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वैज्ञानिक

पुरदूर राधाकांत अदिगा की जीवनी - Biography of Purdur Radhakant Adiga in hindi jivani

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नाम : पुरदूर राधाकांत अदिगा

जन्म : 5 मई 1935

ठिकाण : बरकुर, उडूपी जिला, कर्नाटक भारत

व्यावसाय : प्रजनन जीवविज्ञानी


प्रारंभिक जीवनी :


        पुरदूर राधाकांत आदिशा एक भारतीय एंडोक्राइन बायोकैमिस्टा प्रजनन जीवविज्ञानी थे | पुरदूर राधाकांत अदिगा का जन्म 5 मई 1935 मे भारत मे कर्नाटक राजया के जिला उडूपी के एक छोटे गांव बरकुर मे हुआ था | उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्स्थानीय स्कूल मे हुई थी | उसके बाद उन्होंने केरल विश्वाविघ्यालय से जीव विज्ञान मे मास्टार डिग्री प्राप्ता कि थी | उन्होंने अपने डॉक्टरेल उपाधि के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान मे प्रवेश लिया था | वहाँ उनहोंने पीएस शर्मा के मार्गदर्शन मे सन 1963 मे डॉक्टरेट कि उपाधि प्रापता कि थी |


कार्य :


        पुरदूर ने अपना सारा करियर आयआयएससी मे बिताया है |उन्हेांने वहॉ पर सहयक प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के रुप मे विभिनना| पदों पर कार्य किया था | आयआयएससी मे वह प्रजनन जीव विज्ञान और आणविक एंडोक्रिनोलॉजी के पूर्ववर्ती केंद्र के अध्याक्ष के रुप मे भी कार्य किया था |


        पुर्दर सेवानिवृत्ती के बाद आईएनएससी के साथ एक आईएनएसए वरिष्ठा के रुप मे कार्यरीत थे | पुर्दर को विटामिन वाहक प्रोटीन और लैथिरस सेटिक्सा पर अध्यायन के लिए जाना जाता है | उन्हेांने शुरुवाती दिनों मे कवक और किडे के विकास और मध्यास्था चायापचय पर घ्यान केद्रीत करते हुऐ शोध किया था |


        उनहोने लैथिरस सैटिक्सा पर काम करके यह जाना कि, पौधे मे मौजूद एक न्यूरोटॉथ्कसन मुनष्यों मे न्यूरोलॉजिकलवाद के तांत्रिका संबंधी विकार का कारण बनता है | उन्होंने लैथीरस सैटिक्सा मे पाये जाने वाले होमियोजिनिन कि खोज कीई थी | पुर्दर ने विटामिन ले जाने वाले प्रोटीन पर रुप से काम किया था |


        उनहेांने यह स्पष्टा किा कि खोज प्रोटीन ने विटामिन जैसे कि, थायमिन और राइबोल्लिविन को भ्रूण तक पहूँचाया था और कृत्नाकें पर उन्होंने प्रयोग किया थे | उसकेव्दार निदेशीत किया कि गर्भावस्था हैरान उत्पन्ना एंटीबॉडी इसकि समाप्ति का कारण बन सकती है | पुरदूर जर्नल ऑफ बायोसाइंसेज एंड मॉलिक्यूलर एंड सेल्यूलर एंडोक्रिनोलॉजी के संपादकिय बोर्डो के सदस्या के रुप मे जुडे थे |


उपलब्धी :


पूरस्कार और सम्मान :


1) पुरदूर ने सन 1963 मे भारतीय विज्ञान संस्थान का गिरी मेमोरियल पदक जीता था |

2) 1980 मे उन्हें भारतीय सरकारव्दारा शांती स्वरुप भटनागर पूरस्कार से सम्मानित किया गया था 

3) 1982 मे पुरदूर केा संजय गांधी पूरस्कार प्रापत हुआ था |

4) सन 1984 मे उन्हें भारतीय राष्र्ट्रीय विज्ञान अकादमी के साथी के रुप मे चुना गया था |

5) प्रो पुरदूर सन 1992 मे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के प्रोफेसर एमआरएन प्रदसाद मेमोरियल अकादमी के प्रोफेसर एमआरएन प्रसाद मेमोरियल व्याख्यान मे शामिल रहे थे |

6) प्रो पुरदूर को भारतीय विज्ञान अकादमी के चुने हुए साथी रहे है |


पुस्तक/ग्रंथ :


1) डॉ पुरदूर के संशोधित लेखों को भारतीय विज्ञान अकादमी के ऑनलाइन लेख भंडार मे से 192 को सुचीबध्दा किया गया है |

2) पुरदूर व्दारा संपादित पुस्तक पर्सपेक्टिक्स इन प्राइमेंट रिप्रोडस्टिव्हा बायोलॉजी|


लेख :

1) 1963 मे प्रकाशित लैथीरस के बीज से एल होमोर्जिमिन का अलगाव और विशेषता|

2) 1963 जैविक सामग्री मे मैग्नीशियम का निर्धारण करने के लिए एक संवेदनशील सुक्ष्मजीवविज्ञानी परक्ष प्रकिया |

3) 1970 न्यूरोसपोश क्रैसा मे सिस्टीम विषाक्तता सल्फर एमिनो एसिड और लोकेव्दारा प्रतीरुप कि तुलना |