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अन्यवैज्ञानिकSCIENTIST

अनिल कुमार दास की जीवनी - Biography of Anil Kumar Das in hindi jivani

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नाम : अनिल कुमार दास

जन्म दि : 04 फरवरी 1902

ठिकाण : चिनसुरा, हुगली, पश्चिम बंगाल

व्यावसाय : खगोलशास्त्री

मर गए : 18 फरवरी 1961 59 वर्षे की आयू


प्रारंभिक जीवनी :


        अनिल कुमार दास इनका जनम 1 फरवरी 1902 मे चिनसूरा गाँव हुगली शहर मे हुआ था | वह कलकत्ता विश्वाविदयालय से स्त्रातक की मास्टार ऑफ सांइस करने के बाद, उन्होंने पेरिस मे सोरबोन मे चार्ल्स फेब्री के साथ स्पेक्ट्रोस्कोपी का अध्यायन किया | अपने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्ता करने के बाद वह गोटिंगेन मे थे जहाँ उन्होंने मैक्सा बोर्न के साथ इंस्टीटयूट फर थोरिटीशे फिजिक मे काम किया और बाद मे जियोफिसिक्लीस इंस्टीटयूट मे गुस्ताव ऑगेनिहिस्टार के साथ और कैम्ब्रिज मे सोर भौतिकी वेधशाला मे थोडे समय के लिए काम किया | बाद मे उन्होंने 1930 मे भारतीय मौसम विभाग मे काम किया और फिर 1946 मे सहायक निदेशक और निदेशक के रुप मे 1937 मे कोडाइकनाल वेधशाला चले गए और 1960 मे अपनी सेवानिवृत्ति तक वे वही रहे |


कार्य :


        एक भारतीय वैज्ञानिक, खगोलशास्त्री थे | आंतर्राष्ट्रीय भूमौतिकीय वर्षे के दौरान, मैड्रिड, भारत और मनीला मे वेधशालाएं सौर प्रभावों की निगरानी के लिए जिम्मेदार थी | दक्षिण भारत मे कोकाइकनाल सौर वेधशाला ने अपने हाल ही मे निर्मित सौर सुरंग वेधशाला ने अपने हाल ही निर्मित सौर सुरंग टूरबीन का उपयोग करके यह निगरानी की |


        डाँ. दास इस समय कोडइकनाल वेधशाला के निदेशक 1960 मे वह इस सुविधा के लिए एक टॉवर सुरंग टूरबीन स्थापित करने के लिए जिम्मेदार थे, जिसका उपयोग पहले कुछ हेलिओस्जिोलॉजि जांच करने के लिए किया जाएगा | चंद्रमा के सबसे दूर स्थित गुडडा दास का नाम उनके नाम पर रखा गया है |


        उन्होंने लेबरकॉटर डे फिजिक डेस सॉलिडस पेरिस संस्थान मे कार्य किया है | और वह 1961 मे उस्मानिया विश्वाविदयालय मे खगोल विज्ञान के प्रोफेसर थे | उन्होंने निजामिया ऑब्जार्वेटरी हैदराबाद के निदेशक के रुप कार्य किया 1961 मे | उनके अधिकांश वैाज्ञानिक योगदान मुख्या रुप से सूर्योदय और क्रामोस्फीयर के स्पेक्ट्रोफोटोमेट्रिक अध्यायन मे एक प्रयोगकर्ता के रुप मे सौर भौतिकी के क्षेत्र मे थे उन्होंने कोडाइकनाल वेधशाला मे मौजूद उपकरणों के विकास और कई युवा शोधकर्ताओं के विकास मे महत्वापूर्ण योगदान दिया | वह हेलिओसिजमोलॉजी जांच के लिए जाना जाता है |


पूरस्कार और सम्मान :


1) 1935 मे रॅायल सस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के फेलो

2) भारत के राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान के फेलो 

3) चंद्र क्रेटर दास गडउा आएयू व्दारा उसे समर्पित

4) भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान आकादमी 1943 के रुप मे जाना जाता है |

5) भारत सरकार व्दारा पदमश्री से सम्मानित 1960 मे किया गया |