Deoxa Indonesian Channels

lisensi

Advertisement

" />
, 18:43 WIB
राजनेता

अरविंद केजरीवाल जीवनी - Biography of Arvind Kejriwal in Hindi Jivani

Advertisement


        केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के सिवानी गांव में हुआ था। गोविंद और गीता केजरीवाल उनके पिता और माता हैं। वे अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनके पिता भी एक इंजीनियर थे जिन्होंने पिलानी के बिड़ला इंस्टीट्‍यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस से डिग्री ली थी। अरविंद का बचपन सोनीपत, मथुरा और हिसार में बीता।


        केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और टाटा स्टील में काम करने के बाद वे 1992 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। वे मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी, रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केन्द्र से भी जुड़े रहे हैं। 2006 में जब वे आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी। 

  

        अरविंद का विवाह सुनीता से हुआ जो खुद भ‍ी एक आईआरएस अधिकारी हैं और फिलहाल आयकर विभाग में अतिरिक्त आयुक्त हैं। दम्पति के दो बच्चे हैं, जिनसे एक बेटी हर्षिता और बेटा पुलकित है। केजरीवाल ने 'स्वराज' नामक एक पुस्तक भी लिखी है। वे शाकाहारी हैं, हालांकि कुछेक महीनों के लिए वे मांसाहारी बन गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने मांसाहार छोड़ दिया और वे पिछले कई वर्षों से विपासना का का अभ्यास कर रहे हैं।  


        केजरीवाल कहते हैं कि बचपन की यादें बहुत धुंधली हैं. लेकिन गर्मियों की आलस भरी छुट्टियां साथ बिताने वाले चचेरे-ममेरे भाई-बहनों और सोनीपत तथा गाजियाबाद में अंग्रेजी माध्यम के मिशनरी स्कूलों में पढऩे के बाद हिसार के कैंपस स्कूल में उनके साथ पढ़े दोस्तों को अरविंद के गुण और उनकी शैतानियां बखूबी याद हैं. केजरीवाल अकसर क्लासरूम में चुपचाप बैठे रहते थे. सपाट चिकने चेहरे वाले दुबले से लड़के के बाल हमेशा करीने से कढ़े होते थे. अरविंद बहुत ज्यादा बाहर घूमने-फिरने वाला लड़का नहीं था. उसे क्रिकेट और फुटबॉल की बजाए शतरंज और किताबों का शौक था. उसके हाथ में एक पेंसिल और स्केच बुक हमेशा रहती थी. 11 साल की उम्र का होने तक वह जो भी चीज देखता उसका चित्र बना देता था. फिर चाहे वह पेड़ हो, इमारतें हो, कोई जानवर या कमरे में रखी हुई कोई चीज.


        बारा मोहल्ले में नाना के घर में हर गर्मी की छुट्टी में नौ-दस ममेरे भाई-बहन इधर-उधर दौड़ते फिरते रहते थे. लेकिन केजरीवाल आज की तरह उनके समूह के नेता नहीं थे. नेता बनने की बजाए वह उनके झुंड में शामिल हो जाया करता था. उस समूह की ज्ञान बघारने वाली रिश्ते की बहन कुसुम गोयल थीं, जो अब दिल्ली के पश्चिम विहार में चार्टर्ड अकांउटेंट हैं. बचपन के उनके खेलों में ऊंच-नीच और विष-अमृत जैसे खेल शामिल थे. सन् 2000 में जब तक देश में टेक्नोलॉजी की धूम नहीं मच गई, तब तक हिंदुस्तान के मध्यवर्गीय बच्चों के बीच ऐसे ही खेल लोकप्रिय थे.


        शुरूआत में अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरकारी काम में भ्रष्टाचार एवं पारदर्शिता की कमी के कारण उन्होंने फरवरी 2006 में आईआरएस सेवा से इस्तीफा दे दिया।दूसरों को प्रेरित करने के लिए अरविंद केजरीवाल ने स्वयं अपने संस्थान के माध्यम से एक आरटीआई पुरस्कार की शुरुआत की।

        

        जिसे बाद में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया।6 फरवरी 2007 को, अरविंद को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन 'इन्डियन ऑफ़ द इयर' के लिए नामित किया गया।आम आदमी पार्टी के नाम से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना अरविंद केजरीवाल एवं लोकपाल आंदोलन के सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर की गई।



        2 अक्तूबर, 2012 को अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी पहनकर की। टोपी पर उन्होंने लिखवाया, "मैं आम आदमी हूं।"2013 के दिल्ली विधान सभा चुनावों मे अरविंद केजरीवाल ने लगातार 15 साल से दिल्ली की मुख्यमंत्री रही श्रीमति शीला दीक्षित को 25864 मतों से हराया।दिल्ली के 7वें मुख्यमन्त्री के रूप में वह 28 दिसम्बर, 2013 से 14 फ़रवरी, 2014 तक कुल 49 दिन रहे। 28 दिसम्बर 2013 से 14 फ़रवरी 2014 तक 49 दिन दिल्ली के मुख्यमन्त्री के रूप में कार्य करते हुए अरविन्द लगातार सुर्खियों में बने रहे। नवभारत टाइम्स ने लिखा – “केजरी सरकार: ऐक्शन, ड्रामा, इमोशन, सस्पेंस का कंप्लीट पैकेज।


        मुख्यमन्त्री बनते ही पहले तो उन्होंने सिक्योरिटी वापस लौटायी। फिर बिजली की दरों में 50% की कटौती की घोषणा कर दी। दिल्ली पुलिस व केन्द्रीय गृह मन्त्रालय के खिलाफ उन्होंने धरना भी दिया। इसके बाद रिटेल सैक्टर में एफडीआई को खारिज किया और सबसे बाद जाते-जाते फरवरी 2014 में उन्होंने भूतपूर्व व वर्तमान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा व वीरप्पा मोईली तथा भारत के सबे बड़े उद्योगपतिमुकेश अंबानी व उनकी कम्पनी रिलायंस के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिये।


        जनलोकपाल बिल भी एक प्रमुख मुद्दा रहा जिस पर उनका दिल्ली के लेफ्टिनेण्ट गवर्नर, विपक्षी दल भाजपा और यहाँ तक कि समर्थक दल काँग्रेस से भी गतिरोध बना रहा। जनलोकपाल मुद्दे पर हुए आंदोलन से ही अरविन्द पहली बार देश में जाने गये थे। वे इसे कानूनी रूप देने के लिये प्रतिबद्ध थे। परन्तु विपक्षी दल कोंग्रेस एवं भाजपा बिल ने बिल को असंवैधानिक बताकर विधानसभा में बिल पेश करने का लगातार विरोध किया। विरोध के चलते 14 फ़रवरी को दिल्ली विधान सभा में यह बिल रखा ही न जा सका। विधान सभा में कांग्रेस और बीजेपी के जनलोकपाल बिल के विरोध में एक हो जाने पर और भ्रष्ट नेताओ पर लगाम कसने वाले इस जनलोकपाल बिल के गिर जाने के बाद उन्होंने नैतिक आधार पर मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया।


आम आदमी पार्टी का गठन :


        2 अक्तूबर 2012 को महात्मा गाँधी और लालबहादुर शास्त्री के चित्रों से सजी पृष्ठभूमि वाले मंच से अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी। उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी, जो अब "अण्णा टोपी" भी कहलाने लगी है, पहनी थी। वो शायद वही नारा लिखना पसंद करते जो पूरे "अन्ना आंदोलन" के दौरान टोपियों पर दिखाई देता रहा, "मैं अन्ना हजारे हूं।"


        लेकिन उन्हें अन्ना के नाम और तस्वीर के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं है। इसलिए उन्होंने लिखवाया, "मैं आम आदमी हूं।" उन्होंने 2 अक्टूबर 2012 को ही अपने भावी राजनीतिक दल का दृष्टिकोण पत्र भी जारी किया। आम आदमी पार्टी के गठन की आधिकारिक घोषणा अरविंद केजरीवाल एवं लोकपाल आंदोलन के बहुत से सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली स्थित स्थानीय जंतर मंतर पर की गई।


दिल्ली के मुख्यमन्त्री :


        २८ दिसम्बर २०१३ से १४ फ़रवरी २०१४ तक ४९ दिन दिल्ली के मुख्यमन्त्री के रूप में कार्य करते हुए अरविन्द लगातार सुर्खियों में बने रहे। नवभारत टाइम्स ने लिखा - "केजरी सरकार: ऐक्शन, ड्रामा, इमोशन, सस्पेंस का कंप्लीट पैकेज।"


        मुख्यमन्त्री बनते ही पहले तो उन्होंने सिक्योरिटी वापस लौटायी। फिर बिजली की दरों में 50% की कटौती की घोषणा कर दी। दिल्ली पुलिस व केन्द्रीय गृह मन्त्रालय के खिलाफ उन्होंने धरना भी दिया। इसके बाद रिटेल सैक्टर में एफडीआई को खारिज किया और सबसे बाद जाते-जाते फरवरी २०१४ में उन्होंने भूतपूर्व व वर्तमान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा व वीरप्पा मोईली तथा भारत के सबे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी व उनकी कम्पनी रिलायंस के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिये।


        जनलोकपाल बिल भी एक प्रमुख मुद्दा रहा जिस पर उनका दिल्ली के लेफ्टिनेण्ट गवर्नर, विपक्षी दल भाजपा और यहाँ तक कि समर्थक दल काँग्रेस से भी गतिरोध बना रहा। जनलोकपाल मुद्दे पर हुए आंदोलन से ही अरविन्द पहली बार देश में जाने गये थे। वे इसे कानूनी रूप देने के लिये प्रतिबद्ध थे। प


        रन्तु विपक्षी दल कोंग्रेस एवं भाजपा बिल ने बिल को असंवैधानिक बताकर विधानसभा में बिल पेश करने का लगातार विरोध किया। विरोध के चलते १४ फ़रवरी को दिल्ली विधान सभा में यह बिल रखा ही न जा सका। विधान सभा में कांग्रेस और बीजेपी के जनलोकपाल बिल के विरोध में एक हो जाने पर और भ्रष्ट नेताओ पर लगाम कसने वाले इस जनलोकपाल बिल के गिर जाने के बाद उन्होंने नैतिक आधार पर मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया।



सम्मान और पुरस्कार :


2004: अशोक फैलो, सिविक अंगेजमेंट

2005: 'सत्येन्द्र दुबे मेमोरियल अवार्ड', आईआईटी कानपुर, सरकार पारदर्शिता में लाने के लिए उनके अभियान हेतु

2006: उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

2006: लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन, 'इन्डियन ऑफ़ द इयर'

2009: विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए आईआईटी खड़गपुर।


पुस्तकें :


सूचना का अधिकार: व्यवहारिक मार्गदर्शिका- सह लेखक - विष्णु राजगडिया, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2007 में प्रकाशित।