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जगदीश भगवती, कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और विश्व प्रसिद्ध भारतीय अर्थशास्त्री हैं और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनुसंधान के खिलाफ मुक्त व्यापार की रक्षा के लिए जाना जाता है। भगवती ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के महानिदेशक के बाहरी सलाहकार के रूप में काम किया और वह पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान के उच्चस्तरीय सलाहकार थे।
जगदीश नटवरलाल भगवती का जन्म 26 जुलाई 1934 में बॉम्बे में एक गुजराती परिवार में हुआ था। उन्होंने सिडेनहेम कॉलेज (मुंबई) से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके पश्चात वे अर्थशास्त्र में दो साल का बीए (BA) का कोर्स करने के लिए कैम्ब्रिज चले गए। उन्होंने कैम्ब्रिज के सेंट जोन्स कॉलेज में दाखिला लिया और सन 1956 में अर्थशाष्त्र विषय में बीए की डिग्री प्राप्त की।
इसके बाद भगवती अमेरिका के मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी चले गए जहाँ से सन 1961 में उन्होंने अर्थशाष्त्र में पी.एच.डी (शोध) किया। उनके शोध का विषय था ‘एसेज इन इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’। उन्होंने अपना शोध चार्ल्स पी. किनडलबर्गर के देख-रेख में किया।
जगदीश नटवरलाल भगवती भारत के पूर्व मुख्य नयायाधीश पी.एन. भगवती और जाने-माने न्यूरोसर्जन एस.एन. भगवती के भाई हैं।
वर्तमान समय में, वह कोलंबिया में शैक्षणिक सलाहकार बोर्ड ऑफ ह्यूमन राइट्स वॉच (एशिया) में कार्यरत हैं और विदेश संबंधी परिषद के एक वरिष्ठ सहयोगी है। मई 2004 में, भगवती ने अपनी लिखी हुई किताब ‘इन डिफेंस ऑफ ग्लोबलाइजेशन’ को प्रकाशित किया जिससे उन्हें व्यापक प्रशंसा मिली। उनको 2000 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2004 में उन्होंने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीता।
कई किताबें लिखने के अलावा,वह कई प्रसिद्ध समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लेखों में योगदान दे रहे हैं। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में वैश्वीकरण की रक्षा, फ्री ट्रेड टूडे, द विंड ऑफ द हंड्रेड डेज और ए स्ट्रीम ऑफ विंडोज शामिल हैं और उन्हें कई विश्वविद्यालयों से सम्मानित डिग्री मिली है।
कैरियर
भगवती ने 2001 में विश्व व्यापार संगठन के बाहरी सलाहकार के रूप में काम किया, 2000 में संयुक्त राष्ट्र में एक विशेष नीति सलाहकार के रूप में काम किया और 1991 से 1993 तक व्यापार और शुल्क पर सामान्य करार के महानिदेशक के अर्थशास्त्र नीति सलाहकार के रूप में काम किया। 1968 से 1980 तक, भगवती ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में काम किया। भगवती वर्तमान में ह्यूमन राइट्स वॉच (एशिया) के अकादमिक सलाहकार बोर्ड में और द सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी के बोर्ड ऑफ़ स्कॉलर्स में काम कर रहे हैं। वह विदेश संबंध परिषद में एक वरिष्ठ सदस्य हैं।
2000 में, भगवती ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के साथ, अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के द्वारा संयोजित, एक सौहार्दपूर्ण ब्रीफिंग पर हस्ताक्षर किए थे, जो इस बात पर ज़ोर दे रहा था कि पूर्व नियमों के विपरीत, पर्यावरण संरक्षण एजेंसी को पर्यावरणीय मानकों की स्थापना करते वक्त विनियमनों की लागत को ध्यान में रखना चाहिए.
में, भगवती ने एक पुस्तक इन डिफेन्स ऑफ़ ग्लोबलाइजेशन (In Defense of Globalization) प्रकाशित की, जिसमें वे तर्क देते हैं "इस प्रक्रिया (ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण का) के पास एक मानव-चेहरा जरूर है, परन्तु हमें इस चेहरे को अधिक स्वीकार्य बनाने की आवश्यकता है।"
मई 2004 में, भगवती उन विशेषज्ञों में से एक थे जिन्होंने कोपेनहेगन सहमति (Copenhagen Consensus) परियोजना में हिस्सा लिया।
2006 में, भगवती उन प्रभावी व्यक्तियों के समूह के एक सदस्य थे, जिन्होंने यूएनसीटीएडी (UNCTAD) के कार्य की समीक्षा की. 2010 के प्रारंभ में, भगवती प्रवासी अधिकारों की इंस्टीट्यूट, सिअंजुर-इंडोनेशिया के सलाहकार बोर्ड में शामिल हो गए।
सम्मान और पुरस्कार
सन 1974 में इंडियन इकोनोमेट्रिक सोसाइटी ने उन्हें ‘महलानोबिस मेमोरियल मैडल’ से सम्मानित किया
सन 1982 में उन्हें ‘अमेरिकन अकैडमी ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंसेज’ का फेलो चुना गया
सन 1998 में उन्हें ‘सिडमैन डिसटिनगुइशड अवार्ड इन इंटरनेशनल पोलिटिकल इकॉनमी’ दिया गया
भारत सरकार ने सन 2000 में उन्हें ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया
सन 2004 में इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स ने ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया
सन 2006 में उन्हें जापान का प्रतिष्ठित ‘आर्डर ऑफ़ द राइजिंग सन’ दिया गया
बेर्न्हार्ड हार्म्स प्राइज
अमेरिका का कीनन एंटरप्राइज अवार्ड
स्विट्ज़रलैंड का ‘द फ्रीडम प्राइज’
अमेरिका का ‘जॉन आर. कॉमन्स पुरस्कार
ससेक्स और इरेस्मस विश्वविद्यालय द्वारा मानद डिग्री प्रदत्त की गई