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जगदीश सिंह खेहर जीवनी - Biography of Jagdish Singh Khehar in Hindi Jivani

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जस्टिस जगदीश सिंह खेहर का जन्म 28 अगस्त 1952 को हुआ था। 1974 में चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज से उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन किया।


उसके बाद 1977 में उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1979 में इसी यूनिवर्सिटी से उन्होंने एलएलएम किया जिसमें उनको गोल्ड मेडल मिला।


शिक्षा


वर्ष १९७४ में चंडीगढ़ के राजकीय कॉलेज से विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त की। वर्ष १९७७ में पंजाब विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक और १९७९ में एल एल एम् की उपाधि प्राप्त की। विश्वविद्यालय में अच्छे प्रदर्शन के लिए आप को स्वर्ण पदक भी मिला।


व्यवसाय


एडवोकेट के रूप में


    1979 :में इन्होंने वकालत प्रारम्भ की। इस अवधि में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ ,हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट तथा उच्चतम न्यायालय में वकालत की।


    1992 :में पंजाब में अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया।


    1995 : में वरिष्ठ एडवोकेट बने।


न्यायाधीश के रूप में


    2009 :29 नवम्बर 2009 – 7 अगस्त 2010 तक उत्तराखंड हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रहे।


    2010 :08 अगस्त 2010 से 12 सितम्बर 2011 तक कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे।


    2011 :13 सितम्बर 2011 से 03 जनवरी 2017तक उच्चतम न्यायालय ,भारत के न्यायाधीश।


    2017 :04 जनवरी 2017 से 27 अगस्त 2017 तक उच्चतम न्यायालय ,भारत के मुख्य न्यायाधीश।


पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में शुरू की प्रैक्टिस


जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने 1979 में वकील की प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट, शिमला और सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।


1992 के जनवरी में जस्टिस खेहर पंजाब के एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किए गए। इसके बाद उनको केंद्र शासित राज्य चंडीगढ़ का सीनियर स्टैंडिग काउंसेल बनाया गया। 1995 में वे सीनियर एडवोकेट बने।


उल्लेखनीय तथ्य


    कलीजियम व्यवस्था को लेकर अहम फैसला सुनाने वाले जगदीश सिंह खेहर की न्यायपालिका की सर्वोच्चता के बारे में राय बिल्कुल स्पष्ट है। उनकी अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने ही सरकार की महत्वाकांक्षी 'राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' (एन.जे.ए.सी.) कानून को खारिज कर दिया था। केन्द्र सरकार ने अगस्त, 2014 में एन.जे.ए.सी. एक्ट बनाया था। यह एक्ट संविधान संशोधन करके बनाया गया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि एन.जे.ए.सी. बनाने वाले कानून से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन होता है और 5 जजों की संविधान पीठ ने इसे खारिज कर दिया था। पीठ में न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, जे. चेलमेश्वर, मदन बी लोकुर, कुरियन जोजेफ और ए. के. गोयल शामिल थे।


    13 सितंबर, 2011 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने वाले जगदीश सिंह खेहर सख्त कानूनी प्रशासक माने जाते हैं। खेहर बार-बार सुनवाई को स्थगित करने की अपील कर कोर्ट का समय खराब करने वाले लोगों के प्रति बहुत कठोर हैं। सुप्रीम कोर्ट में किसी केस के मामले में पूरी तैयारी नहीं करके आने वाले वकीलों के प्रति भी खेहर नरमी से पेश नहीं आते। एक बार तो खेहर कोर्ट रूम से इसलिए बाहर चले गए थे, क्योंकि वकीलों ने अपने कागजात सही तरीके से पेश नहीं किए थे। दरअसल, जगदीश सिंह खेहर बार को यह संदेश देना चाहते थे कि वकीलों को अपना पूरा होमवर्क करके ही कोर्ट में आना चाहिए था।


    न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायाधीश के. एस. राधाकृष्णन की बेंच ने सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा को निवेशकों के पैसे नहीं लौटाने के कारण तिहाड़ जेल भेज दिया था। बाद में कुछ वरिष्ठ वकीलों ने आरोप लगाया कि रॉय के मामले की सही सुनवाई नहीं हुई और उनके साथ प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया। हालांकि इन आरोपों के बावजूद जगदीश सिंह खेहर ने इस मामले की दोबारा सुनवाई से इनकार कर दिया। बाद में एक नई बेंच के जिम्मे इस मामले को सौंपा गया। बावजूद इसके रॉय को दो साल से ज्यादा समय तक जेल में बिताने पड़े और उन्हें तभी परोल मिली, जब उनकी माँ का निधन हुआ।