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नाम : अवाबाई बोमनजी वाडिया
जन्म तिथि : 18 सितंबर 1913
ठिकाण : कोलंबो, श्रीलंका
व्यावसाय : सामाजिक कार्यकर्ता
पती : बोमनजी खुरशेदजी वाडीया
प्रारंभिक जीवन :
अवाबाई का जन्म 18 सितंबर 1913 को कोलंबो, ब्रिटीश सीलोन श्रीलंका मे हुआ था |जो गुजरात भारत मे जडो के साथ एक समृध्दा और अत्याधिक पश्चिमी पारसी परिवार के रुप मे या | उनके पिता दोशबजी मुंचेरजी एक अच्छी तरह से रखे गए शिपिंग अधिकारी थे | और उनकी मॉ पिरोजबाई अर्सेवाला मेहता, जो एक घर बनाने वाली कंपनी थी| कोलंबो मे शुरुआती स्कूली शिक्षा के बाद, अवाबाई 1928 मे 15 वर्षे की आयू मे इग्लैंड चली गई और ब्रोडसबररी और किलबर्न हाई स्कूल लंदन मे अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी |
1941 मे अवाबाई के पिता ने अपनी नौकरी से सेवानिवृत्ता हो गए थे | और अपनी जन्मभूमि पर लौटने का फैसला किया था | यह परिवार 1941 मे सीलोन से भारत आ गया और स्थायी रुप से बॉम्बे मे बस गया था | इधर, अवाबाई अपने भावी पति, बोमनजी खुरदशेदजी वाडिया से मिला था | और उन्होने 26 अप्रैल 1946 को शादी कर ली | दंपति जल्द ही शादी के बंधन मे बंध गए थे | लेकिन कानूनी रुप से कभी तलाक नही हुआ | अवाबाई 1952 मे गर्भवती हो गई, लेकिन गर्भपात हो गया, जिसके बाद इस जोडे ने साथ रहने का कोई और प्रयास नही किया |
कार्य :
अवाबाई 1932 मे इन्सं ऑफ कोर्ट मे शामिल हुई थी | 1934 मे एक वकील के रुप मे दाखिला लिया, बार परीक्षाओं मे सफल होने वाली पहली श्रीलंकाई महिला बन गई थी | उन्होने एक वर्षे 1936:37 के लिए हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस, लंदन मे अभ्यासक किया था| एक कानून की छात्रा के रुप मे वह कॉमनवेथ्या कंट्रीज लीग और इंटरनेशनल एलायंस ऑफ वीमेन का हिस्सा रही थी | और कई रैलियों और पिकेटिंग कार्यक्रमों मे भाग लिया था |
वह भारतीय स्वातंत्रता आंदोलन के विभिन्ना नेताओं से भी मिले थे | महात्मा गांधी, मुदम्माद अली जिन्ना ओर जवाहरलाल नेहरु शामिल थे | जब वे इग्लैंड गए थे ये एसोसिएश्ंन उसके खिलाफ तब आयोजित किए गए जब उसने जूनियर वकिल के रुप मे किसी पद के लिए किसी लॉ फर्म मे आवेदन किया था | नेहरु के साथ जुडने से वित्ता पोषित अवाबाई ने भारत मे आयोजित होने वाले योजनाबध्दा पितृत्वा पर तीसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है |
अवाबाई ने कई सरकारी समितियों के लिए आईपीपीएफ के अध्याक्षा के रुप मे सेवारत एक समृध्दा सामाजिक जीवन ओर करियर का संयोजन किया था | यह राष्ट्रपति के रुप मे उनके कार्यकाल के दौरान आईपीपीएफ को संयुक्ता राष्ट्रा जनसंख्या पूरस्कार प्राप्ता किया | 1958 मे बॉम्बे मे जुवेनाइल कोर्ट के मजिस्ट्रेट भी नियुक्त किया गया था | अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की उपाध्याक्ष थी | जो भारत की जनसंख्या फाउंडेशन की गवर्निग काऊंसिल की सदस्या थी | और जर्नल ऑफ फैमिली वेलफेयर की मानद संपादक थी | 1956 के बाद से उसने यौन स्वास्था और परिवार नियोजन के विषयों और उसकी कुछ चर्चाओं पर विस्तार से लिया है|
1) युवा पीढी के लिए जनसंख्या शिक्षा
2) परिवार नियोजन और जनसंख्या नीति को बढावा देने मे स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका
3) महिलाओं के लिए कुछ करियर
4) प्रथम डॉ.सी.चंद्रशेखरन मेमोरियल लेक्चार की कार्यवाही जनसंख्या और विकास पर 30 अक्टूबर 2001 बदलते परिश्या
5) जनसंख्या विकास और पर्यावरण
6) प्रकाश हम सभी का होगा
7) वह संस्मरण 2001 मे अंतर्राष्ट्रीय योजनाबध्दा पितृत्वा फेडरेशन व्दारा द लाइट इज आवर नाम से प्रकाशित किया गया था |
पूरस्कार और सम्मान :
1) श्री वेंकटेश्वर विश्वाविदयालय तिरुपति मे अवबाई बोमनजी वाडिया को डिग्री डॉक्टर ऑफ लॉ मानसम्मान से सम्मानित किया था |
2) भारत सरकार ने उन्हे 1971 मे पदमश्री के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया है |
3) उन्होने अपनी व्याक्तिगत संपत्ति का एक हिस्सा द रिसर्च सेंटर फॉर वुमेन स्टडीज|
4) डॉ.अवबाई और डॉ.बोमनजी खूशीजी वाडिया आर्काइव का प्रबंधन करती है |
5) अवाबाई वाडिया मेमोरियल ट्रस्टा की स्थापना की गई है|