Deoxa Indonesian Channels

lisensi

Advertisement

" />
, 21:38 WIB
अन्यवैज्ञानिकSCIENTIST

टी. ए. सरस्वती अम्मा की जीवनी - Biography of T. A. Saraswati Amma in hindi jivani

Advertisement


नाम : टी. ए. सरस्वती अम्मा

जन्म दि : 26 दिसंबर 1918

ठिकाण : चैरपलासेरी, पलक्कड जिला, केरल, भारत

मॉ : कुटीमलु अम्मा

व्यावसाय : गणित और संस्कूत के इतिहास मे योगदान

मर गई : 15 अगस्ता 2000


प्रारंभिक जीवनी :


        टी. ए. सरस्वती का जन्म 26 दिसंबर 1918 को हुवा था | सरस्वती अम्मा का जन्म केरल के पलक्काड जिले चेरपूसेरी मे हुवा था | उनका जन्म का वर्ष कोलल्म कोलाम्बा युग का 1094 था | जो 1918: 1999 से मेल खाना है | उनके मॉ कानाम थक्य अमायथांडू कुदीमलू अम्मा था | और पिता का नाम मराठ अच्यूत मेनन था | उनकी वो दुसरी बेटी थी |सरस्वती कि दो भाई और दो बहने थी | एक भाई ने केरल स्टैट इंलेक्ट्रीसिटी बोर्ड मे इंजिनियर के रुप मे काम किया था | उन्होने मद्रास विश्वाविघ्यालय से गणित और भौतिक मे अपनी बुनियादी डिग्री लि थी | ओर बनारस हिंदू विश्वाविदयालय से संस्कूत मे एम ए कि डिग्री प्राप्ता कि थी |


        सरस्वती अम्मा अपना शोध संस्कूत के विदात डॅा वी शहावन के मार्गदर्शन मे किया था | सरस्वती अम्मा श्री केरल के वर्मा कॉलेज त्रिशूर महाराजा कॉलेज एर्नाकुलम और रांची के महिला कॉलेज मे पठाती थी | उन्होंने 1973 से 1980 तक श्री लक्ष्मी नारायण ट्रस्टा महिला महाविघ्यालय, घनवाद झाारखंड मे इसके प्रमूख के रुप मे कार्य किया था | केरल मैथमेटिकल एसोसिएशन ने 2002 मे अपने वार्षिक सम्मेलन मे एक नियमित प्रो टीए सरस्वती अममा मेमोरियल व्याख्याण शुरु कि या था |


        सरस्वती ने हमेशा अपने नाम को दक्षिण भारतीय शैली मे टी ए सरस्वती के रुप मे हस्ताक्षरित किया है | सरस्वती ने अपने इकलौते बेटे बालागोपाल के जन्म के तुरंत बाद अपने पति से तलाक ले लिया था | एक तलाकशुध्दा महिला के रुप मे सामाजिक परिस्थितियों और रिती रिवाजों ने उसे एक मानसिक चुनौती पेश कि थी | लेकिन उसने स्थिती से बाहर निकलने का साहस जुटाया और उच्चा शिक्षा और योग्याता को आगे बठाने के लिए निश्चाय किया था |


कार्य :


        टी. सरस्वती अम्मा ने प्राचीन और मध्याकालीन भारत कि जमिलिपर अपने काम के माध्याम से गणित और संस्कूत के इतिहास मे योगदान दिया है | उनहे टी ए सरस्वती अम्मा भी कहा जाता था | मिचियो यानो के शब्दो मे जिन्हेांने प्राचीन और मध्याकालीन भारत मे सरस्वती अम्मा कि पुस्तक जयामिती कि समीक्षा पुसताक कि स्थापना कि थी | सरस्वाती ने 1957 से 1960 के बीच तीन वर्षी तक मद्रास विश्वाविघ्यालय मे संस्कूत विभाग के शोध विव्दान के रुप मे काम किया था |राघवन कि देखरेख मे किया गया जो 20 वी सदी के सबसे शीर्षस्थ वैज्ञानिको मे से एक थे | 


        सरस्वती का शोध प्राचीन और मध्यायुगीन भारतीय जयामिती पर ठीक से केंद्रीत था | उनहेांने बडे पश्चीम के साथ समर्पित होकर काम किया था| उनका पहला शोध प9 1962 मे सरस्वाती का लेख महावीर के उपचार कि श्रृंखला के साथ जैन गणित से सबंधित उनके लंबे पत्र प्रकाशित् हुए थे |


उपलब्धी :


पुस्तक :


1) 2007 मे प्राचीन और मध्याकालीन भारत मे जयामिती पत्रों को |

2) 1958: 1959 मे श्रीदेवी आ9 या गणितीय श्रृंख्ंला के आरेखीय निरुपण |

3) 1961 मे भारतीय गणित मे चक्रीय चतुर्भुज|

4) 1961 से 1962 मे त्रिलोकप्रज्ञापति के प्रथम चार महादिकारेां का गणित|

5) 1962 मे महावीर श्रूंखला का उपचारा|

6) 1969 मे भारत मे गणितीय विचारों का विकास |