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अन्यवैज्ञानिकSCIENTIST

मंजू रे की जीवनी - Biography of Manju Ray in hindi jivani

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नाम : मंजू रे

जन्म : 1 जनवरी 1947

ठिकाण : भारत

व्यावसाय : बायोकेमीज्ञानी


प्रारंभिक जीवन :


        मंजू रे एक भारतीय वैज्ञानिक है | मंजू रे आणविक एंजारमोलॉजी और कैंसर जैव रसायन मे विशेषज्ञता रखती है | मंजू रे का जन्म 1 जनवरी 1947 को हुआ था | उन्होंने कलकत्ता विश्वाविदयालय से एम एस सी मे डिग्री प्राप्ता की है | सन 1969 मे उन्होंने फिजियोजॉजी मे बायोकेमिस्ट्री मे पी एच डी की है |


कार्य :


        मंजू रे ने अपना करियर इंडियनन एसोसिएश्ंन ऑफ कल्टीवेश्ंन ऑफ साइंस के बायोमिस्ट्री विभाग मे शुरु किया | मंजू रे दिसंबर 2010 से बोस इंस्टीटयूट कोलकत्ता मे एक एमेरिटस साइंटिस्टा की रुप मे कार्यरित है |


        मंजू रे के शोध ने एंटीकैंसर ढवाओं के विकास और कोशिकाओं की भेदभाव प्रक्रिया को समझाने मे महत्वापूर्ण योगदान दिया है | रे ने चायपचय मार्गो के साइड –प्रोडक्टा मेथिलग्लॉक्सा की जैविक भुमिका पर कार्य किया है | 


        अपने करियर के दौरान, उन्होंने और उनकी टीम ने मिथाइलग्लॉक्सीन उपचय और अपचय मे शामिल एंजाइमों की एक श्रृंखला को अलग करके, शुदूध किया है | उनके काम ने मिथाइग्लॉक्सील के एंटीकैंसर गुणो का अध्यायन करने पर अधिकतर ध्यान केंद्रीत किया है |  


उपलब्धि :


पूरस्कार और सम्मान :


1) मंजू रे को सन 1975 मे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी INSA व्दारा जैविक विज्ञान मे युवा वैज्ञानिक पदक प्राप्ता हुआ है |

2) सन 1989 मे उन्हें जैविक विज्ञान मे विज्ञान और प्रौघोगिकी के लिए शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था|

3) 2003 को उन्हे आईसी चोपडा मेमोरियल अवार्ड प्राप्ता हुआ

4) डॉ. ज्ञान चंद्र घोष मेमोरियल अवार्ड भी रे को मिला है 


पूस्तक और ग्रंथ :


        मंजू रे ने बडी संख्या मे वैज्ञानिक पत्रों को दूसरों के साथ मिलकर लेखक के रुप मे प्रकाशित किया है |


1) मिथाइल ग्लाइऑक्साइल व्दारा टयुमर कोशिकाओं के स्वश्न मे अवरोध और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर मे लैक्टोलिडहाइड यह पुस्ताक सन 1991 मे प्रकाशित किया गया |

2) बायोकेमिकल जर्नल मे मिथाइल ग्लाइक्साल 1994 व्दारा इरलिच एस्काइटस कार्सिनोमा कोशिकाओं पर माइटोकॉन्ड्रियल श्वासन श्रृखला के जटिल के माध्याम से इलेकट्रॉन प्रवाह मे अवरोध|

3) ग्लिसराल्डेहाइड 3 फॉस्फेट डिहाड्रेाजनेज से अर्लिच जलोदर कार्सिनोमा कोशिकाएं यूरोपीय जर्नल ऑफ बायोकैमिस्ट्री मे घातक कोशिकाओं 1999 के उच्चा ग्लाइकोलाइसिस मे इसकी संभावित भूमिका|