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मानवतावादि

सिल्वारिन स्वेर की जीवनी - Biography of Silvarin Swer in hindi jivani

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नाम : सिल्वारिन स्वेर

जन्म दि: 12 नवंबर 1910

ठिकाण : शिलांग

बहन : कोंग सिलया

व्यावसाय : सामाजिक कार्यकर्ता, अकादमिक सिविल सेवक


प्रारंभिक जीवन :


        सिल्वारिन स्वेरका जन्म 12 नवंबर 1910 मे हुवा था | पुर्वोत्तर भारतीय रा्ज मेघालय की राजधानी शिलांग मे उनका जन्म हुवा था | वो एक खासी इंसाई परिवार मे जन्म हुवा था | वो शिलांग के वेल्शा मिशन गर्ल्स सकुल से अपनी एसएससी मैट्रिक परिक्षा पास हुई थी | उन्हेांने 1932 मे कलकतता विश्वाविदयालय के तहत स्कॉटिश चर्च कॉलेज से स्त्रातक पूर्ण किया और शिक्षा मे आपनी स्त्रातक कि डिग्री हासील करने के लिए जारी रही |


        और एकसाल बाद उन्हें 1938 मे गर्ल गाइडस मुवमेंट के सलाहकार के रुप मे नियूक्त किया गया था | 1944 मे ब्रिटीश भारत सरकार के तहत खेर को राशनिंग के सहायक नियंत्रक के रुप मे चुना गया था | और उन्होंने 1944:1949 तक ए पद संभाला था | उन्होंने शिलाँग के पाइन माउंट स्कुल मे एक शिक्षक कि नौकरी लेने के लिए सरकारी सेवा से इजाजत ले लिई थी | वो तीन साल तक स्कूल मे थी | सिल्वरिन स्वेर सक्रिय रुप से प्रशिक्षण शिक्षण और मॉडलिंग से जुडी रही|


        एनईएफार पर फ्रंटियर एजेंसी के मुख्या सामाजिक शिक्षा अधिकारी का पद संभालने के लिए सिल्वरिन को राजी किया | और पासीघाट पर कार्यालय के साथ 1952:1960 तक एनईएएफ के साथ रही थी | के कार्यकाल के लिए पास लौटी थी | जहा वह ओरल री आर्मामेंट के गुउ विल मुवमेंट कि गतिविधीयों से जुडी थी |


कार्य :


        सिल्वारिन स्वेर उत्तर पूर्व कार्यकारी की सदस्या थी | वह एमआरए गतिविधियों के सिलसिले मे 1970 स्वीडन जाने वाले भारतीय प्रतिनिधियों मे से एक थि | आपने करिअर के उत्तरार्ध मे उन्होंने महिलाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष और मेघालय राज के सामाजिक सलाहकार बोर्ड कि अध्याक्षता की |


        विकासशील उत्तर पूर्व मे आध्यामिक पुननिर्माण के सिध्दांतीको लागू करने मे स्वेर ने आपनी सामुदास के लिए एक नई पहचान बनाने की कोशिश कि थी | जो वहा होने वाले यूध्द और संघर्ष तक ही समित नही थी | हेट फ्री डर मुक्त और लालच मुक्त दुनिया के लिए इस्का स्पष्टा अध्यायन स्वेर के चरित्र कि अखंडता पर प्रतिबंधित करता है |


        सिल्वारिन स्वेर संघर्ष् के माध्याम से रहते थे | जो भारत को उस देश के रुप मे देखते थे | जो समाकालीन सदर्भ् है | देश को लुभाने वाले गांधीवादी मंत्र के साक्षी के रुप स्वेर ने उस समय की महिलाओं की पहल के साथ कदम रखा, जिस समय स्वदेशीगति मे स्थापित किया गया था |


उपलब्धी :


पूरस्कार :


1) पदश्री पटोगन संगमा पूरस्कार 1990|

2) भारत स्काउटस एंड गाइडस अवार्ड का रजत हाथी पदक|

3) कैसर ए हिंद पदक 1940 को दिया गया था |

4) आरजी ब्ररुह स्मृति रक्खी समिती