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नाम : मनमोहन सिंह
धर्म : सिख्ख
जन्म : 26 सितम्बर, 1932 गाह, पाकिस्तान
माता : अमृत कौर, गुरुमुख सिंह
पिता : गुरुमुख सिंह
विवाह : गुरशरण कौर
मनमोहन सिंह भारत के १४वे प्रधानमंत्री थे। वह एक महान विचारक, विद्वान और बुद्धिमान अर्थशास्त्री हैं। राजनीती में सम्पूर्ण रूप से सक्रीय होने से पहले उन्होंने कई प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों में कार्य किया और अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें कई सम्मान प्रदान किये गए। बाद के कुछ वर्षो में वह नौकरशाह से राजनेता बन गए. उनके शासन काल के दौरान भारत की आर्थिक मुद्रा स्फीति में एक आमूल परिवर्तन आया।
उनके विलक्षण योगदान के लिए उन्हें भारत के आर्थिक नवीनीकरण का आधारभूत निर्माता कहा जाता है. इस काबिल नेता ने अपनी नम्रता, नैतिकता और नीतिमत्ता के लिए काफी सराहना प्राप्त की है। मनमोहन सिंह की क्षमता और नेतृत्व कुशलता को भारतीयों ने स्वीकार किया और लगातार दूसरी बार उन्हें प्रधानमंत्री चुना।
प्रारंभिक जीवन :
मनमोहन सिंह का जन्म अखंड भारत के पंजाब प्रान्त (वर्तमान पाकिस्तान) स्थित गाह में 26 सितम्बर, 1932 को एक सिख परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। छोटी उम्र में ही उनकी माता का निधन हो गया और इसलिए उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। बचपन से ही उन्हें पढाई में रूचि थी और वह कक्षा में अक्सर अव्वल आते थे।
देश के विभाजन के बाद उनका का परिवार अमृतसर चला आया। यहाँ पर उन्होंने हिन्दू कॉलेज में दाखिला लिया। मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए जहा उन्हने स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की।
मनमोहन जी ने 1962 में न्यूफील्ड कॉलेज,ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से डी.फिल किया. 1964 में उन्होंने “इंडिया एक्सपोर्ट ट्रेंड एंड प्रॉस्पेक्टस फॉर सेल्फ ससटेंड ग्रोथ” नाम से पुस्तक लिखी जिसे क्लेरेंडॉन प्रेस ने प्रकाशित की. मनमोहनजी पंजाब यूनिवर्सिटी में वर्षो तक शैक्षणिक प्रत्यायक के रूप में चमकते रहे. एक संक्षिप्त कार्यकाल में UNCTAD सचिवालय के रूप में अच्छी तरह से इन वर्षो में दिल्ही स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रतिष्ठित हुए. 1987 से 1990 के बिच में उन्हें जिनेवा में सेक्रेटरी जेनरल ऑफ़ साउथ कमिशन के पद के लिए नियुक्त किया गया.
1971 में भारत सरकार द्बारा मनमोहन सिंह जी को आर्थिक सलाहकर वाणिज्य मंत्रालय के लिए नियुक्त किये गए, इसको देखते हुए 1972 में उन्हें मुख्य सलाहकार, वित्त मंत्रालय में नियुक्त किया. इनकी नियुक्ति बहुत से पदों के लिए हुई जैसे की वित्तमंत्री, उपसभापति, योजन मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में, प्रधानमंत्री के सलहाकार के रूप में. 1991 से 1996 के बिच पाच वित्त मंत्रीयो ने मिलकर आर्थिक मंदी हटाकर भारत को पुन्ह स्थापीत किया. इन्होने भारत के लिये आर्थिक योजना बनाई जो पुरे विश्व में मान्य है. उन्होंने अपने कार्यालय के दौरान अपने सहयोग से विकट परिस्थितियों से भारत को निकला था.
राजनीतिक जीवन :
1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने निरन्तर पाँच वर्षों तक कार्य किया, जबकि १९९० में यह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पी वी नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मनमोहन सिंह को १९९१ में अपने मंत्रिमंडल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। इस समय डॉ॰ मनमोहन सिंह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे।
लेकिन संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें १९९१ में असम से राज्यसभा के लिए चुना गया। मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को उपचार के रूप में प्रस्तुत किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के साथ जोड़ दिया। डॉ. मनमोहन सिंह ने आयात और निर्यात को भी सरल बनाया। लाइसेंस एवं परमिट गुज़रे ज़माने की चीज़ हो गई। निजी पूंजी को उत्साहित करके रुग्ण एवं घाटे में चलने वाले सार्वजनिक उपक्रमों हेतु अलग से नीतियाँ विकसित कीं।
नई अर्थव्यवस्था जब घुटनों पर चल रही थी, तब पी. वी. नरसिम्हा राव को कटु आलोचना का शिकार होना पड़ा।विपक्ष उन्हें नए आर्थिक प्रयोग से सावधान कर रहा था। लेकिन श्री राव ने मनमोहन सिंह पर पूरा यक़ीन रखा।मात्र दो वर्ष बाद ही आलोचकों के मुँह बंद हो गए और उनकी आँखें फैल गईं। उदारीकरण के बेहतरीन परिणाम भारतीय अर्थव्यवस्था में नज़र आने लगे थे और इस प्रकार एक ग़ैर राजनीतिज्ञ व्यक्ति जो अर्थशास्त्र का प्रोफ़ेसर था, का भारतीय राजनीति में प्रवेश हुआ ताकि देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके।
1991 में मनमोहन सिंह जी ने सरकारी नौकरी छोड़ राजनीती में कदम रखा. इस समय पी वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री चुने गए थे, उन्होंने अपने कैबिनेट मंत्रालय में मनमोहन सिंह जी को वित्त मंत्री बना दिया. इस समय भारत बहुत बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा था, मनमोहन सिंह जी ने देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कई देशों के दौरे किये. उन्होंने सबसे पहले सत्ता में आते ही ‘लायसेंस राज’ नाम की योजना को बंद किया, इसके अंतर्गत किसी भी बिजनेस में अगर कोई बदलाव होता है, तो उसके लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी. इस योजना से कई प्राइवेट फ़र्म को फायदा मिला, उन्हें स्वतंत्र बनाने से देश को आर्थिक फायदा मिलने लगा.
1998 में मनमोहन सिंह जी राज्यसभा के सदस्य चुने गए, और 1998 से 2004 तक वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे. एक अच्छे अर्थशास्त्री होने के नाते उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था पर पूरा ध्यान दिया, और उस मंत्रालय का काम अपनी देख रेख में ही रखा. अपने वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ मिल कर उन्होंने देश का मार्किट व् अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया. सन 2007 में भारत की हाईएस्ट ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) की ग्रोथ 9% तक बढ़ गई, जिसके साथ भारत दुनिया का दुसरे नंबर का अर्थव्यवस्था ग्रोथ वाला देश बन गया. मनमोहन जी प्रधानमंत्री होने के नाते बहुतसी योजनायें भी शुरू की, उन्होंने ग्रामीण जनता के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना की शुरुवात की.
उनके नेतृत्व में ग्रामीण नागरिकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत हुई। इस कार्य की दुनियाभर में लोगो ने सराहना की। उनके कार्यकाल के दौरान शिक्षा-क्षेत्र में भी काफी सुधर हुआ। सरकार ने पिछड़ी जाति और समाज के लोगो को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की सफल कोशिश की। हालाँकि कुछ पक्षों ने आरक्षण बिल का विरोध किया और योग्य विद्यार्थियों के लिए न्याय की मांग की। मनमोहन सिंह सरकार ने आतंकवाद को समाप्त करने के लिए कई कानून पारित किये।
2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (नाइया) का गठन किया गया। 2009 में इ-प्रशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने हेतु भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का गठन किया गया जिस के तहत लोगों को बहु उद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र देने की घोषणा की गई। इस सरकार ने अलग-अलग देशों के साथ मजबूत रिश्ते बनाये और बरक़रार रखे। पी वी नरसिम्हाराव के कार्यकाल में शुरू की गई व्यावहारिक विदेश नीति का मौजूदा प्रकल्प में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया।
अपनी सादगी और अंतर्मुखी स्वभाव के लिए जाने जाने वाले मनमोहन सिंह बेहद चतुर और बुद्धिमान व्यक्तित्व वाले प्रधानमंत्री रहे हैं। शिक्षा के प्रति रुझान ने उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा दिया किन्तु वह खुद को एक आम इंसान ही मानते रहे हैं। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें वर्ष 1987 में पद्मविभूषण सम्मान प्रदान किया गया। भारत को उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में कई मजबूत कदम उठाए जिनका देश की जनता को तो लाभ हुआ ही साथ ही विश्व पटल पर भी भारत एक मजबूत राष्ट्र बनकर उभरा है।
डॉ. सिंह एक ईमानदार और कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है । उनको यूपीए ( संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ) सरकार का समर्थन प्राप्त है तथा पूरा देश उन पर विश्वास करता है । उनकी छवि एक सुशील और ईमानदार व्यक्ति के रूप में विख्यात है और अपनी ईमानदार छवि के कारण उनको कुछ लोग डॉ. ऑनेस्ट भी कहते हैं । उनका रिकॉर्ड बेदाग रहा है । वह सादगी की मूर्ति हैं और मूल्यों में विश्वास करते हैं । उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए देश ने उनके प्रधानमंत्री बनने का स्वागत किया और जिस प्रकार से प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने किसानों और श्रमिक वर्ग के लिए दो घोषणाएँ की हैं उससे यह साबित हो चुका है कि यह व्यक्ति समाज के निम्न वर्ग का हितैषी है ।
2004 के आम चुनाव में लोक सभा चुनाव न जीत पाने के बावजूद मनमोहन सिंह को यूपीए की अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अनुमोदित किया। अपनी साफ़ सुथरी और ईमानदार छवि के चलते आम जनता में वे काफी लोकप्रिय बन गए। 22 मई 2004 को उन्होंने पद की शपथ ली। वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के सहयोग से मनमोहन सिंह ने व्यापार और अर्थव्यवस्था के विकास की दिशा में काम किया।
वर्ष 2007 में भारत का सकल घरेलू उत्पादन 9% रहा और भारत दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्था बन गया। उनके नेतृत्व में ग्रामीण नागरिकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत हुई। इस कार्य की दुनियाभर में लोगो ने सराहना की। उनके कार्यकाल के दौरान शिक्षा-क्षेत्र में भी काफी सुधर हुआ। 15वी लोक सभा के चुनाव नतीजे यूपीए के लिए बहुत सकारात्मक रहे और मनमोहन सिंह को 22 मई 2009 को एक बार फिर से भारत के प्रधानमंत्री के पद पर चुना गया। जवाहरलाल नेहरु के बाद मनमोहन सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से प्रधानमंत्री चुना गया।