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नाम : अखिल रंजन चक्रवर्ती
जनम दि : 20 मई 1953
ठिकाण : बर्दवान, पश्चिम बंगाल, भारत
व्यावसाय : रसायनतज्ञ
प्रारंभिक जीवन :
अखिल रंजन चक्रवर्ती जिनका जनम 20 मई 1953 को बर्दवान मे हुआ था | भारतीय राजया पश्चिम बंगाल के एक ऐतिहासिक शहर, 1973 मे बर्दवान विश्वाविदयालय से रसायन विज्ञान मे स्त्रातक हुए और 1975 मे बर्दवान विश्वाविदयालय से मास्टर डिग्री पूरी की दोनो परिक्षाओं मे प्रथम स्थान पर रहे | पद अनन्तेश चक्रवर्ती शांति स्वरुप भटनागर लॉयरेट के मार्गदर्शन मे इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेश्ंन ऑफ साइंस की डॉक्टारेट की पढाई के लिए दाखिला लिया |
उन्हेाने 1982 मे कलकता विश्वाविदयालय से पीएचडी की | 1982:85 के दौरान टेक्सास ए एंड एम युनिवर्सिटी मे एक अल्बर्ट कॉटन की प्रयोगशाला मे और उसी वर्षे भारतीय विज्ञान संस्थान मे सहयायक प्रोफेसर के रुप मे शामिल होने के लिए वे भारत लौट आए | वे 1997 मे एसोसिएट प्रोफेसर 1997 मे प्रोफेसर और आज तक इस पद पर बने हुए है | बीच मे उन्होने 2002:2005 के दौरान अकार्बनिक और भौतिक रसायन विभाग के अध्याक्ष के रुप मे कार्य किया और नागोया विश्वाविदयालय मे एक विजिटिंग प्रोफेसर रहे है |
कार्य :
चक्रवर्ती के शोधो मे चिरल परिसरों के समन्वाय रसायन विज्ञान और ऑर्गोनोमेटलिक रसायन विज्ञान पर ध्यान केंद्रीत किया गया है | और उनके शोधो मे बहु सांस्कृतिक प्रणालियों मे प्रतिक्रिया शीलता और बंधन समझा को व्यापक किया गया है | डयूरुथेनियम कॉम्प्लेक्सा पर उनके काम की बुनियादी एसीटेट संरचना के कॉम्प्लेक्सा और कई बंधित डिरुथनियम कॉम्प्लेक्सा के रसायन विज्ञान के बीच लिंक का प्रदर्शन किया | उन्होंने अपने शोध के लिए आइआईएससी मे एक उद्रदेश निर्मित प्रयोगशाला की स्थापना की और उपन्यास संरचनात्माक और चुंबकीय गुणों को दिखानेवाले उच्चा परमाणू संक्रमण धातू समुहों को कवर करने के लिए अपने शोध को आगे बढाया | उडी धातू आधारित यौगिकों के उनके अध्यायन को कैासर के उपचार के लिए फोटो डायनामिक चिकित्सीय प्रोटोकॉल विकसित करने मे उपयोगी माना जाता है |
उन्होने लेखो के माध्याम से अपने शोधो का दस्तावेजीकरण किया है | एक ऑनलाइन लेख रिपॉजिटरी ACE ACE ने उनमे से कई को सुचिबध्द किया है उन्होने अपने अध्यायन मे 20 से अधिक डॉक्टारेट विव्दानों का उल्लेख किया है | और इंडियन जर्नल ऑफ केमिस्ट्री धारा ए और जर्नल ऑफ केमिकल साइंस के संपादकीय बोर्ड मे बैठे है |
वह बहुस्तरीय प्रणालियों मे प्रतिक्रीया शीलता और बंध्ंन पर अध्यायन के लिए जाने जाते है |वह एक भारतीय जैविक रसायनतज्ञ और भारतीय विज्ञान संस्थान मे अकार्बनिक और भौतिक रसायन विज्ञान विभाग मे प्रोफेसर है | उन्हे बहुसांस्कूतिक प्रणालियों मे प्रतिक्रीया शीलता और संबंध पर अपने शोधो के लिए जाना जाता है, और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और भारतीय विज्ञान आकदमी के एक निर्वोचित साथी है |
पूरस्कार और सम्मान :
1) 1994:95 के दौरान एक अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्टा, चक्रवर्ती को 1995 मे भारतीय विज्ञान अकादमी व्दारा उनके साथी के रुप मे चुना गया था
2) वैज्ञानिक और औघोगिक अनुसंधान परिषद ने उन्हें शांति स्वरुप भटनागर पूरस्कार से सम्मानित किया जो सर्वोच्चा भारतीय विज्ञान पूरस्कारों मे से एक है और उसका अवधि है 1998 मे
3) 2006 मे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान आकादमी के एक निर्वाचित साथी बने और 2007 मे उन्हें केमिकल रिसर्च सोसाईटी ऑफ इंडिया का रजत पदक मिला
4) 2008 मे जेसी बोस नेशनल फेलो भी थे