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अन्यवैज्ञानिकSCIENTIST

अमोलक चंद जैन की जीवनी - Biography of Amolak Chand Jain in hindi jivani

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नाम : अमोलक चंद जैन

जन्म दि : 27 दिसंबर 1928

ठिकाण : दिल्ली भारत

व्यावसाय : रसायनतज्ञ


प्रारंभिक जीवनी :


        अमोलक चंद जैन उनका जन्म 27 दिसंबर 1928 को भारत की राजधानी दिल्ली मे जुगल किशोर जैन और कलावती के घर मे हुआ था | उन्होंने 1948 मे दिल्ली विश्वाविदयालय से रसायन विज्ञान बीएससी ऑनर्स मे स्त्रातक किया और 1950 मे उसी विश्वाविदयालय से मास्टार डिग्री हासिल की अपने अल्मा मेटर मे एक शोध सहायक के रुप मे अपना करियर शुरु किया और एक प्रसिध्दा रसायनतज्ञ और पदमभूषण प्राप्ता कर्ता टी आर शेषाद्रि के मार्गदर्शन मे अपने पीएचडी को सुरक्षित करे बाद 1956 मे कैम्बिज युनिवर्सिटी मे चले गए, उन्होंने जॉर्ज वैलेस केनर, रॉयल सोसाइटी के साथी की प्रयोगशाला मे क्लोरोफिल संश्लेषण पर शोध किया और 1958 मे एक और पीएचडी हासिल की |


        दिल्ली विश्वाविदयालय मे अपना करियर और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी से एक वरिष्ठा अनुसंधान फैलोशिप पर अपने शोध को जारी रखा | 1961 से एक पाठक के रुप मे सेवा करते हुए, उन्हें 1966 मे एक यूनेस्को फेलोशिप प्राप्ता हुई | जिसने उन्हें मॉस्को मे अपने शोध को जारी रखने मे सहायता प्रदान की जिसने उन्हें 1967 मे डॉक्टार ऑफ साइंस की उपाधि प्रदान की |


कार्य :


        एक भारतीय प्राकृतिक उत्पाद रसायनतज्ञ, शैक्षणिक और दिल्ली विश्वाविदयालय जम्मू और हिमाचल प्रदेश विश्वाविदयालय मे रसायनशास्त्र विभाग के प्रमुख है | वह पॉलीफेनोहस, फलेवोनोइडस और आइसोफलोवोनोइडस और उनके सिथेस पर अपने अध्यायन के लिए जाना जाता है | वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज भारत के एक चूने हूए साची है | और इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज के एक जीवन सदस्या है |


        दो साल बाद उन्हे एक प्रोफेसर औ प्रमूख के रुप मे नियुक्त किया गया | जम्मू विश्वाविदयालय मे रसायन विज्ञान विभाग जहां वह 1973 तक रहे जब वह रसायन विज्ञान विभाग के प्रमूख के रुप मे हिमाचल प्रदेश विश्वाविदयालय चले गए | 1978 मे, वह दिल्ली विश्वाविदयालय, लौट आए जहाँ उन्होने अपने करियर का बाकी समय बिताया | बीच मे उन्होंने टैक्सास के कृषि और यांत्रिक विश्वाविदयालय 1986 बुडापेस्टा विश्वाविदयालय और मॉरीशस विश्वाविदयालय 1989:90 मे एक विजिटिंग प्रोफेसर के रुप मे छोटे संकेत दिए |


        उन्होंने सहकर्मी समीक्षीत पत्रिकाओं में प्रकाशित 275 से अधिक लेखों के माध्याम से अपने शोध निष्कर्षो को प्रकाशित किया है | और कार्बनिक रसायन विज्ञान पर एक पाठया पुस्ताक लिखि है | उन्होंने अपनी पढाई मे 30 एमफिल और 30 पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन किया | वह अपने संपादकिय बोर्ड के सदस्या के रुप मे भारतीय विज्ञान सार पत्रिका से भी जूडे है |


पूरस्कार और सम्मान :


1) 1995 से 2000 तक भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के एक वरिष्ठा वैज्ञानिक, जैन ने 1985 से 1991 तक दिल्ली विश्वाविदयालय मे अपने कार्यकाल के दौरान अकादमिक पाठयाक्रमों के पूनर्गठन मे योगदान दिया |

2) वैज्ञानिक और औघोगिक अनुसंधान परिषद ने जैन को शांति स्वार्ण भटनागर पूरस्कार 1969 मे सर्वोच्चा भारतीय विज्ञान पुरस्कारों मे से एक से सम्मानित किया |

3) वह इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज के दिल्ली अजीवन सदस्या है |

4) दिल्ली विश्वाविदयालय ने अकादमिक को मान्याता देने के लिए एक वार्षिक छात्रवृत्ति, प्रेाफेसर एसी जैन फेलोशिप की स्थापना की है | उन्होंने स्त्रातकोतर छात्रों के बीच कार्बनिक रसायन विज्ञान मे उत्कृष्टता दिखाई दी |


पूस्तके :


1) अमोलक चंद जैन, भोला नाथ शर्मा नवंबर 1972 का संश्लेषण

2) अमोलक चंद जैन सुरेद्रा मोहन आनंद 1974 हाइड्रॉक्सी – 3 3 मिथाइलबट:2 एनीलोक्सी एक्सायोन्सा के क्लेसेन पुनर्व्यस्था

3) अमोलक चंद जैन भोला नाथ शर्मा 1974 अल्फिनम आइसोक्लोवोन ओसाजिन और वारंगलोन का संलेषण