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नाम : अमित प्रकाश शर्मा
जन्म दि : 12 अप्रैल 1968
ठिकाण : भारत
व्यावसाय : पैरासिटोलॉजिस्टा
प्रारंभिक जीवन :
12 अप्रैल 1968 को पैदा हुए अमित शर्मा ने पडयूविश्वाविदयालय से अपनी मास्टार डिग्री हासिल की और 1995 मे पीएचडी सुरक्षित करने के लिए नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी मे प्रोटीन क्रिस्टलो ग्राफी मे डॉक्टारेट की पढाई की | उनके पोस्टा डॉक्टारल कार्य 2000 तक ऑक्साफोर्ड विश्वाविदयालय मे भी कार्य किया 2004 मे भारत लौटने पर उन्होंने स्टाफ वैज्ञानिक के रुप मे इंटरनेशनल सेंटर फॅार जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायो टेक्नोलॉजी आयसीजीई शामील हो गए वह समूह का प्रमूख है , जहाँ वह कई विव्दानों और वैज्ञानिको की मेजवानी करता है |
कार्य :
एक भारतीय पैरासिटोलॉजिस्टा और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजिनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी मे स्ट्रक्चरल एंड कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी ग्रूप के प्रमूख है | मलेरिया की बीमारी के बारे मे अध्यायन के लिए जाना जाता है , शर्मा भारतीय विज्ञान अकादमी और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज भारत के एक निर्वाचित साथी है | भारत सरकार के जैव प्रौघोगिकी विभाग ने 2007 मे जैव विविधता मे उनके योगदान के लिए उन्हें कैरियर विकास के लिए राष्ट्रीय जैव विज्ञान पूरस्कार से सम्मानित किया |
शर्मा का शोध संरचनात्मक परजीवी विज्ञान के क्षेत्र मे केंद्रीत है, और उन्होंने मेलेरिया परजीवी जीवन विज्ञान मे उन्नात किया है | उन्होंने वैज्ञानिकों के आयासीजीइबी समूह का नेतृत्वा किया, जिन्होंने ब्रॉड इंस्टीटयूट के शोधकर्ताओ के साथ सहयोग किया, जिन्होंने एक नार यौगिक, बाइसिकिल एजेटिडाइन की खोज की, जिसमे मलेरिया का कारण बनने वाले प्लास्मोडियम परजीवी के खिलाफ क्षमता दिखाई दी | उनकी पढाई को कई लेखो के माध्याम से प्रलेखित किया गया है | वैज्ञानिक लेखो के एक ऑनलाईन भंडार के प्रकाशन प्रकाशन ने उनमे से कई सूचीबध्दा किया है |
पूरस्कार और सम्मान :
1) भारत सरकार के जैव प्रौघोगिकी विभाग ने शर्मा को कैरियर विकास के लिए राष्ट्रीय जैव विज्ञान पूरस्कार |
2) 2007 में सर्वोच्चा भारतीय विज्ञान पुरस्कारों मे से एक उनसे सम्मानित किया |
3) 2009 मे गोयल पूरस्कार मिला
4) 2011 मे उन्हें विज्ञान और प्राधोगिकी के लिए शांति स्वारुप भटनागर पूरस्कार से सम्मानित किया गया |
5) जैनिक विज्ञान श्रेणी मे भारत मे सर्वोच्चा विज्ञान पूरस्कार, उनहें जीवन विज्ञान मे उनके योगदान के लिए 2015 मे इन्फोसिस पुरस्कार के लिए चुना गया था |
6) एशियन क्रिस्टालोग्राफिक एसोसिएशन के 2015 आरसीएसबी पीडीबी पोस्टार पूरस्कार को उनके लेख के लिए विटूल जैन व्दारा सुरक्षित किया गया था |
7) एक लेख के आधार पर, स्ट्राक्चर आफ प्रोले टीआरएनए सिंथेटेस हेलोफयूगिनल कॉम्प्लेक्सा बेस फोर ड्रग्सा के विकास के लिए मलेरिया और टॉक्सोप्लाजमोसिस के खिलाफ प्रदान करता है जिसे उन्होंने शर्मा के साथ सह लिखा
8) नेशनल एकॅडमी ऑफ साइंसेज भारत ने शर्मा को 2006 मे एक साथि के रुप मे चुना और उन्हें 2012 मे इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज की निर्वाचित फेलोशिप मिली