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बेंजामिन फ्रैंकलिन जीवनी - Biography of benjamin franklin in Hindi Jivani

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        बेंजामिन फ्रैंकलिन संयुक्त राज्य अमेरिका के संस्थापक जनकों में से एक थे। एक प्रसिद्ध बहुश्रुत, फ्रैंकलिन एक प्रमुख लेखक और मुद्रक, व्यंग्यकार, राजनीतिक विचारक, राजनीतिज्ञ, वैज्ञानिक, आविष्कारक, नागरिक कार्यकर्ता, राजमर्मज्ञ, सैनिक, और राजनयिक थे। एक वैज्ञानिक के रूप में, बिजली के सम्बन्ध में अपनी खोजों और सिद्धांतों के लिए वे प्रबोधन और भौतिक विज्ञान के इतिहास में एक प्रमुख शख्सियत रहे। उन्होंने बिजली की छड़, बाईफोकल्स, फ्रैंकलिन स्टोव, एक गाड़ी के ओडोमीटर और ग्लास 'आर्मोनिका' का आविष्कार किया।


        उन्होंने अमेरिका में पहला सार्वजनिक ऋण पुस्तकालय और पेंसिल्वेनिया में पहले अग्नि विभाग की स्थापना की। वे औपनिवेशिक एकता के शीघ्र प्रस्तावक थे और एक लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने एक अमेरिकी राष्ट्र के विचार का समर्थन किया। अमेरिकी क्रांति के दौरान एक राजनयिक के रूप में, उन्होंने फ्रेंच गठबंधन हासिल किया, जिसने अमेरिका की स्वतंत्रता को संभव बनाने में मदद की। फ्रेंकलिन को अमेरिकी मूल्यों और चरित्र के आधार निर्माता के रूप में श्रेय दिया जाता है, जिसमें बचत के व्यावहारिक और लोकतांत्रिक अतिनैतिक मूल्यों, कठिन परिश्रम, शिक्षा, सामुदायिक भावना, स्व-शासित संस्थानों और राजनीतिक और धार्मिक स्वैच्छाचारिता के विरोध करने के संग, प्रबोधन के वैज्ञानिक और सहिष्णु मूल्यों का समागम था।


        हेनरी स्टील कोमगेर के शब्दों में, "फ्रैंकलिन में प्यूरिटनवाद के गुणों को बिना इसके दोषों के और इन्लाईटेनमेंट की प्रदीप्ति को बिना उसकी तपिश के समाहित किया जा सकता है।" वाल्टर आईज़ेकसन के अनुसार, यह बात फ्रेंकलिन को, "उस काल के सबसे निष्णात अमेरिकी और उस समाज की खोज करने वाले लोगों में सबसे प्रभावशाली बनाती है, जैसे समाज के रूप में बाद में अमेरिका विकसित हुआ


आरम्भिक जीवन :


        बेंजामिन फ्रैंकलिन का जन्म 17 अप्रैल, 1790 को हुआ। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के संस्थापकों में से एक थे। वे राजनीतिज्ञ ही नहीं, एक लेखक, व्यंग्यकार, वैज्ञानिक, आविष्कारक, सैनिक, राजनयिक एवं नागरिक कार्यकर्ता भी थे। एक वैज्ञानिक के रूप में उन्होंने बिजली की छड़, बाईफोकल्स, फ्रैंकलिन स्टोव, एक गाड़ी के ऑडोमीटर और ‘ग्लास आर्मोनिका’ का आविष्कार किया। वे हरफनमौला थे। अनेक विषयों और अनेक क्षेत्रों के धुरंधर भी। फ्रैंकलिन को अमेरिका जीवन-मूल्यों और चारित्रिक गुण निर्माता के रूप में सम्मान दिया जाता है।


        फ्रैंकलिन एक अखबार के संपादक, मुद्रक और फिलाडेल्फिया में व्यापारी बने, जहाँ ‘पुअर रिचर्डस आल्मनैक’ और ‘द पेंसिल्वेनिया गजेट’ के लेखन व प्रकाशन से उन्होंने अपार धन अर्जित किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनकी बहुत दिलचस्पी थी। अपने अदभुत् प्रयोगों के लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय की स्थापना में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन् 1785 से 1788 तक वे सुप्रीम एक्जिक्यूटिव काउंसिल ऑफ पेंसिल्वेनिया के अध्यक्ष रहे। अपने जीवन के आखिरी समय में वे सबसे प्रमुख समस्या दासप्रथा के घोर विरोधी बन गए। यह प्रेरणाप्रद आत्मकथा उस महान् विभूति के बहुआयामी व्यक्तित्व का सांगोपांग परिचय देती है।


        12 वर्ष की उम्र में ही अपने भाई जेम्स के प्रिंटिंग प्रेस में एक प्रशिक्षु के रूप में उन्होंने कार्य करना शुरू कर दिया. संभवतः यहीं से उन्हें पढ़ने और लेखन में रुचि लगी होगी. भाइयों में विवाद होने के बाद बेंजामिन न्यूयार्क होते हुए 1723 में फिलाडेल्फिया पहुंचे. तमाम उतार- चढ़ाव के बाद उन्होंने अपना प्रिंटिंग प्रेस स्थापित किया और ‘द पेंसिलवैनिया गजट’ का प्रकाशन आरम्भ किया, फिर 1732 में प्रसिद्द ‘पुअर रिचर्ड्स एलमैनक’ जारी किया. 1758 में उन्होंने ‘एलमैनक’ में स्वयं के लेखों का प्रकाशन रोक दिया. उन्होंने उसमें ‘फादर अब्राहम सरमन’ को छापना प्रारम्भ किया, जिसे औपनिवेशिक अमेरिका में साहित्य का प्रसिद्द हिस्सा माना जाता है.


        इसके साथ राजनीति में उन्होंने अपनी छवि एक कुशल प्रशासक की स्थापित की, जबकि नौकरियों में भाई – भतीजावाद जैसे मुद्दों के कारण वह विवादग्रस्त भी रहे. इसी क्रम में 1777 में संयुक्त राज्य अमेरिका के आयुक्त (कमिश्नर) के रूप में फ़्रांस भेज दिया गया. वहां 1785 तक रहकर उन्होंने अपने देश का कामकाज बड़ी कुशलता एवं बुद्धिमत्तापूर्वक निभाया. अंततः जब वे स्वदेश लौटे तो अमेरिका की स्वतंत्रता के लिए जार्ज वाशिंगटन के बाद उन्हें दूसरा स्थान अर्जित करने का श्रेय हासिल हुआ. 17 अप्रैल 1790 को उनका देहावसान हुआ. बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा को औप निवेशिक दौर के सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में से एक तथा दुनिया की महान आत्मकथाओं में प्रतिष्ठा प्राप्त है.


        वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने अंध - महासागर मे गर्त की धारा की गति का अध्ययन किया। उन्होंने अपना बहुत सारा समय इस धारा के तापमान वेग और गहराई को मापने में लगाया। फ्रेंकलिन ने नौसेना अधिकारियों और वैज्ञानिकों को यह दिखाया की उथल-पुथल वाले सागर को भी मल्लाह लोग इसमें तेल डालकर शांत कर सकते हैं। लाइटिंग कंडक्टर के अलावा और भी अनेक उपकरण इस वैज्ञानिक द्वारा विकसित किए गए।


        फ्रैंकलिन द्वारा विकसित स्टोव कमरों को गर्म करने के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ। उनका यह स्टोव एक ऐसा उपकरण था जिसके द्वारा एक चौथाई ईंधन का प्रयोग करने पर दोगुनी ऊष्मा पैदा की जा सकती है। फ्रैंकलिन ने बिओ फोकल नेत्र लेंसों का भी आविष्कार किया। जिन्हें आज तक प्रयोग किया जाता है। इस अविष्कार के आधार पर ऐसे चश्मों का निर्माण संभव हुआ जिनके द्वारा नजदीक की पुस्तकों को पढ़ना तथा दूर की वस्तुओं को एक साथ देखना संभव हो गया हैं।


प्रयोग :


        फ्रैंकलिन ने घर में बनी हुई एक पतंग आकाश में उड़ाई। उस समय बरसात का मौसम था और बादल छाए हुए थे। इस पतंग को बनाने के लिए उन्होंने एक बड़ा रेशमी रूमाल लिया और उसे लकड़ी की पट्टियों से बने क्रॉस पर बांध दिया। लकड़ी की एक खड़ी पर लोहे का तार इस प्रकार लगा दिया कि वह पतंग के सिरे से एक फुट बाहर रहे। उसने पतंग को उड़ाने के लिए एक डोरी इस्तेमाल की और डोरी के सिरे पर सिल्क का एक रिबन बांध दिया। डोरी तथा सिल्क के मिलने वाले स्थान पर उन्होंने लोहे की एक बड़ी चाबी लगा दी।


        पतंग को उड़ाने के लिए वे एक शेड के नीचे खड़े हो गए ताकि सिल्क का रिबन वर्षा से भीग न जाए। इसके भीगने पर उन्हें विधुत का झटका लग सकता था। पतंग उड़ती रही। फ्रैंकलिन ने अपनी अंगुलियों की गांठ को चाबी के पास रखा, जहां से अनेक स्फुलिंग निकल रहे थे। इस प्रयोग के आधार पर उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि बादलों की विशाल विधुत को बादलों से जमीन तक लाया जा सकता है। इसी के आधार पर विशाल भवनों को बादलों की विधुत से सुरक्षा प्रदान करने के लिए तड़ित चालकों का विकास किया गया।


        बैंजामिन फ्रैंकलिन ने विशाल भवनों को बिजली की कड़क और तड़ित द्वारा होने वाली हानि से बचाने के लिए स्वयं एक विधि विकसित की। उनके द्वारा विकसित विधि कुछ इस प्रकार है - इतनी लम्बी लोहे की एक पतली छड़ ली जाए, जिसका एक सिरा गीली जमीन में तीन चार फुट नीचे हो तथा दूसरा सिरा इमारत के सबसे ऊंचे भाग से छः-सात फुट ऊपर निकला रहे। छड़ के ऊपरी सिरे पर लगभग एक फुट लम्बा पीतल का पतला तार बांध दिया जाए, जिसका सिरा नुकीला हो। यदि भवन में ऐसी व्यवस्था कर दी जाए तो उसको तड़ित से कोई हानि नहीं पहुंचेगी, बल्कि तड़ित नुकीले सिरे द्वारा आकर्षित होकर बिना किसी हानि पहुंचाए धातु की छड़ में से होती हुई जमीन के भीतर पहुंच जाएगी।


विचार :


• जिसके पास धैर्य है वह जो चाहे वो पा सकता है.

• मछलियों कि तरह मेहमान भी तीन दिन बाद महकने लगते हैं.

• अर्ध-सत्य अक्सर एक बड़ा झूठ होता है.

• ईश्वर उसकी मदद करता है जो खुद अपनी मदद करता है.

• कुछ ऐसा लिखें जो पढने लायक हो या कुछ ऐसा करें जो लिखने लायक हो.

• संतोष गरीबों को अमीर बनाता है, असंतोष अमीरों को गरीब.

• अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं है जितना कि सीखने की इच्छा ना रखना.

• निश्चितरूप से इस दुनिया में कुछ भी निश्चित नहीं है सिवाय मौत और करों के.

• एक मकान तब तक घर नहीं बन सकता जब तक उसमे दिमाग और शरीर दोनों के लिए भोजन और भभक ना हो.

• बीस साल की उम्र में इंसान अपनी इच्छा से चलता है,तीस में बुद्धि से और चालीस में अपने अनुमान से.

• तैयारी करने में फेल होने का अर्थ है फेल होने के लिए तैयारी करना.

• छोटे-छोटे खर्चों से सावधान रहिये . एक छोटा सा छेद बड़े से जहाज़ को डूबा सकता है

• हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु।

• चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।

• यदि कोई व्यक्ति अपने धन को ज्ञान अर्जित करने में ख़र्च करता है, तो उससे उस ज्ञान को कोई नहीं छीन सकता! ज्ञान के लिए किये गए निवेश में हमेशा अच्छा प्रतिफल प्राप्त होता है!

• धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी, जितना अधिक व्यक्ति के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है। धन रिक्त स्थान को भरने के बजाय शून्यता को पैदा करता है।

• क्रोध कभी भी बिना कारण नहीं होता, लेकिन कदाचित ही यह कारण सार्थक होता है।

• बुद्धिमान व्यक्तियों की सलाह की आवश्यकता नहीं होती है, मूर्ख लोग इसे स्वीकार नहीं करते हैं।

• जीवन में दुखद बात यह है कि हम बड़े तो जल्दी हो जाते हैं, लेकिन समझदार देर से होते हैं.

• थकान सबसे अच्छी तकिया है.

• ईश्वर उसकी मदद करता है जो खुद अपनी मदद करता है.

• परिश्रम सौभाग्य की जननी है.


म्रुत्यू :


        17 अप्रैल, 1790 को उनका देहावसान हुआ। विज्ञानं और राजनीती की सेवा में अपनी अलग ही छाप छोड़ने वाले इस महान वैज्ञानिक को सदैव यद् किया जायेगा।