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अर्नेस्तो "चे" गेवारा जीवनी - Biography of Che Guevara in Hindi Jivani

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अर्नेस्तो "चे" गेवारा अर्जेन्टीना के मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे जिन्होंने क्यूबा की क्रांति में मुख्य भूमिका निभाई। इन्हें एल चे या सिर्फ चे भी बुलाया जाता है। ये डॉक्टर, लेखक, गुरिल्ला नेता, सामरिक सिद्धांतकार और कूटनीतिज्ञ भी थे, जिन्होंने दक्षिणी अमरीका के कई राष्ट्रों में क्रांति लाकर उन्हें स्वतंत्र बनाने का प्रयास किया। इनकी मृत्यु के बाद से इनका चेहरा सारे संसार में सांस्कृतिक विरोध एवं वामपंथी गतिविधियों का प्रतीक बन गया है।


अर्नेस्टो ग्वेरा दे ला सेरना रोजारियो, अर्जेंटीना में एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए, जून 14,1928 पर पैदा हुआ था। बोलीविया सैन्य कि देश की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए एक failedguerrilla प्रयास के बाद ला Higuera के छोटे से शहर में अक्टूबर 9,1967 पर उसे मार डाला। ग्वेरा world.He के बहुत सबसे अच्छा क्यूबा के क्रांतिकारी सशस्त्र बलों में नंबर तीन कमांडर होने के लिए जाना जाता है, दुनिया भर hisshort जीवन के दौरान 1959 में फुल्गेंकियो बतिस्ता dictatorship.From क्यूबा को उखाड़ फेंका है कि यात्रा करने वाले एक समाजवादी क्रांतिकारी और astrong अंतर्राष्ट्रवादी था छापामारों उन्होंने कहा, “, अरे आप” उपनाम “चे,” मोटे तौर पर के रूप में अनुवाद किया जा सकता है कि आमतौर पर अर्जेंटीना में इस्तेमाल एक गुआरानी अभिव्यक्ति प्राप्त की और बाद में उसने सबसे अच्छा इस नाम से जाना गया। एक महाद्वीप चौड़ा क्रांति शुरू करने के लिए अपने प्रयासों को पूंजीवाद को उखाड़ फेंकने के लिए और एक समाजवादी स्वप्नलोक अंततः विफल रहा है की शुरूआत करने के लिए हालांकि, ग्वेरा उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष करने के लिए अपने निस्वार्थ समर्पण के लिए और सामाजिक न्याय के लिए प्रशंसा हो गया। पांच बच्चों की ज्येष्ठ, ग्वेरा विरोधी लिपिक विचारों को गले लगा लिया और स्पेन के गृह युद्ध में रिपब्लिकन का समर्थन किया है कि एक उदार-बाएँ परिवार से आया था। उनकी मां, सेलिया डे ला सेरना, उनकी सामाजिक चेतना के गठन पर एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव था। अपने पूरे जीवन में, ग्वेरा गंभीर अस्थमा के हमलों का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी वह मुश्किल खुद को धक्का दिया और एक खिलाड़ी के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।


चिकित्सीय शिक्षा के दौरान चे पूरे लातिनी अमरीका में काफी घूमे। इस दौरान पूरे महाद्वीप में व्याप्त गरीबी ने इन्हें हिला कर रख दिया। इन्होंने निष्कर्ष निकाला कि इस गरीबी और आर्थिक विषमता के मुख्य कारण थे एकाधिप्तय पूंजीवाद, नवउपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद, जिनसे छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका था - विश्व क्रांति। इसी निष्कर्ष का अनुसरण करते हुए इन्होंने गुआटेमाला के राष्ट्रपति याकोबो आरबेंज़ गुज़मान के द्वारा किए जा रहे समाज सुधारों में भाग लिया। उनकी क्रांतिकारी सोच और मजबूत हो गई जब १९५४ में गुज़मान को अमरीका की मदद से हटा दिया गया। इसके कुछ ही समय बाद मेक्सिको सिटी में इन्हें राऊल और फिदेल कास्त्रो मिले और ये क्यूबा की २६ जुलाई क्रांति में शामिल हो गए। चे शीघ्र ही क्रांतिकारियों की कमान में दूसरे स्थान तक पहुँच गए और बातिस्ता के राज्य के विरुद्ध दो साल तक चले अभियान में इन्होंने मुख्य भूमिका निभाई।


क्यूबा की क्रांति के पश्चात चे ने नई सरकार में कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए और साथ ही सारे विश्व में घूमकर क्यूबा के समाजवाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाया। इनके द्वारा प्रशिक्षित सैनिकों ने पिग्स की खाड़ी आक्रमण को सफलतापूर्वक पछाड़ा। ये सोवियत संघ से नाभिकीय प्रक्षेपास्त्र ले कर आए, जिनसे १९६२ के क्यूबन प्रक्षेपास्त्र संकट की शुरुआत हुई और सारा विश्व नाभिकीय युद्ध के कगार पर पहुँच गया। साथ ही चे ने बहुत कुछ लिखा भी है, इनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ हैं - गुरिल्ला युद्ध की नियम-पुस्तक और दक्षिणी अमरीका में इनकी यात्राओं पर आधारित मोटरसाइकल डायरियाँ


चे ग्वेरा एक जुनूनी क्रन्तिकारी थे. अपने अदम्य दुस्साहस, निरंतर संघर्षशीलता, अटूट इरादों व पूंजीवाद विरोधी मार्क्सवादी लेनिनवादी विचारधारा के कारन ही चे ग्वेरा आज पूरी दुनिया में युवाओ के महानायक है. वह चे ग्वेरा का ही जुनून था जिसमे 1959 में क्यूबा में क्रांति के बाद भी उन्हें चैन से बैठने नही दिया.


          मरने से पहले चे का सपना तो पूरी हकीकत में नही बदल पाया लेकिन उनका संघर्ष अवश्य हकीकत बन गया. उनके द्वारा किये गये संघर्ष से आज भी करोडो लोग प्रेरणा लेते है. चे मार्क्सवाद को समर्पित बीसवी सदी के शायद सबसे प्रतिबद्ध विचारक-योद्धा थे. क्योकि चे के बाद क्रांतिकारी समाजवाद की डोर लगभग कट सी गयी थी. चे एक कुशल लेखक और विचारक थे. उन्होंने युद्ध के विषय को लेकर अपनी एक पुस्तक “गुरिल्ला वारफेयर” भी लिखी. इतिहास का यह एक विद्रोही नेता सर्वश्रेष्ट कवी भी था. बोलिविया अभियान की असफलता को लेकर लिखी यह कविता उनकी आखरी वसीयत के समान है, “हवा और ज्वार” शीर्षक से लिखी गयी यह कविता उनके आदर्शवादी सोच की तरफ इशारा करती है. अपनी कविता में चे ने अपना सब कुछ क्रांति के नाम समर्पित करने को कहा था. वैसा उन्होंने किया भी. औपनिवेशक शोषक से मुक्ति तथा जनकल्याण हेतु क्रांति की उपयोगिता को उन्होंने न केवल पहचाना बल्कि उसके लिये आजीवन संघर्ष करते रहे. अंततः उसी के लिये अपने जीवन का बलिदान भी दिया.


          क्यूबा की क्रांति के पश्चात चे ने नई सरकार में कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए और साथ ही सारे विश्व में घूमकर क्यूबा के समाजवाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाया। इनके द्वारा प्रशिक्षित सैनिकों ने पिग्स की खाड़ी आक्रमण को सफलतापूर्वक पछाड़ा। ये सोवियत संघ से नाभिकीय प्रक्षेपास्त्र ले कर आए, जिनसे १९६२ के क्यूबन प्रक्षेपास्त्र संकट की शुरुआत हुई और सारा विश्व नाभिकीय युद्ध के कगार पर पहुँच गया। साथ ही चे ने बहुत कुछ लिखा भी है, इनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ हैं - गुरिल्ला युद्ध की नियम-पुस्तक और दक्षिणी अमरीका में इनकी यात्राओं पर आधारित मोटरसाइकल डायरियाँ। १९६५ में चे क्यूबा से निकलकर कांगो पहुंचे जहाँ इन्होंने क्रांति लाने का विफल प्रयास किया। इसके बाद ये बोलिविया पहुँचे और क्रांति उकसाने की कोशिश की, लेकिन पकड़े गए और इन्हें गोली मार दी गई।


          मृत्यु के बाद भी चे को आदर और धिक्कार दोनों ही भरपूर मिले हैं। टाइम पत्रिका ने इन्हें २०वीं शताब्दी के १०० सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की सूची में शामिल किया। चे की तस्वीर गेरिलेरो एरोइको को विश्व की सबसे प्रसिद्ध तस्वीर माना गया है