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कलाकार

यश चोपड़ा जीवनी - Biography of Yash Chopra in Hindi Jivani

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यश चोपड़ा हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक थे। बाद में उन्होंने कुछ अच्छी फिल्मों का निर्माण भी किया। उन्होंने अपने भाई बी० आर० चोपड़ा और आई० एस० जौहर के साथ बतौर सहायक निर्देशक फिल्म जगत में प्रवेश किया। 1959 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म धूल का फूल बनायी थी। उसके बाद 1961 में धर्मपुत्र आयी। 1965 में बनी फिल्म वक़्त से उन्हें अपार शोहरत हासिल हुई। उन्हें फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। बालीवुड जगत से फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया।


यश चोपड़ा बॉलीवुड के पर्याय हैं। इस प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक का जन्म 27 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। यश चोपड़ा ने आई.एस. जौहर के सहायक के रूप में फिल्मी करियर की शुरूआत की थी। उसके बाद अपने बड़े भाई बी.आर.चोपड़ा के साथ काम करने लगे। उन्होंने अपने भाई के बैनर बी.आर. फिल्मस तले पांच फिल्मों का निर्देशन किया – धूल का फूल (1959), धर्मपुत्र (1961), वक्त (1965) इत्तिफाक (1969) एवं आदमी और इंसान (1969)।


इन फिल्मों के अलावा भी यश चोपड़ा ने वीर-जारा (2004), दिल तो पागल है (1997), डर (1993), परम्परा (1992), लम्हे (1991), चांदनी (1989), विजय (1988), फासले (1985), मशाल (1984), सिलसिला (1981), काला पत्थर (1979) त्रिशूल (1979) कभी-कभी (1976), दीवार (1975), दाग (1973), इत्तिफाक (1969) आदमी और इंसान (1969), वक्त (1965), धर्मपुत्र (1961) और धूल का फूल (1959) जैसी कई सुपरहिट फिल्में निर्देशन किया।


यश चोपड़ा की फिल्मों का संगीत लोकप्रिय रहा है। उनके बेटे आदित्य चोपड़ा आधिकारिक रूप से एक प्रसिद्ध निर्देशक बन गए हैं, जिन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘मोहब्बतें’ जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है। यश चोपड़ा को उनके जीवनकाल में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। अपनी फिल्मों में स्विट्ज़रलैंड को बढ़ावा देने के कारण स्विस सरकार ने उन्हें सम्मानित किया। वर्ष 2001 में, ‘दादा साहब फाल्के अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया, यश चोपड़ा एकमात्र ऐसे फिल्म निर्माता थे, जिन्होंने फिल्मफेयर पुरस्कार ग्यारह बार जीता। वह भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी रहे और फिल्म उद्योग वेलफेयर ट्रस्ट के फाउंडर ट्रस्टी थे। इसके अलावा वह भारतीय फिल्म जगत के एक ऐसे फिल्म निर्माता है, जिन्हें हिंदी सिनेमा में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए दो बार ‘बीबीसी एशिया पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।


किंग ऑफ़ रोमांस


बॉलीवुड में रोमांस के अलग-अलग स्‍वरूप को परदे पर ढालने वाले यश चोपड़ा ने रोमांस को जितने रंगों में दिखाया उतना बॉलीवुड का कोई निर्देशक नहीं दिखा सका, इसीलिए यश चोपड़ा को बॉलीवुड का रोमांस किंग यानी ‘किंग ऑफ़ रोमांस’ कहा जाता है। यश चोपड़ा ने रोमांस को जुनूनी तौर पर, पागलपन के तौर पर, कुर्बानी के तौर पर, दु:ख-दर्द बांटने के तौर पर, कॉमेडी और थ्रिलर के साथ यानी हर तरह से प्‍यार को दिखाने की कोशिश की। यश चोपड़ा वहीं शख्‍सियत हैं जिन्‍होंने सिल्‍वर स्‍क्रीन पर प्‍यार और रोमांस की नई परिभाषा गढ़ी।


निधन


'रोमांस के बादशाह' फ़िल्म निर्माता यश चोपड़ा का निधन 21 अक्टूबर 2012, रविवार को मुंबई के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया था। फ़िल्म इंडस्ट्री के तमाम लोगों ने उनकी मौत को भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी हानि बताया। गौरतलब है कि प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा 80 साल के थे और उन्हें डेंगू से पीड़ित होने के बाद लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यश चोपड़ा ने बॉलीवुड के प्रतिष्ठित बैनर यशराज फ़िल्म्स की नींव रखी। यश चोपड़ा ने बॉलीवुड के सुपरस्टार दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के साथ के कई फ़िल्में बनाईं। 'दीवार', 'सिलसिला', 'त्रिशूल', 'चांदनी', 'लम्हे' और 'डर', 'वीर ज़ारा' जैसी उनकी अनेक फ़िल्मों ने लोगों का ख़ूब मनोरंजन किया और यह अपने-अपने समय की सुपरहिट फ़िल्में रहीं।


राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार


    1990 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म, "चांदनी" के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    1994 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म, "डर" के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    1996 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म, "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" (निर्माता) के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    1998 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म "दिल तो पागल है" के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    2005 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म "वीर - जारा" के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    1990 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म, "चांदनी" के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    1994 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म, "डर" के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    1996 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म, "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" (निर्माता) के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    1998 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म "दिल तो पागल है" के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


    2005 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म "वीर - जारा" के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार |


रोचक जानकारियां


1. यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को लाहौर में हुआ था। वे आठ संतानों में सबसे छोटे थे। 2. उनकी पढ़ाई लाहौर में हुई। 1945 में इनका परिवार पंजाब के लुधियाना में बस गया। 3. यश चोपड़ा इंजीनियर बनने की ख्वाहिश लेकर बंबई आए थे। वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लंदन जाने वाले थे। > 4. यश चोपड़ा ने बतौर सहायक निर्देशक अपने करियर की शुरुआत बड़े भाई बीआर चोपड़ा और आईएस जौहर के साथ की। > 5. सन् 1959 में उन्होंने पहली फिल्म धूल का फूल का निर्देशन किया। 6. 1961 में धर्मपुत्र और 1965 में मल्टीस्टारर फिल्म 'वक्त' बनाई।


7. 1973 में उन्होंने प्रोडक्शन कंपनी यशराज फिल्मस की स्थापना की।


8. संघर्ष के दिनों में कई कलाकारों ने उनसे मेहनताना लेने से इनकार कर दिया था, लेकिन यश चोपड़ा ने उन्हें पूरे पैसे दिए।


9. यश चोपड़ा ने अपनी फिल्मों से कई सितारों को स्टारडम का दर्जा दिलाया।


10. 1975 में फिल्म दीवार से उन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन की 'एंग्री यंग मैन' की छवि को विस्तार दिया।


11. यश चोपड़ा ने अपने प्रोडक्शन कंपनी से नए निर्देशकों और सितारों को इंडस्ट्री में मौके दिए।


12. यश चोपड़ा को रोमांटिक फिल्मों का जादूगर कहा जाता है।


13. यश चोपड़ा के बड़े बेटे आदित्य चोपड़ा भी निर्देशक हैं।


14. यश चोपड़ा के छोटे बेटे उदय चोपड़ा ‍‍बॉलीवुड एक्टर हैं। उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया है