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राजनेता

विन्सटन चर्चिल जीवनी - Biography of Winston Churchill in Hindi Jivani

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        बीसवीं सदी ने दो विश्वयुद्धों की भयावह विभीषिकाओं को झेला है। इन दोनों ही युद्धों के दौरान संपूर्ण विश्व के सामने या तो राख के ढेर में तब्दील हो जाने या फिर तानाशाहों का साम्राज्य कायम हो जाने की क्रूर वास्तविकता बहुत करीब आकर खड़ी हो गई थी। खासतौर पर दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब हिटलर और मुसोलिनी के तानाशाह इरादों की स्याह चादर दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेने का प्रयत्न कर रही थी, तब जिन राजनयिकों ने पूरी दृढ़ता के साथ इनका मुकाबला किया, सर विंस्टन चर्चिल उनमें से एक नाम है।


        6 वी कक्षा Fail थे. लेकिन उन्होंने कठिन परिश्रम करना कभी नहीं छोड़ा. वो प्रयत्न करते रहे और दुसरे विश्व युद्ध के दौरान यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बने. चर्चिल साधारणतः ब्रिटेन और दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नेता थे. BBC के 2002 के चुनाव में जिसमे 100 महानतम ब्रिटिश लोगो का चुनाव होना था उसमे सभी ने चर्चिल को सबसे ज्यादा महत्त्व दिया गया.


        अपनी पहचान बन ‍चुकी फेल्ट हैट, छड़ी और हवाना सिगार के साथ थुलथुल शरीर वाले चर्चिल द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अपने भाषणों और सभाओं में दिखाया जाने वाला 'वी' का निशान लोकतांत्रिक शक्तियों की विजय का प्रतीक बन गया है। यह वैसा ही उंगलियों के संकेत वाला 'वी' था, जो आज सभी विजेता बताते नहीं थकते हैं। हालांकि शुरुआती दौर में चर्चिल का राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ावों भरा रहा है, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जिस कुशलता और दृढ़ता से उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में लोकतां‍त्रिक शक्तियों का नेतृत्व किया, उसने उन्हें कालजयी बना दिया।


        मूलत: सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्मे विंस्टन ‍चर्चिल ने भी अपने करियर की शुरुआत एक सैनिक और युद्ध संवाददाता के रूप में की। संवाददाता इसलिए कि उन्हें शुरू से ही लिखने का बेहद शौक था। 1895 से 1898 तक क्यूबा, भारत और सूडान में ब्रिटेन की फौज में तैनाती के दौरान उन्होंने युद्ध रिपोर्टिंग की।


        मानव-सभ्यता के विकास के समय से ही नेतृत्व करने वाले 'नायक' की भूमिका प्रमुख रही है। मनुष्य के सामुदायिक और सामाजिक जीवन को उसी के समूह में से उभरे किसी व्यक्ति ने दिशा-निर्देशित और संचालित किया है। समस्त समुदाय और उस सभ्यता का विकास नेतृत्व करने वाले व्यक्ति की सोच, समझ, व्यक्तित्व और कृतित्व पर ही निर्भर रहा है। धरती पर रेखाएं खिंची और कबीले के सरदार राष्ट्रनायकों में परिवर्तित हुए। 100 साल की लंबी अवधि में पसरी बीसवीं सदी में इन राष्ट्रनायकों ने प्रमुख किरदार निभाया। एक तरह से तमाम सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तनों की बागडोर ही इन महारथियों के हाथ में रही।


        राजतंत्र, उपनिवेशवाद और लोकतंत्र के संधिकाल वाली इस सदी में अपने-अपने देश का परचम थामे इन राजनेताओं ने विश्व इतिहास की इबारत अपने हाथों से लिखी। इस श्रृंखला में वर्णित राजनेताओं की खासियत यह है कि उन्होंने अपने देश को एक राष्ट्र के रूप में विश्व के मानचित्र पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहली कड़ी में प्रस्तुत है सर विंस्टन चर्चिल बीसवीं सदी ने दो विश्वयुद्धों की भयावह विभीषिकाओं को झेला है।


        इन दोनों ही युद्धों के दौरान संपूर्ण विश्व के सामने या तो राख के ढेर में तब्दील हो जाने या फिर तानाशाहों का साम्राज्य कायम हो जाने की क्रूर वास्तविकता बहुत करीब आकर खड़ी हो गई थी। खासतौर पर दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब हिटलर और मुसोलिनी के तानाशाह इरादों की स्याह चादर दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेने का प्रयत्न कर रही थी, तब जिन राजनयिकों ने पूरी दृढ़ता के साथ इनका मुकाबला किया, सर विंस्टन चर्चिल उनमें से एक नाम है।


        26 जुलाई 1945 को ब्रितानी आम चुनाव में मिली भारी जीत के बाद लेबर पार्टी के क्लीमेंट एटली ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री चुने गए. निवर्तमान प्रधानमंत्री और द्वितीय विश्वयुद्ध के महान नेता रहे विंस्टन चर्चिल ने तुरंत अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. आम चुनाव में लेबर पार्टी की भारी जीत कंज़रवेटिव पार्टी के लिए एक बड़ा धक्का थी क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री चर्चिल ने गठबंधन सेना को बेहद क़ामयाब नेतृत्व प्रदान किया था. 1914 के प्रारम्भ में यूरोप का वातावरण शांतिमय प्रतीत हुआ। सर विंस्टन चर्चिल (Sir Winston Churchil) ने 1920 में लिखा था कि 1914 के वसंत और गर्मियों में यूरोप में असाधारण शांति चिन्हित हुई।


        कई वर्षों की तनावपूर्ण नौसैनिक प्रतिद्वंद्विता के पश्चात् आंगल-जर्मन संबंधों (Anglo-German relations) में सुधार हो रहा था। एल्सेस और लौरेन (Alsace and Lorraine) के खोए हुए प्रातों को लेकर फ्रांस की जर्मनी के प्रति कड़वाहट घटती प्रतीत हो रही थी। अस्ट्रिया-हंगरी और रूस ने अपने बाल्कन आश्रितों (clients) को 1912 और 1913 में युद्ध की ओर ढकेलने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। लेकिन घटता हुआ तनाव तथा यूरोप की महाशक्तियों के बीच बढ़ती हुई स्थिरता का यह चित्र भ्रामक सिद्ध हुआ।


        इस चित्रण ने उन निहित समस्याओं और यूरोपीय नेताओं की अपने देश की स्थिति और शक्ति के प्रति बढ़ती हुई निराशा को नकाब पहना दिया था। 1900 के बाद यूरोप को संकटों की श्रंख्लाओ ने झकझोर दिया तथा प्रत्येक श्रंख्ला महाशक्तियों को युद्ध के करीब ले जा रही थी। ये सकंट महाशक्तियों के बीच टकराव उत्पन्न करने वाले कई गंभीर मुद्दों के कारण उत्तेजित हुए। कई यूरोपीय राजनेताओं की राय में, 1914 में, युद्ध किये बिना इन मुद्दों का कोई हल नहीं था।


विचार :


• नज़रिया एक छोटी चीज़ होती है,लेकिन बड़ा फर्क डालती है।

• कटटरपंथी वो होता है,जो अपना दिमाग बदल नही सकता और विषय वो बदलता नहीं है।

• एक निराशावादी को हर अवसर में कठिनाई दिखती है और आशावादी को हर कठिनाई में अवसर।

• साहस मानवीय गुणों में प्रमुख है, क्योकि यह बाकी सभी गुणों की गारंटी देता है।

• मै हमेशा सीखने के लिये तैयार हू ,पर मै हमेशा सिखाया जाना पसंद नहीं करता।

• पतंगे हवा के विपरीत सबसे अधिक उंचाई छूती है उसके साथ नहीं।

• कोई अपराध इतना बड़ा नही है,जितना की श्रेष्ठ बनने की धृष्टता करना।

• बार बार असफल होने पर भी उत्साह न खोने में ही सफलता है।

• आपके शत्रु है?अच्छी बात है इसका मतलब है आप जीवन मै किसी मूल्य के लिये कभी न कभी दृढ़ता से खड़े हुए है।

• शक्ति या बुद्धिमता से नही, सतत प्रयासों से ही हमारी क्षमताए सामने आती है।

• हमे जो मिलता है उससे हमारी ज़िंदगी चलती हैऔर जो हम देते है उससे ज़िंदगी बनती है।

• कुछ लोग निजी उद्यमों को आदमखोर शिकारी मानते है ,जिसे गोली मार देनी चाहिये।कुछ इसे ऐसी गाय मानते है, जिसका वे दूध निकाल सकते है।लेकिन बहुत कम देख पते है की वह एक स्वस्थ घोडा है जो एक भारी वेगन खींच रहा है।

• जब तक सत्य घर से बाहर निकल पाता है तब तक तो झूठ आधी दुनिया घूम चूका होता है।

• व्यक्ति को जो करना है, वह करना ही चाहिये चाहे इसके व्यक्तिगत नतीजे कुछ भी क्यों न हो। बाधाए हो, खतरे हों या दबाव पड़ रहा हो और यही मानवीय नैतिकता का आधार है।

• ऐसी दो चीजें हैं जो रात के खाने के बाद भाषण देने से अधिक कठिन हैं : कोई ऐसी दीवार चढ़ना जो आपके ओर झूकी हो और ऐसी किसी ऐसी लड़की को चूमना जो आपसे दूर झूकी हो

• हमें दया दिखानी चाहिए , पर माँगना नहीं चाहिए .

• सफलता अंत नहीं है , असफलता घातक नहीं है : लगे रहने का साहस ही मायने रखता है .पूंजीवाद की बुराई है अच्छी चीजों का बराबर से ना बंटना , समाजवाद की अच्छाई है बुरी चीजों का बराबर से बंटना.

• इस दस्तावेज़ की लम्बाई इस पढ़े जाने के जोखिम से बचाती है .

• अच्छे कर जैसी कोई चीज नहीं होती .

• पब्लिक ओपिनियन जैसी कोई चीज नहीं होती , केवेल पब्लिश्ड ओपिनियन होते हैं

• हम अनकहे शब्दों के मालिक हैं , पर जिन शब्दों को हम मुंह से निकलने देते हैं उनके ग़ुलाम .

• स्वस्थ्य नागरिक किसी देश के लिए सबसे बड़ी संपत्ति होते हैं

• खड़े होकर बोलने के लिए साहस चाहिए होता है , बैठ कर सुनने के लिए भी साहस चाहिए होता है .

• दिक्कतों को पार पाना अवसरों को जीतना है .

• हालांकि मैं शहीद होने को तैयार हूँ पर मैं चाहूँगा कि वो स्थगित हो जाये

• नजरिया एक छोटी सी चीज होती है जो बड़ा फ़रक डालती है .

• सभी महान चीजें सरल होती हैं ,और कईयों को एक शब्द में व्यक्त किया जा सकता है : स्वतंत्रता ,न्याय , सम्मान ,कर्तव्य ,दया , आशा.

• हालांकि मैं शहीद होने को तैयार हूँ पर मैं चाहूँगा कि वो स्थगित हो जाये

• एक युद्ध्बन्धी वो व्यकी होता है जो तुम्हे मारना चाहता है , पर मार नहीं पता ,और फिर तुमसे कहता है कि उसे मत मारो .

• एक राजनीतिज्ञ में ये क़ाबिलियत होनी चाहिए की वो पहले से बता सके कि कल ,अगले हफ्ते , अगले महीने ,और अगले साल क्या होने वाला है . और उसमे ये क्षमता होनी चाहिए की बाद में वो बता सके कि ऐसा क्यों नहीं हुआ .

• रवैया एक छोटी सी चीज है जो बड़ा अंतर डालती है.

• सभी के दिन आते हैं और कुछ दिन औरों से ज्यादा लम्बे होते हैं .

• महान और अच्छा कभी – कभार ही एक ही आदमी होता है

• मैं हमेशा पहले से भविष्यवाणी करने से बचता हूँ , क्योंकि घटना घट जाने के बाद भविष्यवाणी करना काफी बेहतर होता है .

• पूंजीवाद की बुराई है अच्छी चीजो को बराबर से न बाँटना, समाजवाद की अच्छाई है बुरी चीजो को बराबर से बाँटना.

• मज़ाक एक बहुत ही गंभीर चीज होती है.