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नाम : दाराशा नौराखां वाडिया
जन्म तिथी : 25 अक्तूबर 1883
ठिकाण सुरत
व्यावसाय : भूवैज्ञानिक
मृत्यू : 15 जून 1969
प्रारंभिक जीवनी :
डी एन वाडिया का जन्म 25 अक्तूबर 1883 को सुरत मे हुआ था | वे इंस्टा इंडिया कम्पनी के लिए जलपोत निर्माण करने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार से थे | जो सुरत के पास बस गया था | परिवार के लो उन्हे प्यार से दारा बुलाते थे| पहले उन्हेाने गुजरात के एक प्राइवेट स्कूल मे पढाई कि, फिर वे जे जे इंग्लिश स्कूल मे अध्यायन के लिए गए थे |
बाराह वर्षे की आयू मे, दारा वडेादरा हाई स्कूल गए थे उन्हे पर अपने बडे भाई एम एन वाडिया का गहरा प्रभाव रहा जो एक प्रतिष्ठित शिक्षाविदू थै | उनकी निगरानी मे दारा ने प्रकृति प्रेम ज्ञान के प्रति समर्पण तथा विघाध्यायन कि उत्कट इच्छा जेसे गुणो कि आत्मसात किया था |
सन 1905 मे प्रोफेसर वाडिया ने अपनी स्त्रातक उपाधि, कला तथा विज्ञान मे प्रकृति विज्ञान , प्राणी विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान विषयों के साथ बडौंदा कॉलेज से प्राप्ता कि थी | उनके भूविज्ञान विषय मे रुचि जगाने का श्रेय जनके कॉलेज प्रिसिंपल प्रो अदारजी एम मसानी को जाता है | इस समय भारत मे भूविज्ञान विषय बहूत कम पढाया जाता था |
कार्य :
प्रोफेसर दाराशा नौरखां वाडिया भारत के अग्रगण्या भूवैज्ञानिक थे | वे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण मे कार्य करने वाले पहले कुछ वैज्ञानिकेां मे शामिल थे | वे हिमालय कि स्तरीकि पर विशेष कार्य कि लिये प्रसिध्दा है | उन्होंने भारत मे भूवैज्ञानिक अध्यायन तथा अनुसंधान स्थापित करने मे सहायता कि थी |
उनकी स्मृति मे हिमालयी भूविज्ञान संस्थान का नाम बदलकर 1976 मे वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान कर दिया गया था | उनके व्दारा रुचित 1919 मे पहली बार प्रकाशित भारत का भूविज्ञान अब भी प्रयोग मे बना हुआ है | वाडिया कुछ समय के लिए बडौदा कॉलेज मे वयाख्याता के पद पर भी सेवारत रहे है |
1906 मे श्री वाडिया कि नियुक्ति प्रिन्स ऑफ वेल्सा कॉलेज, जममू मे व्याख्याता के पद पर हुई थी | जम्मू ने उनहे अपनी भूवैज्ञानिक खोजों का अनुशीलन करने कि दृष्टी से एक आदर्श वातावरण प्रदान किया था | उनकी योग्यता तथा क्ष्मता के मान्यात स्वरुप उनहें यहाँ भूविज्ञान विभाग को प्रारंभ से संगठित करने का कार्य सौंपा गया था |
1945 मे वाडिया भारत लौट आए थे | 1947 मे वह जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्वा वाली सरकार के सलाहकार और सलाहकार बन गए थे | 1948 मे भारतीय परमाणू उर्जा अधिनियम के निर्माण मे उपयोग के लिए कच्चे माल के सर्वेक्षण मे मदद करने के लिए आमंत्रित किया था |
पूरस्कार ओर सम्मान :
1) वाडिया ने कई समितीयों कि अध्याक्षता कि और कई पत्रिका ओं के संपादकिया बोर्ड मे थे |
2) 1934 मे रॉयल जियाग्राफिकल सोसायटी से बैंक अवार्ड |
3) 1943 मे लंदन के जियोलॉजिकल सोसायटी से लेयल मेडल|
4) 1944 मे इंडियन एसोसिएश्ंन ऑफ द एडवांसमेंट ऑफ साइंस से जॉयकिशन मेडल|
5) 1947 मे रॉयल एशियाठिक सोसायटी से जगदीश मेमोरियल मेडल|
6) एीएससी कि मानद उपाधि प्राप्ता |
7) 1947 मे दिल्ली विश्वाविदयालय से नेशनल जियोग्राफिक सोसायटी के नेहरु पदक से सम्मानित|
8) 1958 मे रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया था |
पूस्तके :
1) भारत मे भूविज्ञान के मैनुअल|