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माधुरी दीक्षित ने भारतीय हिन्दी फ़िल्मो मे एक ऐसा मुकाम तय किया है जिसे आज के अभिनेत्रियाँ अपने लिए आदर्श मानती है। ८० और ९० के दशक मे इन्होने स्वयं को हिन्दी सिनेमा मे एक प्रमुख अभिनेत्री तथा सुप्रसिद्ध नृत्यांगना के रूप मे स्थापित किया। उनके लाजवाब नृत्य और स्वाभाविक अभिनय का ऐसा जादू था माधुरी पूरे देश की धड़कन बन गयी। हिंदी सिनेमा की एक अलग पहचान हैं अभिनेत्री माधुरी दीक्षित। जिन्हे आज भी दर्शक बड़े पर्दे पर देखने के लिए आतुर हैं।
माधुरी दीक्षित सिर्फ एक अदाकारा ही नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा की डांसिंग डिवा भी हैं। उन्होंने अपने हिंदी फ़िल्मी करियर में कई बेहतरीन फ़िल्में की, जिन्हे दर्शक आज भी बड़े चाव से देखतें हैं। माधुरी को हिंदी सिनेमा में उनके बेहतरीन अदाकारी के लिये चार बार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री एक बार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री और एक स्पेशल अवार्ड से नवाजा जा चुका है। इन सभी पुरुस्कारों के अलावा उन्हे भारत सरकार् के चतुर्थ सर्वोच्च नागारिक सम्मान " पद्मश्री " से सम्मनित किया गया।
प्रारंभिक जीवन :
15 मई 1967 मुंबई में मराठी परिवार में माधुरी दीक्षित का जन्म हुआ। पिता शंकर दीक्षित और माता स्नेह लता दीक्षित. मधुरी की दो बहने भी है रूपा दीक्षित और भारती दीक्षित और एक भाई भी हैं अजीत दीक्षित. लाडली माधुरी को बचपन से डॉक्टर बनने की चाह थी और शायद यह भी एक वज़ह रही कि माधुरी ने अपना जीवन साथी श्रीराम नेने को चुना जो कि पेशे से एक चिकित्सक हैं। डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल से पढने के बाद माधुरी दीक्षित ने मुंबई यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा पूरी की।
बचपन से ही उन्हें नृत्य मे रूचि थी जिसके लिए माधुरी ने आठ वर्ष का प्रशिक्षण लिया। माधुरी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल से सम्पूर्ण की है। उसके बाद माधुरी दीक्षित ने मुंबई यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा पूरी की। माधुरी को बचपन से डॉक्टर बनने की चाह थी, लेकिन वह अभिनेत्री बन गयी। शायद यही कारण है की माधुरी ने अपनी शादी के लिए श्रीराम नेने को चुना जो कि पेशे से एक चिकित्सक (हार्ट सर्जन) हैं। जिनसे उनके दो बच्चे भी हैं- रियान और एरिन नेने। शादी के बाद माधुरी डेन्वेर कोलोराडो में करीब दस साल तक रही. माधुरी 2011 में अपने परिवार के साथ वापस मुंबई आ गई।
माधुरी दीक्षित ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत साल 1984 में राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म अबोध से की थी। लेकिन यह फिल्म कुछ खास नहीं चली। माद्री को अपने शुरुआती करियर में कई असफलताओं का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद सन 1985 में आयी फिल्म ‘आवारा बाप’ भी बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा सकीं. सन 1986 में माधुरी अभिनीत 2 फ़िल्में आयी, जिनके नाम हैं -: ‘स्वाति’ और ‘मानव हत्या’, ये दोनों ही फ़िल्में फ्लॉप थी.
सन 1987 में माधुरी की 3 फ़िल्में रिलीज़ हुई, वे थी -: मोहरे, हिफाज़त और उत्तर दक्षिण, पर ये भी असफल फिल्मों की श्रेणी में चली गयी. इसके बाद सन 1988 में आयी फ़िल्में ‘दयावान’ और ‘खतरों के खिलाड़ी’ भी पिट गयी. लेकिन उन्हें हिंदी सिनेमा में पहचना मिली फिल्म तेजाब से। इस फिल्म में उन्हें उनकी बेहतरीन अदाकारी के लिए फिल्मफेयर पुरुस्कार का पहला नामकंन भी मिला था।
इस फिल्म का गाना एक दो तीन आज भी माधुरी दीक्षित का आइकॉनिक सांग माना जाता हैं। इस सफल फिल्म के बाद फिर उन्होंने कभी पीछे मुद कर देखा और हिंदी सिनेमा में बैक-टू बैक हिट फ़िल्में दी। फिल्म अभिनेता अनिल कपूर के साथ उन्होंने तकरीबन बीस फिल्मों में काम किया जिनमे से अधिकतर उनकी फ़िल्में सुपरहिट साबित हुई।
सन 1989 में उनकी एक और फिल्म आयी, जिसमें उन्होंने एक बार फिर अभिनेता अनिल कपूर के साथ काम किया था और ये फिल्म थी सुभाष घई की ‘राम लखन’. यह फिल्म भी सुपरहिट रही और साल की दूसरी हाईएस्ट ग्रोसिंग फिल्म बन गयी. इसके बाद मिथुन चक्रबर्ती के साथ आयी फिल्म ‘प्रेम प्रतिज्ञा’ फ्लॉप हो गयी. इसके बाद उन्होंने मल्टी स्टारर फिल्म ‘त्रिदेव’ में काम किया और नसीरुद्दीन शाह, सनी देओल, जेकी श्रोफ़, संगीता बिजलानी, सोनम और अमरीश पूरी, जैसे दिग्गज सितारों के बीच भी अपनी छाप छोड़ी.
इसमें उनकी जोड़ी सनी देओल के साथ बनाई गयी थी. इस फिल्म की सफलता के बाद ये साल की तीसरी बड़ी हिट फिल्मों में शामिल हो गयी. इसके बाद आयी ‘परिंदा’ में भी उनके अभिनय को सराहा गया. सन 1993 में माधुरी दीक्षित एक बार फिल्म ‘खलनायक’ में दिखाई दी. इसमें उनके साथ जैकी श्रोफ़ भी थे. इस फिल्म में माधुरी की अभिनय प्रतिभा ने सबका ध्यान आकर्षित किया, जिसमें उन्होंने ग्रे शेड वाले संजय दत्त को अभिनय में टक्कर दी.
साथ ही सरोज खान की कोरियोग्राफी में फिल्माया गया गाना ‘चोली के पीछे क्या हैं’ बहुत हिट हुआ था. इस फिल्म के बाद आयी ‘अंजाम’ में हमें माधुरी का अलग ही रूप देखने को मिला. इसमें वे वे अपने पति की मौत का बदला लेते हुए दिखाई दी. उनके नृत्य का जलवा इस फिल्म में भी बरक़रार था और ’18 बरस की कुंवारी कलि’ बहुत हिट हुआ था. इस फिल्म में अपने अभिनय के लिए उनका नाम फिल्म फेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड के लिए नोमिनेट किया गया था.
साल 1990 में उन्होंने आमिर खान स्टारर फिल्म दिल की हैं। हर फिल्म की तरह उनकी यह फिल्म भी सुपर हिट साबित हुई। इसमे मधुरी एक अमीर तथा बिगडैल लडकी का किरदार निभाया जो एक साधारण परिवार के लडके से इश्क करती है तथा उससे शादी के लिये अपनों से बगावत करती है। उनके इस किरदार के लिये उन्हे [फिल्म फेयर सर्वश्रेश्ठ अभिनेत्री] का पुरस्कार मिला।
फिर 2002 से 2007 तक माधुरी ने फिल्मों से ब्रेक लिया और बाद में 2007 में “आजा नचले” एक संगीतीय फिल्म से कम बैक किया. और माधुरी ने 2014 में भी “डेढ़ इश्किया” और “गुलाब गैंग” फिल्म की थी। 80 और 90 के दशक मे इन्होने स्वयं को हिन्दी सिनेमा मे एक प्रमुख अभिनेत्री तथा सुप्रसिद्ध नृत्यांगना के रूप मे स्थापित किया। उनके लाजवाब नृत्य और स्वाभाविक अभिनय का ऐसा जादू था माधुरी पूरे देश की धड़कन बन गयी।
2002 में बनी उनकी देवदास फिल्म केवल भारत में ही पोपुलर नहीं रही बल्कि उसकी पोपुलिरिटी की गूंज सात समुंदर पर Cannes Film Festival में भी सुनने को मिला। इस फिल्म ने कमाई का नया रिकॉर्ड बनाते हुए वर्ल्ड वाइड 53 करोड़ की कमाई की। करियर की नियमितता के अनुसार यह फिल्म माधुरी की अंतिम फिल्म रही क्योंकि वे जबतक शादी कर चुकी थी और अपनी गृह-गृहस्थी बसाने के लिए डेनवर चली गई।
पर वो ज्यादा दिन तक सिल्वर स्क्रीन से दूर ना रह सकी, उनकी चाहत ने उन्हें दुबारा भारत ला ही दिया। उन्होंने 2007 में भारत आकार आजा नचले फिल्म की। इसमें उन्होंने अपनी एक्टिंग और डांसिंग की हाइ क्लास को छुई, पर पता नहीं लोगों को क्यों यह फिल्म रास नहीं आई। पर माधुरी के काम की लगातार प्रशंसा होती रही।
इस तरह 2002 तक उनकी कई फिल्मे आती रही और सब एक के बाद एक हिट होती रही । 2007 में उन्होंने एक लंबे ब्रेक के बाद अनिल मेहता के साथ ‘आजा नचले’ में काम किया जो की 5 साल के बाद माधुरी की पहली फिल्म थी । उसके बाद उनकी फिल्म ‘डेढ़ इश्किया’ 2014 में आयी जो की ‘इश्किया’ की सीक्वल थी । यह फिल्म लोगों को बोहत पसंद आयी । उन्होंने जूही चावल के साथ ‘गुलाब गैंग’ में भी काम किया ।
माधुरी ने समाज सेवा के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया है । 2001 में उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में 50 लाख रुपया जीता था जिसे गुजरात में पीड़ित भूकंप के लोगों को उन्होंने दे दिया था । 2011 वे एक आश्रम गयी थी जिसमे उन्होंने 75 बच्चों के साथ समय बिताया था । 2012 में वर्ल्ड कैंसर डे पर कैंसर से पीड़ित लोगों के साथ समय बिताया था । ये बातें उनके समाज के प्रती प्यार और कुछ करने की इच्छा दर्शाती है ।
फिल्म 'थानेदार' की शूटिंग के दौरान माधुरी और संजय एक दूसरे के प्यार में गिरफ्तार हो गए। उस वक्त के कई निर्माता बताते थे कि जब संजय आउटडोर शूटिंग पर रहते थे तब संजय घंटों तक माधुरी से फोन पर बात करते थे, जिसका बिल प्रोड्यूसर को भरना पड़ता था। फिल्म ‘साजन’ के दौरान दोनों और करीब आ गए। संजय उस वक्त शादीशुदा थे और एक बेटी के पिता भी थे, हालांकि उनकी पत्नी रिया उनको छोड़कर अमेरिका चली गईं थीं।
'साजन' फिल्म के बाद हर किसी की जुबान पर संजय और माधुरी का नाम था। उस दौर में कई मैग्जीन में छपी खबरों के मुताबिक दोनों अपने रिश्ते को नाम देना चाहते थे और दोनों की शादी भी होने वाली थी, लेकिन अचानक संजय आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिए गए। इसके दो महीने के बाद 5 जून 1993 में फिल्म ‘खलनायक’ रिलीज हुई जो बहुत बड़ी हिट साबित हुई। संजय 16 महीने जेल में रहे, लेकिन माधुरी एक बार भी उनसे मिलने जेल नहीं गईं। यहीं से दोनों के रिश्ते में दूरी आने लगी। संजय इतने नाराज हुए कि उन्होंने माधुरी के साथ फिल्म तक साइन करने से इनकार कर दिया। इस तरह दोनों की प्रेम कहानी का अंत हो गया।
रोचक तथ्य :
• पूरे बॉलीवुड में Madhuri Dixit एक मात्र कलाकार है, जिन्होंने रिकॉर्ड 13 बार Filmfare Award के लिए नॉमिनेशन पायी।
• जब माधुरी की शादी श्रीराम माधव नेने के साथ हुई थी, तो श्रीराम बिलकुल भी नहीं जानते थे कि उनकी पत्नी भारत में सुपरस्टार है।
• श्रीराम हिन्दी फिल्म देखते ही नहीं थे, इसलिए वो अपनी पत्नी माधुरी के पोपुलरिटी को नहीं जान पाये। पर वे अब उनकी फिल्में देखते है और गर्व फिल करते है।
• उन्होंने अपनी डांसिंग स्किल को सीखाने के उद्देश्य से उन्होंने ऑनलाइन डांस एकेडमी, Dance With Madhuri, खोली है, जहां हर कोई डांस सीख सकता है