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अन्यवैज्ञानिकSCIENTIST

मुशी संतप्पा की जीवनी - Biography of Mushi Santappa in hindi jivani

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नाम : मुशी संतप्पा

जन्म : 2 अक्टूबर 1923

ठिकाण : जोनागिरी, आंध्रप्रदेश भारत

पत्नि : लक्ष्मी देवी

व्यावसाय : रसायज्ञ, श्री.वेंकटेश्व्र विश्वाविघ्यालय और मद्रास विश्वाविदयालय के कुलपति


प्रारंभिक जीवनी :


        मुशी संतप्पा एक भारतीय बहुलक रसायज्ञ थे | वह चमडा प्रौघोगिकिविदू और श्री वेंकटेश्वार विश्वाविघ्यालय और मद्रास विश्वाविघ्यालय के कुलपति थे | वह अवंती लीव्स लिमिटेड के संस्थापक निदेशकों मे से एक थे | मुशी संतप्पा का जन्म 2 अक्टूबर 1923 को दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राजया मे जोनागिरी गांव मे हुआ था |उनके पिता का नाम बसप्पा राजोली था | संतप्पा का विवाह लक्ष्मी देवी से हुआ था | उनके तीन बेटीयाँ और दो बेटे है |


        मुशी संतप्पा ने 1943 मे मद्रास विश्वाविदयालय से रसायनज्ञशास्त्र मे स्त्रातक किया था | उन्होंने 1946 मे बनारस विश्वाविदयालय से मास्टार डिग्री प्राप्ता कि थी | सन 1949 मे भारत सरकार व्दारा दी गई छात्रवृत्ति पर उन्होंने अपनी पिएचडी लंदन विश्वाविघ्यालय से प्रापता कि थी | 1951 मे उन्होंने एक और पीएचडी मैनचेस्टार विश्वाविघ्यालय से प्राप्ता कि थी | जहाँ वे मोरेडिथ ग्वेने इवांस, रॉयल सोसायटी के एक साथी के मार्गदर्शन काम कर रहे थे | उनकी थिसिस उच्चा वॉलिमर कि भौतिक रसायन विज्ञान पर आधारित थी |


कार्य :


        1952 मे भारत लौटे थे और विज्ञान के पाठक के रुप मे मद्रास विश्वाविघ्यालय मे शामिल हो रहे थे | 1958 मे उन्हेांने मुदरै एक्सेटेंशन सेंटर मे पे प्रोफेसर के रुप मे कार्यरित रहे थे | सन 1963 मे उन्होंने चेन्नाई के भौतिक रसायन विज्ञान विभाग के प्रमूख के रुप मे कार्य किया था | सन 1966 को युजीसी के वरिष्ठा विश्वाविदयालय मे प्रोफेसर के रुप मे कार्य किया था |


        मुशी संतप्पा ने 1972 मे केंद्रीय चमडा अनुसंधान संस्थान सीएलआरआई मे एक निदेशक के रुप मे कार्यरित थै | 1979 मे उन्हें श्री वेंकटेश्वर विश्वाविघ्यालय, तिरुपति के उपाध्याक्ष पद पर नियुक्त किया था | 1981 से 1984 तक उन्होंने मद्रास विश्वाविदयालय के कुलपति के रुप मे कार्यभारत संभाला था | डॉ. मुशी संतप्पा ने अवनि लेदर कि सह स्थापना कि है | डॉ. मुंशी संतप्पा ने मैटरोलेक्यूलिस और ऑस्मोटिक तकनीक कों के गुणो ग्राफट कोपोलिमर के संश्लेषण पर शोध करने काय कार्य किया है |


        डॉ. मुशी संतप्पा ने विज्ञान और प्रौघोगिकि विभाग के विज्ञान और समाज परियेाजना के अध्याक्ष के रुप मे भी कार्य किया है | इतना ही नही बल्की वे तामिलनाडू प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सलाहकार भी रहे है | डॉ. मुशी संतप्पा एक राष्ट्रीय प्रोफेसर और विश्वाविघ्यालय अनुदान आयोग के सदस्या भी थे |


उपलब्धि :


पुरस्कार/सम्मान :


1) वैज्ञानिक और औघोगिक अनुसंधान परिषद व्दारा सन 1967 को उन्हें भारतीय विज्ञान शांतिस्वरुप भटनागर पूरस्कार व्दारा सम्मानित किया गया है | 

2) 1982 मे डॉ. मुंशी संतप्पा को सर जेसी घोष मेमोरियल मेडल और 1985 मे विज्ञान के लिए फिक्की पूरस्कार प्राप्ता हुआ है |

3) विज्ञान और प्रौघोगिकी के लिए डॉ. मुशी संतप्पा को सन 1985 मे वॉइस अवार्ड भी प्रापता किया है |

4) डॉ. मुशी संतप्पा सन 1961 मे गायनीय विज्ञान अकादमी सन 1983 मे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज भारत और सन 1971 मे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी इन तीनो के एक निर्वाचित साथी थे |

5) भारत के उनके सम्मान मे सोसाइटी फॉर पॉलिमर साइंस व्दारा एक वार्षिक पूरस्कार प्रोफेसर एन संतप्पा अवार्ड कि स्थापना कि है |


पूस्तक :


        डॉ. मुशी संतप्पा ने उनके शोध 350 से अधिक लेखो मे प्रकाशित हुए है | उन्होंने अध्यायनों पर 59 शोध विव्दानों का मार्ग्दर्श्ंन किा है |


1) डाँ. मुशी का पुस्ताक सन 1996 को भारत मे पॉलिमर साइंस एंड इंजीनियरींग मे कला एक व्यापक लेख मे प्रकाशित किया है |


        डॉ. मुशी संतप्पा का 26 फरवरी 2017 को चेन्नाई मे निधन हुआ था |