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मानवतावादि

लक्ष्मी सहगल की जीवनी - Biography of Lakshmi Sehgal in hindi jivani

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नाम : लक्ष्मी सहगल 

जन्म : 24 अक्टूबर 1914

ठिकाण : मलबार, भारत

पति : प्रेम कुमार सहगल

व्यावसाय : क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी, कार्यकर्ता, मार्क्सवादी


प्रारंभिक जीवन :


        लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 ऑक्टोबर सन 1914 भारत स्वतंत्रपूर्व हुआ था | उनका जन्म मालाबार मे हुआ था | वह मृणालिनी साराभाई की बडी बहन है | वह एक तामिल परिवार से है | उनहे अपनी मॉ से पहला देशभक्ति का वाठ मिला क्योंकी उनकी मा खुद कॉग्रेस पार्टी की सदस्या थी |


        सहगल की मार्च 1947 मे लाहौर मे प्रेम कुमार सहगल से शादी हुई | उनके बच्चों नाम सुभाषिनी अली, अनीसा पूरी यह है | उन्होंने 1938 मे मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री पूरी की | लक्ष्मी सहगल स्त्री रोग और प्रसूति तज्ञ थी इसिलीए वह एक डॉक्टर के रुप मे सिंगापूर अपने करियर के लिए चली गयी थी |


कार्य :


        उस समय सिंगापूर पर अंग्रजो का शासन था | जब जापानियो ने देश पर आक्रमण्ं किया तो उन्हें आत्मसमर्पण करना पडा | हजारों भारतीयों को कैदियों के रुप मे लिया गया था | इसी, मौके पर नेताजी ने भारतीय कैदीओं को INA या भारतीय राष्ट्रीय सेना मे शामील होने अंग्रेजो के खिलाफ लडने के लिए आमतिंत किया | ठीक उसी समय सींगापूर मे रहने वाली लक्ष्मी और आयएनए के संपर्क मे आई थी|


        क्योंकी उस वक्त गरिबो की मदद संपर्क के उददेश्या से, उनके व्दारा एक क्तिनिक की स्थापना की गई थी | इस कार्य को देखकर नेताजी उनके साहस से प्रभावित थे | उन्होने लक्ष्मी को रानी झांसी रेजिमेंट का नेतृत्वा करने के लिए कहा | वह बर्मा के जंगलो मे अंग्रेजो के खिलाफ एक बाधिन की तरह लडी |


        उन्होने त्रिपलीकेन जो की चेन्नाई मे है, वहा स्थित सरकारी कस्तूरबा गांधी अस्पताल मे एक डॉक्टर के रुप मे काम किया था | जब लक्ष्मी ने रानी झांसी रेजिमेट का नेतृत्वा करणे की जबाबदारी अपने सर ली तब से लक्ष्मी स्वामीनाथन कैप्टन लक्ष्मी से ही जानी जाती है | एक एैसा नाम ओर पहचान जो जीवनभर उनके साथ रहेगी |


        आयएनए ने दिसंबर 1944 मे जपानी सेना के साथ बर्मा की और प्रस्थान किया, लेकिन मार्च 1945 तक उनके खिलाफ यूदूघ के जवार के साथ, आईएनए नेतृत्वा ने इमफाल मे प्रेवश करने से पहले पीछे हटने का फैसला किया | कैप्टन लक्ष्मी को ब्रिटीश सेना ने मई 1945 मे गिरफतार कर लिया था | मार्च 1946 तक वह बर्मा मे रही थी |


        जब लक्ष्मी को भारत भेजा गया था तब ऐसे समय मे जब दिल्ली मे आयएनए परीक्षणों ने लोकप्रिय असंतोष को बढा दिया और औपनिवेशिक शासन का अंत कर दिया | लक्ष्मी सहकगल 1981 मे ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन्सा एसोसिएशन की संस्थापक सदस्यों मे एक थी |


        उन्होंने कई गतिविधियों और अभियानों का नेतृत्वा भी किया | सन 1984 के सिख विरोधी दंगो के बाद कानपूर मे शांती प्रस्थापित होने के हेतू से उन्होंने जणकार्य किया | वह लगभग 92 वर्ष की उम्र मे भी कानपूर मे अपने क्लिनिक मे नियमित रुप से रोगियों को देख रही थी | 


उपलब्धि :


1) 1971 मे उच्च सदन मे पार्टी का प्रतिनिधित्वा करते हुए लालसमाई भारतीय कम्यूनिस्टा पार्टी का हिस्सा बन गयी थी |

2) 2002 मे लक्ष्मी सहगल को चार वामपंथी पार्टीया

3) 1) भारतीय कम्यूनिस्टा पाटी 2) भारतीय कम्यूनिस्टपार्टी मार्क्सवादी 3) ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और रिपोल्यूशनरी सोशालिस्टा इन सभी पार्टी व्दारा राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक उम्मीदवार के रुप चुना गया था