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कलाकार

श्रेया घोषाल जीवनी - Biography of Shreya Ghoshal in Hindi Jivani

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हिंदी फिल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका श्रेया घोषाल अपने प्रशंसक और श्रोताओं के बीच अपनी लोकप्रियता के लिए अच्छे गीतों को एक वजह मानती हैं। वे उन्हें अच्छे गीत मिलने का शुक्रिया अदा करती हैं। श्रेया ने केवल 25 साल की उम्र में और सात साल के फिल्मी करियर में अनेक उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। पिछले दिनों उन्हें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने वर्ष 2007 के लिए सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायिका के सम्मान से नवाजा, जो उनका तीसरा राष्ट्रीय पुरस्कार है। इसके अलावा वे पाँच फिल्मफेयर और चार आइफा अवॉर्ड सहित कई पुरस्कार जीत चुकी हैं। श्रेया ने राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जाने पर कहा अच्छे गीत मिले, जिनकी बदौलत मैंने ये उपलब्धियाँ हासिल की हैं। संगीत तो ऊपर से आता है 


बैरी पिया’, ‘डोला रे’, ‘सिलसिला ये चाहत का’, ‘चिकनी चमेली’ और ‘मोरे पिया’ जैसे खूबसूरत गीत गाने वाली श्रेया घोषाल आत्मविश्वास से भरपूर नए जमाने की मशहूर पार्श्वगायिका हैं. जानी मानी पार्श्वगायिका श्रेया घोषाल का जन्म 12 मार्च 1984 को बहरामपुर, मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) में हुआ. वह राजस्थान, कोटा के पास एक छोटे-से कस्बे रावतभाटा में पली-बढ़ीं. श्रेया घोषाल के पिता भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र में इंजीनियर के रूप में काम करते हैं, जबकि उनकी मां साहित्य में स्नातकोत्तर हैं और घर संभालती हैं. श्रेया का छोटा भाई भी है, जिसका नाम सौम्यदीप घोषाल है.


श्रेया ने संगीत की शुरुआत अपने घर से की, वह लता मंगेशकर की बड़ी प्रशंसक हैं. उन्होंने चार साल की उम्र में घर पर ही मां की मदद से हारमोनियम बजाना और संगीत सीखना शुरू किया. प्राथमिक शिक्षा के बाद, श्रेया घोषाल के माता-पिता ने उन्हें कोटा में महेशचंद्र शर्मा के पास हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए भेजा. श्रेया ने रावतभाटा के एटॉमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल (एईसीएस) और अणुशक्तिनगर (मुंबई) में पढ़ाई की, और स्नातक के लिए एसआईएस कॉलेज में दाखिला लिया. श्रेया घोषाल ने अपने संगीत के सफर की शुरुआत 1996 में जी टीवी के शो ‘सा रे गा मा पा’ से की, इसमें वह बाल कलाकार के रूप में नजर आईं


लता मंगेशकर को अपना आदर्श मानने वाली श्रेया घोषाल ने हिंदी, तमिल, तेलगु, मलयालम, बंगाली, कन्नड, गुजराती, मराठी और भोजपुरी भाषाओं के गीतों को अपनी आवाज दी है. इसके अलावा श्रेया इस साल 5 फरवरी को अपने ब्‍वॉयफ्रेंड शैलादित्य के साथ शादी के बंधन में बंध गई. 'सा रे गा मा' शो के दौरान ही श्रेया की मुलाकात संगीतकार कल्याणजी भाई से हुई. कल्याणजी श्रेया घोषाल के गायन से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें दो साल तक संगीत की शिक्षा दी.


श्रेया घोषाल ने जब 'सा रे गा मा' के दूसरे दौर में भाग लिया तो डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को श्रेया की आवाज अच्छी लगी और उन्होंने श्रेया को फिल्म 'देवदास' में गाने का मौका दिया. श्रेया घोषाल ने संजय लीला भंसाली की फिल्म 'देवदास' में 'बैरी पिया' गीत से शुरूआत की थी. श्रेया की मेहनत ने उन्हें बॉलीवुड में एंट्री करवा दी. 'देवदास' में श्रेया ने इस्माइल दरबार के संगीत निर्देशन में पांच गाने गाए.


पढ़ाई :


पिता की ट्रांसफरेबल नौकरी होने के कारण श्रेया ने अपनी आठंवी तक की पढ़ाई कोटा के पास रावतभाटा में की। उसके बाद बाद उनके का ट्रांसफर, भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर हो गया। इसके बाद श्रेया का परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। मुंबई में श्रेया ने अपने आगे की पढ़ाई संपन्न की। छोटी सी ही उम्र में श्रेया ने जीटी वी रियलिटी शो सा रे गा मापा शो जीता था। उस समय उस शो को गायक सोनू निगम, और कल्याण जी जज कर रहे थे। उन्होंने ही श्रेया के माता पिता को मुंबई आने के लिए राजी किया, इसके बाद श्रेया ने 18 महीनों तक कल्याण जी के संगीत की शिक्षा ली और साथ ही क्लासिकल म्यूजिक ट्रेनिंग भी जारी रखी।


करियर :


श्रेया को फ़िल्मी संगीत दुनिया में लाने का श्रेय फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली को जाता है। उन्होंने ही श्रेया को अपनी फिल्म देवदास से बॉलीवुड में सिंगिंग का पहला ब्रेक दिया था। देवदास में गाना गाने के बाद श्रेया बॉलीवुड की टॉपमोस्ट सिंगर्स में एक बन गयीं। इस गाने के लिए श्रेया को फिल्मफेयर बेस्ट प्लेबैक सिंगर डेब्यू के अवार्ड से नवाजा गया और साथ ही संगीत की नयी प्रतिभा के लिए आर.डी बर्मन पुरुस्कार भी दिया गया।


श्रेया ने अपने बॉलीवुड करियर में कई फिल्मों में अपनी गायकी का जलवा दिखा चुकी हैं। इसके लिए उन्हें कई आवर्स से सम्मानित भी किया गया। श्रेया बॉलीवुड की ऐसी सिंगर जो हर गाने को बहुत बेहतरीन तरीके से गति हैं चाहे वो रोमांटिक हो या सैड सांग या पेपी। इसके अलावा श्रेया छूटे पर्दे पर भी कई सिंगिंग बेस्ड रियलिटी शोज़ को जज कर चुकी हैं, जिनमे इंडियन आइडल, अमूल वॉइस स्टार ऑफ़ इंडिया छोटे उस्ताद शामिल हैं।


आज घोषाल उद्योग की एक प्रतिष्ठित गायिका हैं और उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, बंगाली, कन्नड, गुजराती, मेइती, मराठी और भोजपुरी समेत विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए हैं। अमूल स्टार वॉयज ऑफ इंडिया छोटे उस्ताद संगीत कार्यक्रम में भी वे निर्णायक के रूप में आयीं. उन्होंने बहुत सारे भारतीय टीवी धारावाहिकों के लिए शीर्षक गीत भी गाया.


        घोषाल ने अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली है और वे साहित्य में एम. ए. करने की तैयारी कर रही हैं।[तथ्य वांछित] वे पश्चिमी संगीत में सिंफॉनी और इंस्ट्रूलमेंटल का आनंद लेती हैं और उनका पसंदीदा ग्रुप ABBA है। लेकिन भारतीय संगीत निश्चित रूप से उनकी आत्मा है। उनकी आवाज का गठन इस तरह का है कि रूमानी गीत उस पर फबता है और आवाज को वे बखूबी पेश कर सकती हैं (इसकी बहुत ही उम्दा मिसाल जिस्म का "जादू है नशा है" है).


        देवदास के अलावा, जिस्म, साया, इंतेहां, आउट ऑफ कंट्रोल, खाकी, मुन्नाभाई MBBS, धूम, कुछ कहा आपने, अरमान, देश देवी, मुझे मेरी कमस, LOC कारगिल, एतबार, क्रिश, पुलिस फोर्स, लगे रहो मुन्नाभाई, गुरु, बिग B, सागर एलियाज जैकी रिलोडेड से लेकर हाल की ब्लू, कुर्बान, गजनी, रब ने बना दी जोड़ी, 3 इडियट्स,P.K वगैरह के लिए उन्होंने गाने गाए. 2007 में उनके गाए गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का आइफा (IIFA) 2008 में उनका नाम पांच में से चार नामांकनों में आया। सर्वश्रेष्ठ गायिका का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार 2009 जीता और सिंह इज किंग में प्रीतम का गाना ‘तेरी ओर’ के लिए उन्होंने आइफा (IIFA) 2009 जीता.वे हिंदी फिल्म उद्योगों की अकेली ऐसी गायिका हैं, जिन्हें 25 वर्ष की उम्र में ही तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले