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नाम : अन्ना मणि
जन्म दि : 23 अगस्त 1918
ठिकाण : त्रावणकोर केरल
व्यावसाय : भौतिक विज्ञानी
मर गए : 16 अगस्त 2001
प्रारंभिक जिवनी :
अन्ना मोदयाल मणि का जनम 23 अगस्त 1918 मे रामनाथपूरम के परमकुडी मे एक प्राचीन सीरीयाई इसाई परिवार मे हुआ था | उसके पिता एक सिविल इंजिनियर और एक अज्ञेय थे | वह अपने परिवार मे आठ बच्चों मे से सातवी थी | बचपन के दिनों मे वह एक बहूत पढी लिखी थी | वे वेकोम सत्याग्रह के दौरान गांधी की गतिविधियों से प्रभावित थे | राष्ट्रावादी आंदोलन से प्रेरित होकर, उन्होंने केवल खादी वस्त्र धारण किया था |
मणि परिवार एक विशिष्टा उच्चा वर्गीय व्यावसायिक घराना था | जहॉ बचपन से ही पुरुष बच्चेां को उच्चा स्तार के करियर के लिए तैयार किया जाता था | लेकिन अण्णा मणी के साथ ऐसा नही हुआ था | आठ साल की उम्रा तक, उसने अपनी सार्वजनिक लाइब्रेरी मे मलयालम की लगभग सभी किताबे पढ ली थी और जबतक वह बारहसाल की नही हो जाती, तब तक अंग्रेजी की सभी किताबें पढ ली थी | अपने आठवें जन्म्दिन पर उन्होंने अपने परिवार को हीरे के झुमके के एक सेट के उपहार को स्वीकार करने से मना कर दिया था |
किताबों की दुनिया ने उसे नए विचारों के लिए खोल दिया था और उसे सामाजिक न्याय की गहरी भावना से प्रेरित किया जिसने उसके जीवन को सूचित और आकार दिया था | हव नृत्या करना चाहती थी उसने भौतिकी के पक्ष मे फैंसला किया क्योंकी उसे विषय पसंद था | 1939 मे उन्होंने मद्रास के पचैयप्पास कॉलेज से भौतिकी और रसायन विज्ञान मे बीएससी ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी | 1940 में, उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर मे शोध के लिए छात्रवृत्ति प्राप्ता की थी | 1945 मे , वह भौतिकी मे स्त्रातक की पढाई करने के लिए इम्पीरियल कॉलेज, लंदन गई थी | हालाँ कि उसने मौसम संबंधी उपकारणों मे विशेषज्ञता हासिल की थी |
कार्य :
पचई कॉलेज से स्त्रातक होने के बाद उसने प्रोफेसर सोलोमन पाप्पैया के अधीन काम किया था | वह भारतीय भौतिक विज्ञानी और मौसमी विज्ञानी थी | वह भारतीय मौसम विभाग के उपमहानिदेशक के रुप मे सेवानिवृत्ता हुई थी | और आगे रमन रिसर्च इंस्टीटयूट मे विजिटिंग प्रोफेसर के रुप मे कार्य किया था | उन्होंने मौसम विज्ञान उपकरण के क्षेत्र मे कई योगदान दिए है | अनुसंधान किए और विकरण ओजोन और पवन ऊर्जा माप पर कई पत्र प्रकाशित कए थे | जो माणिक और हिरे के ऑप्टीकल गुणोंपर शोध करता था | उसने पॉच शोध पत्र लिखे और पीएचडी शोघ प्रबंध प्रस्तूत किया लेकिन उसे पीएचडी की डिग्री नही दी गई क्योंकी उसके पास भौतिकी मे स्त्रातकोत्तार की डिग्री नहीं थी |
1948 मे भारत लौटने के बाद, वह पूणे मे मौसम विभाग मे शामिल हो गई | 1953 तक वह 121 पुरुषों के साथ विभाजन के प्रमूख बन गए थे, जो उनके लिए काम कर रहे थे | अण्णा मणि ने भारत को मौसम के साध्ंनों पर निर्भर बनाने की कामना की थी | उसने सौ अलग अगल मौसम उपकरणों के चित्र को मानकीकृत किया था | 1957:58 से, उसने सौर विकिरण को मापने के लिए स्टैशनों का एक नेटवर्क स्थापति किया था |
अपने काम के लिए समर्पित अण्णा मणि ने कभी शादी नहीं की | वह कई वैज्ञानिक संगठनों जैसे इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी अमेरिकन मौसम विज्ञान सोसायटी इंटरनेशनल सोलार एनर्जी सोसाइटी विश्वा मौसम संगठन डब्ल्यूएमओ इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर मीटिशेलॉजी एंड एटमॉस्फेरिक फिजिक्सा आदि से जुडी थी | 1987 मे वह एक प्राप्ताकर्ता थी |
उन्हें 1969 मे उपमहानिदेशक के रुप मे दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था | 1975 मे उसने मिस मे उब्यूएमओ सलाहकार के रुप मे काम किया था | वह 1976 मे भारतीय मौसम विभाग के उपमहानिदेशक के रुप मे सेवानिवृत्ता हुए |
1994 मे वह एक स्ट्रोक से पीडीत हुई और 16 अगस्ता 2001 को तिरुनंतपूरम मे उनका निधन हो गया |
पुस्तके :
1) भारत मे पवन ऊर्जा संसाधन सर्वक्षण 1992
2) भारत मे सौर विकीरण 1981
3) द हैंडबुक फॉर सोलार रेडिएश्ंन डेटा फॉर इंडिया 1980