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भुपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे।
वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम जीवित सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया।
भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ। हजारिका की असरदार आवाज में जिस किसी ने उनके गीत "दिल हूम हूम करे" और "ओ गंगा तू बहती है क्यों" सुना वह इससे इंकार नहीं कर सकता कि उसके दिल पर भूपेन दा का जादू नहीं चला। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उनहोने फिल्म "गांधी टू हिटलर" में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" गाया था। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।
हजारिका का जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था। हजारिका के पिताजी का नाम नीलकांत एवं माताजी का नाम शांतिप्रिया था। उनके पिताजी मूलतः असम के शिवसागर जिले के नाजिरा शहर से थे। दस संतानों में सबसे बड़े, हजारिका का संगीत के प्रति लगाव अपनी माता के कारण हुआ, जिन्होंने उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत की शिक्षा जनम घुट्टी के रूप में दी। बचपन में ही उन्होंने अपना प्रथम गीत लिखा और दस वर्ष की आयु में उसे गाया। साथ ही उन्होंने असमिया चलचित्र की दूसरी फिल्म इंद्रमालती के लिए १९३९ में बारह वर्ष की आयु मॆं काम भी किया।
शिक्षा
भूपेन हजारिका का जन्म 1 9 26 में, सादिया, असम में हुआ था। एक अत्यंत अकादमिक रूप से उदार व्यक्ति, उन्होंने 1 9 42 में गुवाहाटी में अपना इंटर (आर्ट्स) किया, और 1 9 44 में अपने बी ए को और 1 9 46 में राजनीति विज्ञान में एम ए को पूरा करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय चला गया।
इसके तुरंत बाद, वह न्यू यॉर्क, यूएसए, जहां उन्होंने पांच साल तक रहता था और कोलंबिया विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में अपने डॉक्टरेट (पीएचडी) प्राप्त करने के लिए छोड़ दिया। सिनेमा के माध्यम से शैक्षिक परियोजना के विकास के उपयोग के अध्ययन के लिए उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय, यूएसए से लिस्लो फैलोशिप भी प्राप्त किया।
सिनेमा में उपलब्धि
भूपेन हजारिका को देश के अग्रणी फिल्म निर्माताओं में स्थान दिया गया था।
वह संभवतः एकमात्र अग्रणी थे, जो संपूर्ण भारत और विश्व सिनेमा मानचित्र पर असमिया सिनेमा को चलाने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार थे। वह पिछले 40 सालों में बेहतर सिनेमा आंदोलन का प्रचार करने वाला एकमात्र व्यक्ति रहा है और सिनेमा के माध्यम से आदिवासी संस्कृति सहित सभी सात उत्तर-पूर्वी राज्यों को एकीकृत किया है। उनकी उल्लेखनीय लोकप्रियता उन्हें 1 9 67 से 1 9 72 के बीच एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में विधान सभा में लेकर आई, जहां उन्होंने असम में गुवाहाटी में भारत में अपनी तरह का पहला राज्य स्वामित्व वाली फिल्म स्टूडियो स्थापित करने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार था।भूपेन हजारिका ने फ़िल्म में 1 9 3 9 के शुरुआती वर्षों में दूसरी टॉकी फिल्म में बाल कलाकार के तौर पर फिल्मों में अपना कैरियर शुरू किया। इंद्रमालती ..
एक अस्वाभाविक प्रतिभा उन्होंने लिखा और 10 साल की उम्र में अपना पहला गीत गाया था, जिसके बाद वापस नहीं देखा गया था।
गीत संगीत का सफर
भूपेन हज़ारिका एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कलाकार थे। बचपन में ही उन्होंने अपना पहला गीत लिखा और 10 वर्ष की आयु में उसे गाया भी। असमिया भाषा की फ़िल्मों से भी उनका नाता बचपन में ही जुड़ गया था। उन्होंने असमिया भाषा में निर्मित दूसरी फ़िल्म इंद्रमालती के लिए 1939 में बारह वर्ष की आयु मॆं काम भी किया। सुर सम्राट हज़ारिका ने क़रीब 70 साल तक अपनी आवाज़ से पूर्वोत्तर के साथ बॉलीवुड में भी छाए रहे। हज़ारिका ने अपनी फ़िल्म का निर्देशन 1956 में किया। उन्होंने एरा बतर सुर से अपनी फ़िल्म का पहला निर्देशन किया।
हज़ारिका ने होश संभालते ही गीत संगीत को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बना लिया और 60 साल तक लगातार भारतीय संगीत जगत् में सक्रिय योगदान दिया। उनके गंगा नदी पर लिखे और गाए गीत काफ़ी प्रसिद्ध हुए। हज़ारिका ने बंगाली, असमिया और हिंदी समेत कई भारतीय भाषाओं में गीत गाए हैं। आज भूपेन हज़ारिका के गाए कई प्रसिद्ध गीत है। फ़िल्म 'रूदाली' के गीत 'दिल हूं हूं करे' के जरिए हज़ारिका हिंदी फ़िल्म जगत् में छा गए। इसके अलावा हज़ारिका ने दमन फ़िल्म में 'गुम सुम' गाना भी गाया। भूपेन ने 'मैं और मेरा साया, एक कली दो पत्तियां, हां आवारा हूं, उस दिन की बात है' जैसे कई सारे हिंदी गानों को गाया था। 'ओ गंगा बहती हो क्यों' को अपनी आवाज़ और संगीत दी है। बिहू के गीतों में भूपेन हज़ारिका ने अपनी चिरजीवी आवाज़ दी है। यही नहीं, ‘गांधी टू हिटलर’ फ़िल्म में महात्मा गांधी के प्रसिद्ध भजन ‘वैष्णव जन’ को उन्होंने ही अपनी आवाज़ दी।