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उदित नारायण झा एक नेपाली प्लेबैक सिंगर है जिनके गीत हमें ज्यादातर नेपाली और बॉलीवुड फिल्मो में ही दिखाई देते है। नेपाली और हिंदी के अलावा, उन्होंने बहुत सी दूसरी भाषाओ में भी गीत गाए है जिनमे मुख्य रूप से मैथिलि, कन्नड़, तुलु, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगु, मलयालम, गढ़वाली, सिन्धी, पंजाबी, ओडिया, असामीज, मणिपुरी, भोजपुरी और बंगाली भाषा का समावेश है।
वे तीन राष्ट्रिय फिल्म अवार्ड और पाँच फिल्मफेयर अवार्ड जीत चुके है। 2001 में नारायण को नेपाल के राजा बिरेन्द्र बीर बिक्रम शाह देव ने प्रबल गोरखा दक्षिण बाहू के अवार्ड से सम्मानित किया था। 2009 में नारायण को भारत सरकार ने पद्म श्री और 2016 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भुषण अवार्ड से सम्मानित किया था।
प्रारंभिक जीवन :
उदित नारायण का जन्म 27 नवम्बर 1955 को नेपाल के सप्तरी जिले मे हुआ। उदित नारायण एक प्रख्यात गायक के रूपमें जाने जाते है नेपाल में और भारत में भी। नेपाली फिल्म में उन्होंने बहुत हिट गाने गाए है। उन्होंने घुट काम उम्र ही संगीत सीखना आरंभ कर दिया था। वह हिंदी सिनेमा के एक बेहतरीन गायक हैं। उदित जी का मातृभाषा मैथिली है और वो नेपालके मिथिलांचल इलाके से आते है। जैसे की नेपाल और भारत के बीच बेटी और रोटी का सम्बन्ध है उसी तरह उनका ननिहाल भारत का विहार राज्य में है।
उदित नारयण ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत नेपाली फिल्म “सिंदुर” से की। इस फिल्म में उन्होंने पार्श्वगायिकी की साल 1978 में वह मुंबई आ गए। उदित नारायण को हिंदी सिनेमा में पहला ब्रेक राजेश रोशन ने अपनी फिल्म उन्नीस-बीस में दिया था। लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा सफलता मिली सुपरहिट फिल्म “कयामत से कयामत तक”के गीतों के द्वारा. इस फिल्म में उन्होंने “पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा…” जैसे गाने को अपनी आवाज दी। इस गाने के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का फिल्मफेयर अवार्ड मिला।
इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा के कई बेहतरीन संगीत निर्देशकों के साथ काम किया। उन्होंने मशहूर संगीतकारों जैसे ए. आर. रहमान, आर. डी. बर्मन, जगजीत सिंह, विशाल भारद्वाज आदि के साथ काम किया। उदित नारायण ने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, राजा हिंदुस्तानी, हम दिल दे चुके सनम, लगान, स्वदेश जैसी कई हिट फिल्मों के लिए गाने गाए।
1985 में कुसुमे रुमाल और पिरती। 2004 में उन्होंने अपना पहला नेपाली एल्बम ‘उपहार’ रिलीज़ किया, जिसमे उन्होंने बहुत से गाने अपनी पत्नी दीपा झा के साथ भी गाए थे। नारायण के बहुत से एकल एल्बम भी है जैसे की भजन संगम, भजन वाटिका, आय लव यू, दिल दीवाना, यह दोस्ती, लव इज लाइफ, जानम, झुमका दे झुमका, सोना नो घडुलो, धूलि गंगा और माँ तारिणी।
उदित नारायण की जादू भरी आवाज ने उन्हें तीन बार नेशनल अवार्ड का खिताब दिलाया है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का राष्ट्रीय पुरस्कार तीन बार मिला है जिसमें साल 2002 में फिल्म ‘लगान’ के गाने ‘मितवा’ दूसरी बार फिल्म ‘जिंदगी खूबसूरत है’ के गाने ‘छोटे-छोटे सपने’ और तीसरी बार फिल्म ‘स्वदेश’ के गाने ‘यह तारा वह तारा’ के लिए उन्हें यह खिताब दिया गया। इसके साथ ही उन्हें पांच बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का फिल्मफेयर अवार्ड भी दिया गया है। उन्हें यह अवार्ड फिल्म ‘कयामत से कयामत तक, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, राजा हिंदुस्तानी, हम दिल दे चुके सनम, लगान’ जैसे सुपरहिट फिल्मों के लिए मिले। साथ ही उनकी झोली में और भी कई पुरस्कार शामिल हैं।
नारायण ने गाया हुआ ताल फिल्म के गाने ‘ताल से ताल मिला’ को देसीमार्टीनी, हिन्दुस्तानी टाइम्स और फीवर 104 द्वारा आयोजित पोल में “दशक का सबसे प्रसिद्ध गाना” घोषित किया गया। भारत और विदेशो में नारायण ने बहुत से स्टेज शो भी किये है और इसके लिये उन्हें बहुत से अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। उनका गीत अधिकतर लोगोको पसंद है। उनका स्वर में जादू है। वे किशोर अबस्था से ही गायन कला के क्षेत्र में लग गये थे जो की आज इस मुकाम पर है पूरी बोल्लीवुड में उनका एक बेहत्तर गायक माना जाता है आज भी।
नेपाल में उनका स्वर से तुलना किसी गायक से भ नहीं की जा सकती है अभी के समय में भी। उदित जी का मातृभाषा मैथिली हैं और वो नेपालके मिथिलांचल इलाके से आते हैं। जैसे की नेपाल और भारत के बीच बेटी और रोटी का सम्बन्ध है उसी तरह उनका ननिहाल भारत का विहार राज्य में है। इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा के कई बेहतरीन संगीत निर्देशकों के साथ काम किया | उन्होंने मशहूर संगीतकारों जैसे ए.आर.रहमान .आर.डी.बर्मन , जगजीत सिंह ,विशाल भारद्वाज के साथ काम किया |
उदित नारायण ने दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ,राजा हिन्दुस्तानी ,हम दिल दे चुके सनम ,लगान ,स्वदेश जैसी कई हिट फिल्मो में गाने गाये | उनका गीत अधिकतर लोगोको पसंद है। उनका स्वर में जादू है। वे किशोर अबस्था से ही गायन कला के क्षेत्र में लग गये थे जो की आज इस मुकाम पर है पूरी बोल्लीवुड में उनका एक बेहत्तर गायक माना जाता है आज भी।
नेपाल में उनका स्वर से तुलना किसी गायक से भ नहीं की जा सकती है अभी के समय में भी। उदित जी का मातृभाषा मैथिली हैं और वो नेपालके मिथिलांचल इलाके से आते हैं। जैसे की नेपाल और भारत के बीच बेटी और रोटी का सम्बन्ध है उसी तरह उनका ननिहाल भारत का विहार राज्य में है।
उदित नारायण को साल 2009 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री अवार्ड से नवाजा गया था | उदित नारायण की जादू भरी आवाज ने उन्हें तीन बार नेशनल अवार्ड का ख़िताब दिलाया है | उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का राष्ट्रीय पुरुस्कार तीन बार मिला है जिसमे साल 2002 में फिल्म लगान के गाने “मितवा” ,दुसरी बार “जिन्दगी खुबसुरत है ” के गाने “छोटे मोटे सपने” और तीसरी बार फिल्म स्वदेश के गाने “ये तारा वो तारा” के लिए उन्हें यह खिताब दिया गया | उन्हें पांच बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का फिल्मफेयर अवार्ड भी दिया गया है | उदित नारायण अब तक 30 भाषाओं में करीब 15 हजार गीत गा चुके है |
उन्होंने मशहूर संगीतकारों जैसे ए. आर. रहमान, आर. डी. बर्मन, जगजीत सिंह, विशाल भारद्वाज आदि के साथ काम किया। उदित नारायण ने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, राजा हिंदुस्तानी, हम दिल दे चुके सनम, लगान, स्वदेश जैसी कई हिट फिल्मों के लिए गाने गाए। उदित नारायण अब तक 30 भाषाओं में करीब 15 हजार गाने गा चुके हैं।
उन्होंने अपने टीवी करियर की शुरुआत इंडियन आइडल सीजन-3 से की थी। इस सीजन में उनके साथ शो में अनु मलिक और अलीशा चिनॉय भी नजर आई थीं। उसके बाद सोनी टीवी के वॉर परिवार में जज के तौर पर नजर आ चुके हैं। उदित नारायण एक प्रख्यात गायक के रूपमें जाने जाते है नेपाल में और भारत में भी। नेपाली फिल्म में उन्होंने बहुत हीट गाने गाए है। और उनका गीत अधिकतर लोगोको पसंद है। उनका स्वर में जादू है।
वे किशोर अबस्था से ही गायन कला के क्षेत्र में लग गये थे जो की आज इस मुकाम पर है पूरी बोल्लीवुड में उनका एक बेहत्तर गायक माना जाता है आज भी। नेपाल में उनका स्वर से तुलना किसी गायक से भ नहीं की जा सकती है अभी के समय में भी। उदित जी का मातृभाषा मैथिली हैं और वो नेपालके मिथिलांचल इलाके से आते हैं। जैसे की नेपाल और भारत के बीच बेटी और रोटी का सम्बन्ध है उसी तरह उनका ननिहाल भारत का विहार राज्य में है।
90 के दशक में कुछ गिने चुने गायकों की ही आवाज़ सुनाई देती थी जिनमें से एक उदित भी थे. लेकिन साल 2008 में फ़िल्म 'टशन' में गाए उनके गाने 'फ़लक तक चल साथ मेरे' के बाद उन्होनें किसी बड़ी फ़िल्म में लीड गाना नहीं गाया है. उनकी गायकी में कुछ वक़्त से लगे इस ब्रेक पर वो कहते हैं, “यह ब्रेक तो भगवान की मर्ज़ी है. 25 सालों तक गाने के बाद अब दूसरे गायकों को लोग मौक़े दे रहे हैं तो इसमें बुरा क्या है?" नेपाल और भारत के बॉर्डर के एक छोटे से गांव में पैदा हुए उदित को रेडियो से शुरू से लगाव था.
किसान परिवार से आए उदित को गाने में लाने के लिए रेेडियो ही ज़िम्मेदार था, "उस समय लोगों के पास रेडियो ही हुआ करते थे और मैं जब भी उसमें गाना सुनता तो सोचता कि इस छोटे से बक्से के अंदर लोग कैसे चले जाते हैं. मैं भी एक दिन इसके अंदर जाऊंगा.” वो कहते हैं, "रेडियो के 100 रूपयों से ही मैंने इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी की और इसी दौरान भारत सरकार की ओर से संगीत की छात्रवृत्ति मिली और मैं भारत आ गया."
उदित नारायण की कामयाबी का सुरीला सफर आज भी जारी है. आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार या फिर रितिक रोशन. यह कहना गलत न होगा कि सभी ने उदित नारायण की आवाज के साथ कामयाबी की सीढियां चढ़ीं. तो करते हैं मुलाकात उदित नारायण के साथ.
उदित जी इतनी मीठी आवाज है आपकी. इसके कितनी कुदरत की देन समझते हैं और कितना आपने इसे तराशा है? कुरदत की देन को अवश्य होनी चाहिए क्योंकि आवाज ऐसी चीज है जो एक तोहफे के तौर पर मिलती है. जब तक ईश्वर का वरदान नहीं होगा तो आवाज बहुत खूबसूरत नहीं हो सकती है. उसके बाद आपकी मेहनत, भाग्य, ईमानदारी, संयम और आपके चाहने वालों की दुआएं हैं. किसी भी कलाकार को मिली कामयाबी में इन सभी बातों का योगदान होता है.