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नाम : डॉ.मोडदूगू विजय गुप्ता
जनम : 17 अगस्त 1939
ठिकाण : बापटला, आंध्रप्रदेश
व्यावसाय : जीवविज्ञानी
प्रारंभिक जीवनी :
डॉ.मोडदूगू विजय गुप्ता एक भारतीय जीवविज्ञानी और मत्सा वैज्ञानिक है | डॉ.मोडदुगू विजय गुप्ता का जन्म 17 अगस्त 1939 को भारत के आंध्रप्रदेश राजया की बापटला शहर मे हुआ था | मोहदुगू ने कलकत्ता विश्वाविदयालय से जीव विज्ञान मे पीएचडी प्राप्ता की है |
खाघ संकट के वैकल्पीक समाधान का सुझााव देने के लिए डॉ.गुप्ता एशिया और आफ्रीका मे यहॉवहॉ गए | उनहे दक्षिण पूर्व एशीया की झूग्गियों मे भारत के एक संत के रुप मे जाना जाता है | डॉ. गुप्ता जो दूसरे की भूख को अपनी तरह समझाते थे इन कई भूखों के लिए वे आशा की एक किरण थी | उन्हे दक्षिण पूर्व एशिया की नीली क्रांती मे अग्रणी माना जाता है |
कार्य :
डॉ. मोडदुगू ने ग्रामीण गरीबों व्दारा मीठे पानी की मछली की खेती तिलापिया प्रजाति का उपयोग करके के लिए कम लगावत वाली तकनीको का विकास करने का कार्य किया है | उन्होंने मछली की खेती का प्रसार करने का महत्वापूर्ण कार्य किया है |
डॉ.मोडदुगू ने अपनी हालिया सेवानिवृत्ती तक मलेश्िंया मे पेनांग मे स्थित परामर्श दात्री समुह ऑन इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च CGIAR के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय मत्सा अनुसंधान संस्थान 200RD FISH मे सहायक महानिदेशक के रुप मे कार्य किया है |
डॉ. मोडदुगू ने एशिया अफ्रीका और प्रशांत मे गरीब ग्रामीण आबादी के लिए जलीय कृषि प्रणाली बनाने की मान्याता प्राप्ता करणे का कार्य किया है |
उपलब्धि :
पूरस्कार और सम्मान :
1) डॉ. मोडदूगू को सन 2005 मे विश्वा खाध्या पूरस्कार से सम्मानित किया गया था |
2) सन 2015 मे उन्हे पहले सनक शांती पूरस्कार के लिए चुना गया था |
पुस्ताक :
1) डॉ मडदुगू और अकोस्टा व्दारा लिखित पूस्ताक इंटनॅशनल नेटवर्क ऑन जेनिटिक्सा इन ॲक्वाकल्चार इंगा सन 1999 मे प्रकाशित हुआ |
2) इंटेग्रेटींग ॲक्वाकल्चर पीथ राईस फरमिंग इन बांग्लादेश केसीबीलीटी एंड इकोनॉमीक वीबॅबीलीटी इटस एडोपशन ऐड इंम्पॅक्टा उनका यह पूस्ताक सन 1998 को प्रकाशीत हुआ था|