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नाम : अखिलेश कुमार त्यागी
जन्म दि : 15 मई 1956
ठिकाण : वायरा फिरोजपूर बलंदशहर जिला उत्तर प्रदेश प्रदेश
प्रारंभिक जीवनी :
अखिलेख कुमार त्यागी का जन्म 15 मई 1956 को भारतीय राजया उत्तर प्रदेश प्रदेश के बुलंदरशहर जिले के वायरा फिरोजपूर मे हुआ था | और 1970 मे पब्लिक इंटरमीडिएट कॉलेज सियाना मे अपना हाई स्कूल पूरा किया और 1972 मे गवर्नमेंट इंटर मिडिएट कॉलेज मेरठ मे इंटर मिडिएट किया |
1974 मे मेरठ कॉलेज से बी एस सी करने के बाद उन्होने 1976 मे एम एस सी प्राप्ता करने के लिए डीएवी पोस्टा ग्रेजूएट कॉलेज देहरादून मे अपनी पढाई जारी रखी | इसके बाद उन्होंने 1977 मे एमफिल इंस्टीटयूट ऑफ एंडवास्डा स्टडीज मेरठ मे पूरा किया और दिल्ली विश्वाविदयालय से अपनी पढाई की | हाप्लोइड सेल कल्चार और जैनिटीक्सा पर शोध किया |
उन्हेांने अपने साऊथ कैंपस मे विश्वाविदयालय के प्लांट मॉलिक्यूलर बायोलॉजी विभाग मे एक वैज्ञानिक के रुप मे अपना कैरियर शुरु किया और एक साल 1983:84 तक काम करने के बाद उन्हेाने प्रकाश संश्लेषण से सबंधित अपने पोस्ट डॉक्टोरल काम के लिए जर्मनी का रुख किया | वहा दो विश्वाविदयालयों मे क्लोरोप्लास्टिक और परमाणू जीन 1984:85 के दौरान उसेलफोर्फ विश्वाविदयालय मे और 1985 से 1986 तक म्यूनिख विश्वाविदयालय मे |
कार्य :
भारत लौटकर त्यागी ने 1988 मे अपने दक्षिणी परिसर मे दिल्ली विश्वाविदयालय मे प्लांट आण्विक जीवविज्ञान विभाग के संकाय के सदस्या के रुप मे फिर से शामिल हुए और 1994 मे प्रोफेसर बन गए | उन्हें विभाग के प्रमूख के रुप मे नियुक्ता किया गया | 1992 और तीन साल तक उस पद पर रहने के बाद, वह 1995 से 2003 तक बोर्ड ऑफ रिसर्च स्टडीज, इंटरडिसिप्लिननरी एंड एप्लाइड साइंसेज के अध्याक्ष बने | 1998:2001 के दौरान, उनके पास प्लांट विभाग के प्रमूख के रुप मे अतिरिक्ता जिम्मेदारी भी थी |
आण्विक जीवविज्ञान 2005 मे वह दिल्ली विश्वाविदयालय के इंटरडिसिप्प्लिनरी सेंटर फॉर प्लांट जीनोमिक्सा के निदेशक बने और 2009 तक ICGP की सेवा करने के बाद वह नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च मे चले गए, जो जैव प्रौघोगिकी विभाग के एक स्वायत शोध संस्थान के निदेशक के रुप मे अपने पद पर असीन रहे और पद संभाला | 2016 तक वर्तमान मे वह प्लांट आण्विक जीवविज्ञान के प्रोफेसर के रुप मे दिल्ली विश्वाविदयालय से सेवारत है |
वह दिल्ली विश्वाविदयालय के वैज्ञानिकों के समूह मे से है , जिन्हेांने चावल, टमाटर और छोले की जीनोम वाइड अनुक्रमण पर काम किया | उन्होने चावल की खेती के जीन और विनियामक तत्वों पर काम किया है | फसलों की ट्रांसक्रिष टोम की जांच की और पौधों मे एक नए तनाव संबंधी प्रोटीन जीन परिवार की खोज करने मे सफल रहे |
उन्हेांने अपने करियर मे 120 से अधिक पोस्टा डॉक्टरल, मास्टार या अन्या शोध विव्दानों का उल्लेख किया है और राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सेमिनारों और सम्मेलनों मे 300 से अधिक अमंत्रित व्याख्यान दिए है| इंडियन सोसाइटी फॉर प्लांट फिजियोलॉजी के अध्याक्ष है | और उन्हेांने सोसाइटी फॉर प्लांट बायोटैक्नोलॉजी 1995:2005 और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी 2010 :11 मे उपाध्याक्ष के रुप मे कार्य किया है | वह राष्ट्रीय कृषिखाघ जैव प्रौघोगिकी संस्थान 2013:16 के पूर्व कार्यकारी निदेशक भी है |
पूरस्कार और सम्मान :
1) नैशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ने उन्हें 1998 मे एक साथी के रुप मे चुना और भारत सरकार के जैव प्रौधोगिकी विभाग ने उन्हे 1999 मे सर्वोच्चा भारतीय विज्ञान पूरस्कारों मे से एक, कैरियर विकास के लिए राष्ट्रीय जीव विज्ञान पूरस्कार से सम्मानित किया |
2) 2006 मे NASI रिलायंस प्लेटिनम जुबली पूरस्कार से सम्मानित कीया
3) 2008 मे ISCA बी पी एल मेमोरियल अवार्ड जिता
4) 2004 मे राइस रिसर्च एक्लिमेंटेशन अवार्ड जिता
5) इंडियन आर्मी काँग्रेस एसोसिएशन की प्रो अर्चना शर्मा मेमोरियल अवार्ड 2014
6) उन्होंने 2011 मे ओम प्रकाश असीन पूरस्कार से सम्मानित किया
7) 2011 मे विज्ञान और प्रौघोगिकी के लिए जी एम मोदी अवार्ड