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अन्यवैज्ञानिकSCIENTIST

भास्कर साहा की जीवनी - Biography of Bhaskar Saha in hindi jivani

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नाम : भास्कर साहा

जन्म दि: 2 जनवरी 1964 आयू 56 वर्षे

ठिकाण : कोलकता, भारत

व्यावसाय : वैज्ञानिक


प्रांरभिक जीवनी :


        भास्कार साहा का जन्म 2 जनवरी 1944 को कोलकत्ता मे हुआ था | उन्होने इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी कलकत्ता 1993 मे पीएचडी कि उपाधि प्राप्त कि थी | उन्होंने नेवल मेडिकल रिसर्च इंस्टीटयूट मे पोस्ट डॉक्टरेल फेलोशिप किया था | और एनएमआरआय मे प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रुप मे कार्य किया था |


        शात और स्पनाशील व्याक्तित्वा के लिए पहचाने जाने वाले साहा 2013 मे तब चर्चा मे आए थे | जब उन्हेांने नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस मे शोध कार्यक्रमो के कुप्रबंध्ंन के विरोध मे भूख हडताल कि थी | उनका विवाह भारतीय विदया भवन मे एक स्कूल शिक्षक रत्ना से हुआ था | और दंपति का एक बेटा बैचस्वत और एक बेटी, सप्तापर्णी है | उनका परिवार पुणे मे रहता है |


कार्य :


        भास्कार साहा एक भारतीय प्रतिरक्षाविज्ञानी, सेल बायोलॉजिस्टा और पूणे के नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस के वरिष्ठ वैज्ञानिक है | उन्हे इम्यूनोलॉजीऔर सिग्नल के क्षेत्र मे उनके योगदान के लिए जाना जाता है | वह प्रमूख भारतीय विज्ञान अकादमीयों नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज भारत और इंडियन, एकेडमी ऑफ साइंसेज मे से दो के एक निर्वाचित साथी है |


        उन्होंने 1998 मे नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस जवाइन किया, जहाँ वे साइंटिस्टा जी के रुप मे कार्य करते है | इम्यूनोलॉजी और कैंसर बायोलॉजी पर अपने शोध करते है | उनके शुरुआती शोध इम्यूनोलॉजी पर केंद्रीत थे | और उन्हेांने अपने निष्कर्षो के चिकित्सीय उपयोगो का पता लगाने के लिए अपना ध्यान स्थानातरति कर दिया था |


        एनसीसीएम मे वह पांच परियोजनाओं मे शामिल है : लीशमैनिया मैक्रोफेज इंटरैक्शन सी डी 40 सिग्नलिंग डी सी सबसेट प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ मध्यास्थता प्रधानता लीशमैनियासिस मे विनियात्काक टी केशिकाओ के विकास और विनियमन | उनहोंने कई शोध लेख समीक्षाएँ और पूस्तक अध्याय प्रकाशित किए है | जो कि पबेड मे पाए जा सकते है | उन्होने पुणे विशवाविध्यालय और विघासागर विश्वाविध्यालय के संकाय सदस्या के रुप मे भी काम किया है |


पुरस्कार और सम्मान :


1) उनहे 2009 मे वैज्ञानिक और औघोगिक अनुसंधान परिषद कि विज्ञान और प्रौघोगिकी के लिए शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार दिया है |

2) उनहे 2011 मे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज भातर व्दारा एक साथी के रुप मे चुना गया था |

3) भारतीय विज्ञान अकादमी के एक चुने हुए साथी बन गए

4) उनहे 2007 मे जैव प्रौघोगिकी विभाग के कैरियर विकास के लिए राष्ट्रीय जीव विज्ञान पूरस्कार से सम्मानित किया गया था |


पूस्तके :


1) कोलोर्स्टोल की कमी से जुडे लीशमैनिया प्रमूख संक्रमण सहयोगी मैकॉर्जेज सीडी 40 सिग्नलोसेम रचना और प्रभावकारक कार्य|

2) फंक्शन का समुच्चय: मेजबान संरक्षण या रोग संवर्धन|

3) लीशमैनिया संक्रमण के लिए प्रतिरक्षा प्रतिक्रया