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वैज्ञानिक

नट्टेरी वीरराघवन की जीवनी - Biography of Nattery Veer raghavan in hindi jivani

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नाम : नट्टेरी वीरराघवन

जन्म दि : 1 नवंबर 1913

ठिकाण : पंगरीपेटटई, चेन्नाई भारत

पत्नि : कमला वीरराघवन

व्यावसाय : सुक्ष्म जीवविज्ञानी, चिकित्साक


प्रांरभिक जीवन : 


        नटेरी वीरराधवन एक भारतीय चिकित्साक थे | वह सुक्ष्मा जीवविज्ञानी और चिकीत्सा शोधकर्ता थे | नटेटरी वीरराघवन का जन्म 1 नवबंर 1913 मे भारत मे चेन्नाई शहर के पंगरीपेट्रटई गांव मे हुआ था | बालमबल यह उनकी माता का नाम था | उनका विवाह कमला वीरराघवन से हुआ था |


        नट्टेरी ने 1936 मे आंध्र विश्वाविघ्यालय से CMBBCHIR चिकित्सा मे स्त्रातक कि उपाधि प्राप्ता कि थी | उसके लिए उन्हे स्न 1937 मे गवर्नमेंट मेंटल हॉस्पीटल चेन्नाई मे सीनीयर इंटरशिप करनी पडी थी | नेट्रटरी ने सन 1944 मे आंध्र विश्वाविघ्यालय से माइक्रोबायलॉजी मे डीएससी डॉक्टरेट कि उपाधि प्राप्ता कि थी | नट्रटेरी को कीटाणू विज्ञान के लिए जाना जाता है |


कार्य :


        सन 1937 मे नट्रटेरी ने अपनी करीअर के शुरुआत दीनों मे भारत के कुननूर के पाश्चर इंस्टीटयूट मे एक शोध अधिकारी के रुप मे काम किया था | दीनो बाद वे वहाँ सहायक निदेशक बन गए थे| नटेटरी सन 1947 स1972 तक संस्थान के निदेशक के रुप मे अपनी सेवानिवृत्ती तक कार्यरीत रहे थे | सेवानिवृत्ती के बाद उनहोंने 1975 से 1977 तक पांडिचेरी के निदेशक के रुप मे कार्य किया था | सन 1977 मे वे स्वास्था सेवा चिकित्सा केंद्र मे वे स्वौच्छिक निदेशक पद पर रहे थे |


        नटेरी ने सन 1945 से 1981 तक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सदस्या रहे है | उन्होंने रेबीज, तपेदिक और कुष्ठरोग जैसे रेागो कि समझा मे अपना महत्वापूर्ण योगदान दिया है | सन 1953 मे वे रैबेज पर विश्वास्वास्थ संगठन के विशेषज्ञ पैनल मे बैठे थे | सन 1953 मे वे पैनल के उपाध्याक्ष के रुप मे कार्यरीत थे |


        सन 1959 मे वे पैनल के अध्याक्ष थे | उन्हेांने विश्वा के भारतीय अध्याय के सदस्या के रुप मे भी कार्य किया है |सन 1959 से 1972 तक स्वाथा संगठन इल्प्फयूएंजा केंद्र के सदसया के रुप सेवावृत् रहे थे | 1967: 1972 तक वे सशस्त्रा बल अनुसंधान समिती के सदस्या रहे थे |


उपलब्धि :


1) नटेरी रैबीज पर विश्वा स्वास्था संगठन अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ केंद्र के अध्याक्ष थे |

2) सन 1967 मे उन्हें भारतीय नागरिक पघश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था |

3) नटेरी को सोसाइटी एनोनिमी पूनावाला मेमोरियल अवार्ड भी प्राप्ता हुआ था |


ग्रंथ/पूस्तक :


        नटेरी ने उनके शोध के निष्कर्षो केा कई प्रकाशने के माध्याम से प्रलेखित किया गया है |


1) नेटेरी व्दारा लिखित पुस्तक : कुष्ठरोग पर अध्यायन 1982 प्रकाशित

2) 1963 मे प्रकाशित :रेबीज वायरस प्रतिजन के प्रतिदीज एंटीबॉडी धुंधला लिसामाइन रिडियामिन बी 200 को फलोरो क्रोम के रुप मे उपयोग करते है |


        नटेरी का 6 अगस्ता 2004 मे निधन हुआ था.