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नाम : अनिल कुमार भटटाचार्य
जन्म दि : 01 अप्रैल 1915
ठिकाण : भाटपारा, परगणा जि. पश्चिम बंगाल
मर गए : 17 जुलाई 1996
प्रारंभिक जिवन :
अनिल कुमार भट्रटाचार्य का जन्म भवनाथ और लीलावती के घर मे अप्रैल 1915 को हुआ था | पश्चिम बंगाल के परगना जिले के भाटपारा मे हुआ था | उन्होंने 1932 मे कलकता विश्वाविदयालय की मैट्रिक परीक्षा पास की थी | और आई एस सी 1934 मे हुगली मोहसिन कॉलेज से परीक्षा दी | 1936 मे उन्होंने BA \ B Sc में प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्ता किया था | उसी कॉलेज से पश्रिक्षा दी और गणित मे एम ए करने के लिए कलकत्ता विश्वाविदयालय चले गए थे | यहॉ उन्होंने एफ डब्ल्यू लेवी और रामचंद्र बोस को अपने शिक्षकों के रुप मे रखा था | और 1938 मे एम ए की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी |
1939 मे, लेवी के सुझााव पर भटटाचार्य ने पी सी महालोबनिस से मुलाकात की और एक मानद कार्यकर्ता के रुप मे भारतीय सांख्यीकी संस्थान से जुडे रहे | 1941 मेण् उन्हें कलकता विश्वाविदयालय के नवगठित सांख्यिकी विभाग मे अंशकालिक व्याख्याता बनाया गया था | यहाँ उनके छात्रों के रुप में सी आर राव, एच के नंदी और टी पी चौधरी थे | वह दिसंबर 1943 मे बिहार सरकार के साख्यिकी अधिकारी की नौकरी संभालने लिए पटना चले गए थे | और 1946 मे, वे भारतीय सांख्यिकी संस्थान मे अधीक्षण सांख्यिकीविद प्रशिक्षण के प्रभारी के रुप मे शामिल होने के लिए कलकत्ता लोट आए थे |
महालनोबिस ने उनसे समवर्ती रुप से प्रेसीडेंसी कॉलेज के सांख्यिकी विभाग मे कक्षाएं लेने का अनुरोध किया था | इस पद के बनने के बाद, भटटाचार्य को 1949 मे पूर्णकालिक वरिष्ठा प्रोफेसर और विभाग का प्रमूख बनाया गया | मार्च 1974 मे सेवानिवृत्त् होने तक उन्होंने वरिष्ठा प्रोफेसर के पद पर कब्जा कर लिया था | लेकिन 1967 मे उन्होंने नेतृत्वा से हटकर स्पष्टा रुप से निश्चित रुप से उपहास किया था | सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद से, वे नरेंद्रपूर रामकृष्णा मिशन अवासिय महाविदयालय मे अतिथि शिक्षक के रुप मे जुडे थे | जहाँ उनके नाम पर एक स्मारक छात्रवृत्ति प्रदान कि जाती है |
कार्य :
अनिल कुमार भटटाचार्य एक भारतीय सांख्यिकी विद थे | जो 1930 के दशक मे भारतीय सांख्यिकी संस्थान मे काम करते थै | उन्होंने बहुभिन्नारुपी ऑकडों मे मौलिक योगदान दिया था | विशेष रुप से दो बहुराष्ट्रीय वितरणों के बीच समानता के उनके उपाय के लिए जिस भटटाचार्य गुणीक के रुप मे जाना जाता है | जिसके आधार पर उन्होने एक मीट्रीक, भटटाचार्य दूरी को परिभाषित किया था | इस उपाय का उपयोग जीव विज्ञान भौतिकी कंम्प्यूटर विज्ञान आदि मे सांख्यिकीय नमूनों की तुलना मे व्यापक रुप से किया जाता है |
पूस्तके :
1) राममूर्ति की अधिकतम सेट की समस्या पर एक टिप्पणी
2) उनके संभाव्याता वितरण व्दारा परिभाषित दो साख्यिकीय अबादी के बीच चिलन की माप पर बुल
3) सामान्या बीवरिएट वितरण के लिए पर्याप्ता परिस्थितीयों के कुछ सेटों पर सांख्या 6
4) ची वर्गा के वितरण पर एक नोट सांख्या 7
5) सांख्यिकिय अनुमान मे जानकारी की मात्रा और उनके उपयोग के कुछ एनालॉग्सा पर I सांख्या 8 1946
6) सांख्यिकिय अनुमान मे जानकारी की मात्रा और उनके कुछ एनालॉग्सा पर II सांख्या 8 1947
7) सांख्यिकीय अनुमान मे जानकारी की मात्रा और उनके कुछ एनालॉग्सा पर III 8 1948
8) दो बहुराष्ट्रीय आबादी के बीच विचलन की एक माप पर सांख्या 7 1946
9) न्यूनतम विचरण के साथ निष्पक्ष ऑकडे प्रोक रॉय
10) स्थानीय मापदंडो को स्वीकार करने वाली सांख्यिकी आबादी मे प्रति गमन का सिध्दांत बुल 1954
11) सांख्यिकिय अनुमान मे जानकारी की मात्रा के कुछ उपयोग 46 वे सत्र 1959
12)मल्टीवेरिएट विश्लेषण में टी वितरण के कुछ उपयोगों पर सांख्या 12 1952