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नाम : पोंका कनकम्मा
जन्म दि : 10 जून 1892
ठिकाण : मिनागल्लू, नेल्लोर, आंध्रप्रदेश
पति : पोंका सुब्बारामी रेडी
व्यावसाय : सामाजिक कार्यकर्ती
प्रारंभिक जीवनी :
पोनाक कनकम्मा एक सामाजिक कार्यकर्ती और स्वतंत्रता सेनानी थी | वह भारत मे महात्मा गांधी के शिष्या के रुप मे एक वर्ष तक कैद मे रही थी | पोनाका कनकम्मा का जन्म 10 जून 1892 को मिनागल्लू, नेल्लोर आंध्रप्रदेश राजया मे हुआ था | उनके पिता का नाम मरुपुरु कोंडा और माता का नाम काम्मा था |
वह एक बहूत अमीर जमीदार समुदाय से थी | उनकी शादी पोंका सुब्बारामी रेड्रउी से हुई थी | वह नेल्लोर के पास वाले पोटलापुडी गांव के एक अमीर जमीनदार थे | उन्हे एक बेटी थी | पोनाका को स्कूल जाने कि अनुमति नही तो भी उन्होंने अपने प्रयासो से तेलगू हिंदी और संस्कूत मे दक्षता हासिल कि थी |
कार्य :
पोनका ने लाइब्रेरी आंदोलन से जुडे लॉ पट्रटाभिर मरिडउी मे अपने छोटे भाई कि मदद से उन्हेांने समाज कि सेवा के लिए नेल्लोर के पास पोटलापुडी गांव मे सुजान संजनी समाजम और विवेकानंद ग्रंथालयम कि स्थापना करणे का कार्य किया था | पोनका ने पेन्नाडू नदी मे पेना नदी के किनारे लगभग 8 मील कि दूरी पर 13 पकड जमीन के अभ्यास के लिए अपने क्रांतीकारी दोस्तो को जमीन सौंप दी थी |
उन्हेाने विनाकिनी सत्याग्रश्रमम कि स्थापना के लिए भूमी दान कि थी | कनकम्मा ने असहयोग आंदोलन मे और नमक सत्याग्रह मे भाग लिया था | वहाँ उन्हें कैद किया गया था | कनकम्मा ने सन 1923 मे लडकियों के लिए गांधीजी के सचनात्माक कार्यक्रम के तहत श्रीकस्तूरी देवी विध्यालय कि स्थापना का कार्य किया था |
उन्होंने रमण महर्षि पर कई दर्शनिक कविताएँ लिखी थी | 1952 मे कनकम्मा ने सन 1952 मे गरीब, अनाथ और कम विशेषधिकार प्रापता महिलाओं के लिए एक औधोगिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया था |
उपलब्धि :
सम्मान/पूरस्कार :
1) पोनका एआईसीसी कि सदस्या थी |
2) पोनका को गूहलक्ष्मी स्वार्णकंतम सनमानम पूरस्कार से सम्मानित किया गया था |
3) मद्रास महिला सभा संगठन कि रजत जयंती समारोह के अवसर पर उन्हें दुर्गा भाई देशमूख व्दारा रजत पाटटीका देकर सम्मानित किया था |
4) पोनाका और द्रोणाम्राजू लक्ष्मीबाईम्मा तेलूगू कि पहली जुडवां कवयित्री थी |
5) कस्तूरी देवी विध्यालय परिसर मे उनके सम्मान मे स्थापति कनकम्मा का जीवित स्मारक है |
पूस्तक/ग्रंथ :
1) कनकम्मा ने महर्षी रमन पर लिखित कई आराधना और निवेदिम है |
2) उन्हेांने भगवदीता के सार को ज्ञान नेताम नाम से तेलगू मे अनूवाद किया था |
3) कनकम्मा ने श्री राम योगी कि ऑटो जीवनी तेलगू और अंग्रेजी दोनो मे लिखी थी |
पोंका कनकम्मा का 15 सितंबर 1963 को नेल्लोर मे निधन हुआ था |