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नाम : लीलावती सिंह
जन्म : 14 दिसंबर 1868
ठिकाण : गोरखपूर, भारत
व्यावसाय : प्रोफेसर साहित्या और दर्शनशास्त्रा
प्रांरभिक जीवन :
लीलावती सिंह लखनऊ मे इसाबेला थोर्बन कॉलेज मे साहित्या और दर्शनशास्त्रा की प्रोफेसर थी | लीलावती सिंह का जन्म 14 दिसंबर 1868 को गोरखपूर मे हुआ | वह एक क्रिश्चियन परिवार से नही थी बल्की उस समय उनका बपतिस्मा नाम एथेल राफेल था | उन्होंने अधिकारिक रुप से एक युवा महिला के रुप मे अपने भारतीय नाम का उपयोग करना शुरु कर दिया था | उन्होने एक लडकी के रुप मे मिस थोबर्न के बोर्डिग स्कूल मे भाग लिया था |
सन 1895 मे उन्होने इलाहाबाद विश्वाविघालय से डिग्री प्राप्ता की थी | उस संस्था से डिग्री प्राप्ता करने वाली पहली दो महिलाओं मे लीलावती सिंह एक थी | जब लिलावती सिंह के दादा बाप थे, तो उनका हिंदू नाम बदलकर उन दिनो मे मिशनरियों ने एक ईसाई नाम रखा था | तबसे परिवार का नाम राफेल हो गया, फीर जाकर उन्हे एथेल राफेल के रुप मे बपमिस्मा दिया गया था | अब इस मामले के संबंध मे मिशनरी विचार बदल गयाहै , और कई भारतीय इसाइयों ने फिर से अपने पुराने परिवार के नाम ले लिए है |
1892 मे, लीलावती सिंह एक शिक्षक के रुप मे लखनऊ लौंटी थी | उस समय कॉलेज स्टाफ पर एममात्र भारतीय शिक्षक थी | जो मिशनरी परिवार की एकमात्र भारतीय सदस्या थी | जबकि अमेरिकी मिशनरियों ने उनका अपने बराबर के रुप मे स्वागत किया, यह युरोपीय और युरोशियाई शिक्षकों के लिए कठिण था | शिक्षित भारतीय ईसाई ने अभी तक अपनी भूमी मे अपना सही स्थान प्राप्ता नही किया था | और अठरा साल पहले यह एक क्रांतिकारी विचार था की, एक भारतीय महिला होकर भी क्षमता और स्थिती मे एक विदेशी 13 की बराबरी कर सकती है |
कार्य :
इसाबेला थोबर्न ने अपने स्कूल का एक कॉजेजिएट खंड खोला था | वहॉ 1892 मे उन्होंने पूर्व छात्र लीलावती सिंह को एक शिक्षक के रुप मे काम पर रखा था | इसाबेला थोबर्न कॉलेज मे साहित्या और दर्शन के प्रोफेसर बने थे लेकिन 1902 मे उनकी मृत्यू हो गई उसके बाद लीलावती सिंह को स्कूल का वाइस प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था | लीलावती सिंह 1899 और 1900 मे संयुक्ता राजया अमेरिका के दौरे पर गयी थी |
महिला विदेशी मिशनरी सोसाइटी के तत्वापधान मे, जिसमे कार्नेगी हॉल मे एक ठहराव भी शामिल था, जहां वह ताबेला बर्ड के कागजात के साथ एक कार्यक्रम मे थी | विशप और प्रिसिला ब्राइट मैकलारेन, अन्या के बीच सन 1909 मे उन्होंने भारतीय महिलाओं के जीवन के बारे मे जागरुकता बढाने के हेतू से, संयुक्ता राजया अमेरिका का एक व्याख्यान दिया था |
उपलब्धि :
लीलावती सिंह ने क्रिश्चियन फेडरेशन कि महिला समिती की अध्याक्षता की थी | सन 1907 मे टोक्यो मे उस संगठन के सम्मेलन मे उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्वा किया था | सन 1908 मे उन्होंने यूरोप और इंग्लैंड मे अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों मे भाग लिया |
• सन 1909 मे अमेरिकी व्याख्यान दौरे के समय लीलावती सिंह मृत्यू हो गई थी | इसाबेला थोबर्न कॉलेज मे एक लीलावती सिंह छात्रावास को स्मारकदान के साथ बनाया गया था | उनकी स्मूती मे इसका नाम भी रखा गया था