Deoxa Indonesian Channels

lisensi

Advertisement

" />
, 23:04 WIB
लेखक

आर.के नारायण जीवनी - Biography of R. K. Narayan in Hindi Jivani

Advertisement

 


आर के नारायण (अक्टूबर 10, 1906- मई 13, 2001) का पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी एय्यर नारायण स्वामी था। नारायण अंग्रेजी साहित्य के सबसे महान उपन्यासकारों में गिने जाते हैं। उन्होंने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर अपनी रचनाएं की। आर के नारायण मौसूर के यादव गिरी में करीब दो दशक तक रहे...1990 में बीमारी की वजह से वो चेन्नई शिफ्ट कर गये थे. जिस मकान में नारायण रहते थे, वो मकान आज भी हैं. 2006 में आर के नारायण के जन्मशति पर नारायण के चाहने और लेखक समुदाय मौसूर स्थित घर पर पहुंचा था.


        सब की राय थी कि मैसूर वाले घर विरासत के रूप में सहेजा...लेकिन मशविरा सिर्फ कागत तक ही सीमित रहा...कभी अमली जामा नहीं पहनाया जा सके...अलबत्ता अब उस घर को गिरा कर वहां मल्टी स्टोरे बिल्डिंग बनाने की योजना है। गाइड अंग्रेजी भाषा के महान भारतीय उपन्यासकार आर के नारायण का सुप्रसिद्ध उपन्यास है। यह आर के नारायण का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है जिसे देश और विदेशों में जबरदस्त सराहना मिली है। उनकी अधिकतर रचनाओं की तरह गाइड पर मालगुड़ी पर आधारित है। मालगुड़ी दक्षिण भारत का एक काल्पनिक स्थान है। इस उपन्यास में राजू नामक एक सामान्य पथप्रदर्शक (टूर गाइड) के आध्यात्मिक गुरू बनने की कहानी है।


प्रारंभिक जीवन :


        आर. के. नारायण का पूरा नाम रासीपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी है। आर. के. नारायण का जन्म 10 अक्टूबर, 1906 ई. को मद्रास (वर्तमान चेन्नई), भारत में हुआ था और इनकी मृत्यु 13 मई, 2001 में हुई। आर. के. नारायण अपनी पीढ़ी के अंग्रेज़ी में लिखने वाले उत्कृष्ट भारतीय लेखकों में से एक थे। अपनी दादी द्वारा पालित-पोषित नारायण ने 1930 में अपनी शिक्षा पूरी की और पूर्णत: लेखन में जुट जाने का निर्णय लेने से पहले कुछ समय तक शिक्षक के रूप में काम किया।


        उनके पहले उपन्यास स्वामी एण्ड फ़्रेंड्स (1935) में स्कूली लड़कों के एक दल के रोमांचक कारनामों का विभिन्न प्रकरणों में वर्णन है। इस पुस्तक और नारायण की इसके बाद की सभी कृतियों के पृष्ठभूमि दक्षिण भारत का काल्पनिक शहर मालगुडी है। नारायण आमतौर पर मानवीय सम्बन्धों की विशेषताओं तथा भारतीय दैनिक जीवन की विडंबनाओं का चित्रण करते हैं, जिसमें आधुनिक शहरी जीवन, पुरानी परम्पराओं के साथ टकराता रहता है।


        उनकी शैली शालीन है, जिससे सुसंस्कृत हास्य, लालित्य और सहजता का मिश्रण है। अपने विश्वसनीय सलाहकार और मित्र ग्रैहम ग्रीने, जिन्होंने नारायण की पहली चार किताबो के लिए प्रकाशक ढूंढे थे, जिनमे उनकी रचना स्वामी और मित्र, दी बैचलर ऑफ़ आर्ट्स और दी इंग्लिश टीचर भी शामिल है. नारायण एक आर्थिक सलाहकार की तरह भी काम करते थे, जिन्होंने 1951 और साहित्य अकादमी में अपने आर्थिक ज्ञान की छाप छोड़ी थी.


        वे एक अवॉर्ड विनर रचना दी गाइड के लेखक थे, जिसे कई बार फिल्मो में ही उपयोग किया गया है. आर.के नारायण की बहोत सी रचनाये उनके काल्पनिक गाव मालगुडी पर आधारीत थी, जिसमे उनकी पहली रचना स्वामी और मित्र थी, जिसमे उन्होंने अपने काल्पनिक गाव के बारे में और वहा के लोगो के बारे में वर्णन किया था और वहा के लोगो के दैनिक जीवन के बारे में बताया था. उनकी तुलना विलियम फॉल्कनर से की जाती थी, उन्होंने भी एक काल्पनिक ग्राम की रचना की थी जिसमे फॉल्कनर ने वास्तविक जीवन की छोटी-मोटी गतिविधियों को वर्णित किया था.


        अपने लेखो से मानवता को बढाने और उसे सही तरह से दर्शाने का काम किया है. आर.के नारायण की लघु कथा लिखने के कला की दी मौपस्सन्त से तुलना की जाती है, क्योकि ऐसा कहा जाता था की शिरडी वे दोनों ही कहानी को रूचि खोये बिना शब्दों की रचना कर लेते थे. नारायण को कई बार अपनी साधी और छोटी रचनाओ (गद्य) के लिये आलोचनाओ का भी सामना करना पडा.


        अपने उपन्यास ‘गाइड’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित तथा पद्मविभूषण द्वारा अलंकृत उपन्यासकार आर.के.नारायण विश्वस्तरीय रचनाकार गिने जाते हैं। उनके उपन्यास ‘गाइड’ पर बनी फिल्म में उन्हें लोकप्रियता का एक और आयाम दिया, जिसे आज भी याद किया जाता है। ‘मालगुडी की कहानियां’ आर.के. नारायण की अद्भुत रोचक कहानियां समेटे हुए पुस्तक है।


        अपने दक्षिण भारत के प्रिय क्षेत्र मैसूर और चेन्नई में उन्होंने आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच यहां-वहां ठहरते साधारण चरित्रों को देखा और उन्हें अपने असाधारण कथा-शिल्प के जरिये, अपने चरित्र बना लिये। ‘मालगुडी के दिन’ पर दूरदर्शन ने धारावाहिक बनाया जो दर्शक आज तक नहीं भूले हैं। दशकों बाद भी ‘मालगुडी के दिन’ कहानियां उतनी ही जीवंत और लोकप्रिय हैं, जितनी पहले कभी नहीं थीं। यही उनकी खूबी है।


        अंग्रेजी उपन्यास की दुनिया में नारायण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह महान उपन्यासकार ग्रैजुएशन की परीक्षा में अंग्रेजी विषय में फेल हो गए थे। हालांकि, बाद में वे फिर से परीक्षा देकर पास हुए थे। कॉलेज के दिनों से ही नारायण ने लिखना शुरू कर दिया था। नारायण का पहला उपन्यास ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’1935 में आया था। 'मालगुडी डेज' पर दूरदर्शन ने धारावाहिक बनाया, जिसे दर्शक आज तक नहीं भूले हैं। इस धारावाहिक को हिन्दी व अंग्रेज़ी में बनाया गया था।


        दूरदर्शन पर मालगुडी डेज़ के कुल 39 एपिसोड प्रसारित हुए। यह धारावाहिक मालगुडी डेज़ रिटर्न नाम से पुनर्प्रसारित भी हुआ। धारावाहिक में दिखाए गए चित्रों को नारायण के भाई और जाने माने कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण ने तैयार किया था। उन्होंने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर अपनी रचनाएं की। नारायण की कई रचनाओं पर फिल्में व धारावाहिक बन चुके हैं। ‘गाइड’ फिल्म जहां देश-विदेश में चर्चित हुई थी, वहीं तमिल में उनकी कृति ‘मि. संपत लाल’ पर फिल्म बन चुकी है। इसके अलावा, ‘फाइनेंशियल एक्सपर्ट’ पर कन्नड़ में फिल्म बनी थी।


        भारतीय अंग्रेजी साहित्य के किसी भी लेखक ने हिन्दी भाषी लोगों को इतना नहीं लुभाया होगा, जितना आरके नारायण ने। उनके उपन्यास पर आधारित साठ के दशक में आई फिल्म 'गाइड' हिन्दी सिनेमा के क्लासिक्स में गिनी जाती है। लेकिन उन्हें असली लोकप्रियता अस्सी के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित 'मालगुड़ी डेज' से मिली, जिसने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया। आज भी आके नारायण का नाम लेते ही 'मालगुड़ी डेज' के चरित्र आँखों के आगे कौंध जाते हैं और उस टीवी सीरियल की अनूठी धुन कानों में गूंज उठती है।


        'स्वामी एंड फ्रैंड्स' एक ऐसा उपन्यास है जिसने भारतीय अंग्रेजी लेखन के सामर्थ्य को विश्वस्तर पर साबित किया। अंग्रेजी लेखक ग्राहम ग्रीन को मालगुड़ी के बैकड्राप में लिखा गया उपन्यास इतना पसंद आया कि आरके नारायण उनके प्रिय लेखकों में शामिल हो गए। ग्राहम ग्रीन तक यह उपन्यास कैसे पहुंचा इसकी भी बड़ी रोचक कथा है। नारायण ने उपन्यास लिखकर अपने एक दोस्त के पास इंग्लैंड भेजा।


        उनके दोस्त ने इस उपन्यास की पांडुलिपी कई प्रकाशकों को भेजी मगर किसी को वह पसंद नहीं आई। आखिरकार तंग आकर नारायण ने अपने दोस्त से कहा कि वह इस पांडुलिपी को टेम्स नदी में डुबो दे। ऐसा करने की बजाय उनके दोस्त ने यह पांडुलिपी ग्राहम ग्रीन तक पहुंचा दी। जब ग्राहम ग्रीन ने इस उपन्यास को पढ़ा तो इसकी शैली पर मुग्ध हो गए। इसके बाद यह उपन्यास न सिर्फ प्रकाशित हुआ बल्कि देश-विदेश में बेहद लोकप्रिय भी हुआ।


        नारायण ने इतने जतन से एक काल्पनिक शहर मालगुड़ी को बसाया था कि जिसने उसे पढ़ा वही उस निश्छलता और मासूमियत से भरे संसार में खो गया। इस उपन्यास के बहाने 1920 के बाद भारतीय समाज में आ रहे बदलावों को इसकी कथा में पिरोया गया है। रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी बसा एक कसबा भारतीय समाज में आ रहे बदलावों का आइना सा बन जाता.


        'स्वामी एंड फ्रेंड्स' की कहानी दस बरस के स्वामीनाथन- जिसे उसके दोस्त स्वामी पुकारते हैं- के इर्दगिर्द घूमती है। स्वामी के किरदार को स्कूल जाना ज़रा भी पसंद न था, पसंद था तो अपने दोस्तों के साथ मालगुडी में मारे-मारे फिरना। स्वामी के पिता, जिनका किरदार गिरीश कर्नाड ने निभाया था, सरकारी नौकर थे। स्वामी के दो करीबी दोस्त थे, मणि और चीफ पुलिस सुपरीटेंडेंट के पुत्र राजम।


        श्री नारायण का नाम कई बार साहित्य के नोबल पुरस्कार के लिए नामित और चर्चित हुआ; पर वे इसे कभी प्राप्त नहीं कर पाये। सच तो यह है कि नोबेल पुरस्कार के पीछे भी सम्पन्न पश्चिमी देशों की राजनीति हावी रहती है। प्रायः वे ऐसे लेखक को पुरस्कृत करते हैं, जिसके लेखन से उनके हितों की पूर्ति होती हो। अपनी बात को खरी भाषा में कहने वाले श्री नारायण इस कसौटी पर कभी खरे नहीं उतरे। उन्हें विश्व में अंग्रेजी का सर्वाधिक पसन्द किया जाने वाला लेखक माना जाता है। उनकी रचनाओं का दुनिया की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है।


        श्री नारायण को 1968 में उनके उपन्यास ‘द गाइड’ के लिए साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत किया गया। भारत सरकार ने भी उन्हें ‘पद्मभूषण’ और ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित किया। 1989 में साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें राज्यसभा का मानद सदस्य चुना गया। इसके अतिरिक्त उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी आफ लीड्स ने डॉक्टरेट की मानद उपाधियाँ प्रदान कीं।


प्रसिद्ध कृतियाँ :


• द इंग्लिश टीचर (1945)

• वेटिंग फ़ॉर द महात्मा (1955)

• द गाइड (1958)

• द मैन ईटर आफ़ मालगुडी (1961)

• द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स (1967)

• अ टाइगर फ़ॉर मालगुडी (1983)


प्रसिद्ध कहानियाँ :


• लॉली रोड (1956)

• अ हॉर्स एण्ड गोट्स एण्ड अदर स्टोरीज़ (1970)

• अन्डर द बैनियन ट्री एण्ड अद स्टोरीज़ (1985)


        धारदार कलम और मधुर मुस्कान के धनी श्री आर.के.नारायण की लेखन यात्रा का प्रारम्भ ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित लघुकथाओं से हुआ था। जीवन के विभिन्न पड़ावों से गुजरती हुई यह यात्रा 94 वर्ष की आयु में 13 मई, 2001 को सदा के लिए थम गयी।