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नाम : अनिंदा सिन्हा
जन्म दि : 31 मार्च 1977
ठिकाण : कोलकत्ता
व्यवसाय : भौतिक विज्ञानी
प्रारंभिक जीवनी :
अनिंदा सिंन्हा का जन्म 31 मार्च 1977 को कोलकत्ता मे हुआ था | सिन्हा ने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकता के डॉन बॉस्को पार्क सर्कस से पूरी की थी | उन्होंने अपनी बी एस सी की स्त्रातक पढाई जादवपूर विश्वाविदयालय से पूरी की थी | 1999 मे कैम्ब्रिज विश्वाविदयालय से एम ए, सीएएसएम और पीएचडी की डिग्री हासिल की थी | सिन्हा पिएचडी सलाहकार प्रोफेसर माइकल ग्रीन थे |
कार्य :
अनिंदा सिन्हा एक भारतीय सैध्दांतिक भौतिक विज्ञानी है | जो सेंटर फॉर हाई एनर्जी फिजिक्सा, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस बैंगलोर भारत मे एसोसिएट प्रोफेसर के रुप मे कार्यरत है | सिन्हा हो कांटम क्षेत्र सिध्दांतो मे C प्रमेयों पर रोबमायर्स के साथ अपने काम के लिए जाना जाता है | और साथ ही इसे घटना संबंधी जांच के लिए एक उपकरण के रुप मे भी उपयोग किया गया है |सिन्हा को कई शोध मे रुचि थी | जैसे की
1) सैध्दांतिक भौतिकी
2) कांटम क्षेत्र सिध्दांत
3) अनुरुपम क्षेत्र सिध्दांत
4) सामान्या सापेक्षता
5) स्ट्रिंग सिध्दांत
।) सैध्दांतिक भौतिकी :
सैध्दांतिक भौतिकी भौतिकी विज्ञान की एक शाखा है | जो प्राकृतिक घटनाओं को तर्कसंगत बनाने, समझाने और भविष्यवाणी करने के लिए भौतिक वस्तूओं और प्रणालियों के गणितीय मॉडल और अमूर्त को रोजगार देती है | यह प्रयोगात्मक भौतिकी के विपरित है जो इन घटनाओं की जांच के लिए प्रयोगात्मक उपकरणों का उपयोग करता है |
2) कांटम क्षेत्र सिध्दांत :
कांटम क्षेत्र सिध्दांत एक सैध्दांतिक ढांचा है जो शास्त्रीय क्षेत्र सिध्दांत विशेष सापेक्षता और कांटम यांत्रिकी को जोडता है | भौतिक मॉडल के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है, उपपरमाण्विक कणों और कासिपर्टिकल्सा संघनित पदार्थ भौतिकी मे कणों के बीच सहभागिता को उनके संबंधित क्षेत्रों केा शामिल करने वाले लैग्रेनिज मे बातचीत की शर्तो व्दारा वर्णित किया जाता है | प्रत्येक संत क्रियात्माक रुप से फेनमैन आरेखों व्दारा प्रतिनिधित्वा किया जा सकता है | जो की सापेक्ष कम्पयूटेशनल सिध्दांत की प्रकिया मे औपचारिक कम्प्यूटेशनल उपकरण है
3) अनुरुप क्षेत्र सिध्दांत :
एक अनुरुप क्षेत्र सिध्दांत एक कांटम क्षैत्र सिध्दांत है | जो अनुरुप परिवर्तनों के तहत अपरिवर्तनीय है | दो आयामेां मे स्थानीय अनुरुप परिवर्तनों का एक अनंत आयामी बीजगणित है, और अनुरुप क्षेत्र सिध्दांत कभी कभी हल या वर्गीकृत किए जा सकते है |
4) स्ट्रिंग सिध्दांत :
भौतिकी मे स्ट्रिंग सिध्दांत एक सैध्दांतिक हांचा है | जिसमे कण भौतिकी के बिंदू जैसे कणों को एक आयामी वस्तूओं व्दारा प्रतिस्थापित किया जाता है | जिन्हें तार कहा जाता है | यह बताता है कि तार अंतरिक्ष के माध्याम से कैसे फैलते है | और एक दुसरे के साथ बातचीत करते है | स्ट्रींग स्केल से बडी दूरी पर, एक स्ट्रिंग एक साधारण कण की तरह दिखता है | जिसके व्दारा निर्धारित होते है | स्ट्रींग सिध्दांत मे, स्ट्रिंगकेकई कंपन अवस्थाओं मे से एक गुरुत्वाकर्षण गुरुत्वाकर्षण से मेल खाती है | जो एक कांटम यांत्रिक कण है जो गुरुत्वाकर्षण बल वहन करता है |इस प्रकार स्ट्रिंग सिध्दांत व्कॉटम गुरुत्वाकर्षण का एक सिध्दांत है |
पुरस्कार और सम्मान :
1) 2001 मे मेवेज पूरस्कार से सम्मानित किया गया था |
2) उन्हें 2010 मे रामानुजन फैलोशिप से सम्मानित किया गया था |
3) उन्हें विज्ञान और प्रोघोगिकी विभाग, भारत व्दारा स्थापित जयंती फैलोशिप से सम्मानित किया गया था |
4) रेल नाइट पुरस्कार को 2002 के स्मिथ पूरस्कार के भी जाना जाता है |