट्रीय प्रौघोगिकी संस्थान, राउरकेला चले गए थे | जहाँ उन्हेांने भारतीय प्रौघोगिकी संस्थान, मुंबई के एक प्रोफेसर और भू विज्ञान विभाग के प्रमूख के रुप मे कार्य किया था | जब तक कि उन्हे एक प्रोफेसर के रुप मे नियुक्त नही किया गया था|
1976 मे उन्होंने आईआईटी मुंबई अपने अकादमिक करियर के बाकी समय बिताए था | और 1997 मे भूविज्ञान विभाग के प्रमूख के रुप मे सेवा से अलग हो गए थे | सेवानिवृत्ती के बाद, उन्होंने संस्थान मे एक मानद एमिरिटस प्रोफेसर के रुप मे अपना सहयोग जारी रखा था |
साहू को गणितीय भूविज्ञान के अग्रणी के रुप मे जाना जाता है | और उन्हेांने विज्ञान के लिए गणितीय और मात्रात्क दृष्टिकोन शुरु करने का श्रेय दिया जाता है | उन्होने अवसादों और अयस्क जमा के साखिकिय और गणितीय मॉडल कि व्याख्या करने के लिए बहूभिन्ना रुपी और समय श्रृखंला प्रकियोंओ का उपयोग किया है |
जिसके लिए उन्होंने कंप्यूटर एडेड तकनीको को डिजाइन किया गया था | वह अमेरिकन एासोसिएश्ंन ऑफ पेट्रोलियम जिथोलॉजिस्टस के जीवन सदस्या और सोसायटी ऑफ इकोनॉमिक जियोलॉजिस्टर एंड मिनरलोगिस्टस के पूर्व सदस्या है |
उन्होंने कोरबा थर्मल पावर प्रोजेक्ट के समन्वयक और ऐश तालाब स्थापन पर एनटीपीसी परियोजना के समन्वयक के रुप मे कार्य किया था | 1996 मे आईआईटी मुंबई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्या थै | वह प्रमूख के रुप मे वैज्ञानिक और औघोगिक अनुसंधान परिषद से भी जुडे थे | 1997: 2000 के दौरान गणितीय भूविज्ञान पर पुस्ताकेां कि तैयारी के लिए अन्वेषक थे |
पूरस्कार और सम्मान :
1) बसू ने 1958 से 1961 तक तकनीकि सहयोग मिशन फेलोशिप का आयोजन किया था |
2) वैज्ञानिक और औघोगिक अनुसंधान परिषद मे उन्हें 1980 मे सर्वोच्चा भारतीय पुरस्कारों मे से एक शांति स्वरुप भटनागर पूरस्कार से सम्मानित किया |
3) 1981 मे उन्होंने समाजशास्त्री और सबंध्द प्रौघोगिकी विदों का रजत पदक प्राप्ता किया था |
पूस्तके :
1) पृथ्वी विज्ञान मे सांख्यिकिया मॉडल : 2005
अध्याय :
• पर्यावरण मे प्राकृतिक संसाधनों कि विशेषता के लिए भूस्थैतिक और भू: स्थानिक दष्टिकोण चुनौतियां प्रक्रियाएं और रणनिततियाँ |