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वैज्ञानिक

अखलाक उर रहमान किदवई की जीवनी - Biography of Akhlaqur Rahman Kidwai in hindi jivani

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नाम : अखलाक उर रहमान किदवई

जनम दि : 1 जुलाई 1921 

ठिकाण : बाराबंकी किदवई मृतक

व्यावसाय : रसायन तज्ञ

मृत्यु : 24 अगस्त 2016 


प्रारंभिक जीवन :


        डॉ. किदवई का जन्म 1 जुलाई 1920 को उत्तार प्रदेश मे बारांबकी जिे के बडागांव गॉव मे हुआ था | डॉ. लखलाक उर रहमान किदवई सिर्फ आठ साल के थे जब जामिया मिलिया इस्लामिया जोएमआई ने उन्हें अपनी चपेट मे ले लिया | उनके पिता स्वार्गीय अशफाकूर रहमान किदवाई और स्वार्गीय नसीम उन मिसा के घर हुआ था | उनका स्वार्गीय जमीला किदवर्द से विवाह हुआ था, और उनकी शादी के परिणाम स्वरुप उन्हें छह बच्चों, दो बेटो और चार बेटियॉ के साथ आशीर्वाद दिया गया था |


        उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वाविदयालय, 1940 मे बीए की पढाई की, अमेरिका के इलिनोइस विश्वाविदयालय मे एमएससी 1948 और कॉर्नेल विश्वाविदयालय अमेरिका मे पीएचडी 1950 उनकी उम्मीदवारी को जवाहरलाल नेहरु के अलावा किसी और ने समर्थन नही दिया, जिसने उन्हे यह सुनिश्चित करने के लिए एक हस्तालिखित पत्र दिया कि उन्हें उपरिचित वातावरण मे समायोजित करने मे कई परेशानी नही होगी | नेहरु ने नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए लडके की प्रतिबध्दता को तुरंत पहचान लिया था, जो उनके घटनापूर्ण जीवन के किसी भी बिंदू पर मंद नही हुआ |


        एक प्रभावाशाली राजनैतिक परिवार से आनेवाले डॉ.किदवई स्वातंत्रता आंदोलन मे भाग लेने वाले थ | और आपेन जीएमआय दिनों के दौरान स्वार्गीय जाकिर हुसैन के साथ बडे समय तक बंधे रहे, जो उस समय विश्वाविदयालय के कुलपति थे, और बाद मे भारत के बन गए राष्ट्रापति | इसके बाद वहां शिक्षा का माध्याम उर्दू था लेकिन अंग्रजी शिक्षण का मानक बेहतरीन था |


कार्य :


        डॉ. किदवई ने अपने पेशेवर कैरियर की शुरुआत भारत के अलीगढ मुस्लिम विश्वाविदयालय मे रसायन विज्ञान विभाग के प्रमूख और विज्ञान संकाय के डीन के रुप मे की | इसके बाद किदवई 1974 से 1977 तक संध लोकसेवा आयोग यूपीएससी भारत सरकार के अध्याक्ष बने रहे | वह 1979 से 1985 और 1996 तक 1998 मे 1999 तक पश्चिम बंगाल के राजयापाल और दो बार बिहार के राजयापाल रहे | इसके अलावा, वह 1983 से 1991 तक अलीगढ मूस्लिम विश्वाविदयालय अलीगढ के कुलाधिपति थे और जम्मू काश्मिर बेंक के निदेशक भी रहे है |


        उन्होंने पश्चिम बंगाल के रा्जयापाल के रुप मे काम किया है और 2000 से 2004 तक राजयासभा के सदस्या रहे है जमना गाथा सुनाने के लिए मेमोरी लेन की यात्रा की | डॉ. किनवई यह सुनिश्चित करने मे कभी असफल नही हुए की शिक्षाविदों और खेलो पर बराबर ध्यान दिया जाता है | आज अपनी उन्न्त उम्रा के बाबजूद डॉ.किदवई हर दिन आगंतूके से मिलते हुए सक्रीय जीवन जारी रखते है | उम्र क्या है वह पूछता है जो मायने रखता है वह आत्मा है और जहॉ आप उसे लेने देते है |


        दरअसल अमेरिका से लौटने के बाद डॉ.किदवई ने अपने समय का प्रमूख हिस्सा राष्ट्रा और समुदाय के कल्याण के लिए काम करने के लिए समर्पित किया | डॉ.किदवई ने निम्नलिखित राष्ट्रीय समितीयों, संगठनों और संस्थानों के सदस्या के रुप मे कार्य कीया 


1) विज्ञान और प्रौधोगिकी पर राष्ट्रीय समिति 1968:75

2) विज्ञान और प्रौघोगिकी विभाग और योजना आयोग की परिप्रेक्ष्या विज्ञान और प्रौघोगिकी योजना समिती |  

3) काउंसिल एंड गवर्निंग बॉडी ऑफ इंडियण काऊसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च ICAR 1970:73

4) क्षेत्रिय असंतुलन जांच आयोग जम्मू और काश्मीर राजया 1979

5) शिक्षा के केंद्रीय सलाहकार बोर्ड 

6) सेंट्रल काउसिंल ऑफ इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी

7) सदस्या और संरक्षक दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसायटी 1968 जारी

8) इंस्टीटयूश्ंन ऑफ इंजीनियर्स भारत के मानद फेलो

9) अध्याक्ष यूनानी चिकित्सा पर समीक्षा समिती, स्वास्था मंत्रालय भारत सरकार

10) अध्याक्ष, चयन बोर्ड ऑफ साइंटिस्टास पूल 1968:79

11) रोजगार शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार 1967:79 केलिए शैक्षिक और तकनिकी योग्यता के मूल्यांकन बोर्ड के अध्याक्ष

12) अमेरिकी ब्रिटीश और भारतीय रासायनिक सोसायटी

13) विज्ञान की प्रगति के लीए अमेरिकन एसोसिएशन

14) उन्होंने बिहार पश्चिम बंगाल और हरियाणा राजयो के रा्जयापाल के रुप मे कार्य किया