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नाम : मिताली मुखर्जी
जनम : 13 नवंबर 1967
ठिकाण : मध्या प्रदेश, भारत
पति : भुवेंदर सिंग
व्यावसाय : वैज्ञानिक मानव जीनोमिक्सा
प्रारंभिक जीवनी :
मिताली मुखर्जी सीएसआईआर इंस्टीटयूट ऑफ जीनोमिक्सा एंड इंटीग्रेटिव बायालॉजी मे एक मुख्या वैज्ञानकि है | मानव जीनोमिक्सा और व्याक्तिगत चिकित्सा के क्षेत्र मे मिताली को उल्लेखनीय उपलब्धी है | मिताली का जनम 13 नवंबर 1967 मे भारत के मध्याप्रदेश राजय मे हुआ है | वह एक बंगाली परिवार से है | मिताली वर्तमान मे दिल्ली रहती है | उन्होंने भारतिय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से बैक्टेरियल अणविक अनुवंशिकी मे डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्ता कि है |
कार्य :
सन 1997 मे मिताली नई दिल्ली मे इंस्टीटयूट ऑफ जिनोमिक्सा एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी मे शामील हुई | वहाँ उन्होंने जनसंख्या आनुवंशिकी और जीनोमिक्सा के क्षेत्र मे काम किया है | उनकी सबसे उल्लेखनीय कार्यो मे से एक अलु क्षेत्रों के कार्यो मे गिरावट थी | वो सबसे अधिक आबादी मे पाए जाने वाले ट्रांसपोजन उनकी टीम ने निष्कर्ष निकाला की आरएनए के लिए ये अनुक्रम कोड जो प्रतिलेखन कारकों के रुप मे काम करते है मुखर्जी ने तब से शॉक रिस्पांस सिस्टाम के पीदे के तंत्र और उपग्रह गैर-कोडिंग आएनए के कार्यो को एक ट्रांसक्रिप्शनल रेप्रेसर के रुप मे समझाने की कोशिश मे काम करना जारी रखा है |
वह भारतीय जीनोम वैरिएश्ंन कंसाटियम की संयोजिका रही है | जिसने रोग जगनांगो के दृष्टिकोण से भारतीय आजादी का पहला व्यापक अनुवंशीक परिदश्या प्रदान किया है | उसके समुह ने यह प्रदर्शित कीया है की इस बसेल डेटा का उपयोग रोग जीन को विच्छेदित करने चलन के हस्ताक्षरों की पहचान करने, उत्परिवर्ती इतिहास का पता लगाने और फार्माकोजेनोमिक्सा के अध्यायन के लिए भी किया जा सकता है |
उनके समूह ने आयुरगेनॉमिक्सा के क्षेत्र का बीडा उठाया है | इस समूह ने प्राकूत के आणविक सहसंबंधो के लिए पहला सबुत प्रदान करने का कार्य किया है | जो की, उच्चा उंचाई अनुकूलन के लिए अविध्यासूचक बायोमार्कर की पहचान का कारण बनता है | एक TRISOTRACTUARGENOMICS संध मे विविध और विषम विषयों को सहयोगियों का सहयोग शामिल है | जिसे अयुवेदक के सिदूधांतों की वैज्ञानिक मान्याता के लिए जीनोमिक्सा और आधुनिक चिकित्सा के साथ इसके एकीकरण के लिए समुह व्दारा स्थापित किया गया है |
पुरस्कार :
1) मिताली को शोध मे महिलाओं के लिए श्रीमती हेमलता रानाडे राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्ता हुआ है |
2) 2016 मे उन्हे विज्ञान अकादमी व्दारा महिला वैज्ञानिकों के लिए VASVIK पुरस्कार से सम्मानित किया गया है |
3) 24 सितंबर 2001 को उन्हे सीएसआईआर यंग साइंटिस्टा अवार्ड प्राप्ता हुआ है |
4) 2006 मे उन्हे हयूगो हयूमन जीनोम ऑर्गनाइजेशन का सदस्या मनोनीत किया गया |
5) 2008 को मिताली को यंग वुमन बायोलॉजिस्टा अवार्ड मिला है |
6) सन 2010 मे मिताली को शांती स्वरुप भटनागर अवार्ड से सम्मानित किया गया |
7) 2014 मे मिताली भारतीय चुने गए साथी बन गई
पूस्तक / ग्रंथ :
1) आर्युजिनोमिक्सा स्तरीकृत दवा के लिए आणविक परिवर्तन शीलता का एक नया तरीका मुखर्जी और एसीएस केम बायोल व्दारा लिखित पुस्तक 2011 मे प्रकाशित हुआ है |