Deoxa Indonesian Channels

lisensi

Advertisement

" />
, 07:33 WIB
अन्यवैज्ञानिकSCIENTIST

अमर नाथ भाटुडी की जीवनी - Biography of Amar Nath Bhaduri in hindi jivani

Advertisement


नाम : अमर नाथ भाटुडी

जन्म दि : 12 नवंबर 1935

ठिकाण : श्यामबाजार, पश्चिम बंगाल भारत 

व्यावसाय : जीवविज्ञानी 

मर गए : 5 जून 2003 आयू 64 वर्षे


प्रारंभिक जीवनी :


        अमरनाथ भाटुडी का जनम 12 नवंबर 1935 को भारतीय रा्जया पश्चिम बंगाल के उत्तारी कोलकत्ता के श्यामबाजार मे हुआ था, उन्होंने अपनी कॉलेज की पढाई प्रेसीडेंसी कॉलेज और युनिवर्सिटी कॉलेज आफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड एग्रीकल्चर मे कॉलेज की पढाई जारी रखने से पहले स्कॉटिश चर्च कॉलेजएट स्कूल से की थी | कलकत्ता विश्वाविदयालय से अमेरिका मे जाने के बाद, उन्होंने 1964 मे मिशिगन विश्वाविदयालय एन अर्बोर से डॉक्टार ऑफ साइंस की पढाई पूरी करने के बाद 1966 मे भारत आकर जेतपूर मे दाखिला लिया फार्मेसी विभाग के संकाय के सदस्या के रुप मे विश्वाविदयालय उन्होंने 1985 मे इंडियान इंस्टीटयूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी मे अपने कदम के लिए संस्थान की सेवा की ओर संस्थान के निर्देशक के रुप मे प्रतिष्ठित हुए बीच मे वह 1975:76 के दौरान रोशे इंस्टीटयूट ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी मे एक छोटा कार्यकाल था |


        अपनी सेवानिवृत्ती के बाद उन्होंने एक एमिरेटस वैज्ञानिक के रुप मे 11CB के साथ अपना जुडाव जारी रखा | वे कलकत्ता और जादवपूर विश्वाविदयालय मे एक मानद प्रोफेसर के रुप मे भी सेवा दे रहे थे | जब उनकी मृत्यू कोलकता मे 5 जून 2003 को 67 की आयू मे उनकी पत्नी पुत्र और पूत्री व्दारा बची कूछी आयू संबंधी बीमारीयों के कारण हो गई | भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ने उनके जीवन संस्मारण मे उनके जीवन की दस्तावेज दिया है |


कार्य :


        मिशिगन विश्वाविदयालय मे एन अर्बोर भादुडी पॉल सिनियर के साथ जुडेथे और साइट्रेट चायापचय और फैटी एसिड बायोसिनेसिस पर काम किया था | यह हार्वर्ड मेडिकल स्कूल मे डॉक्टरेट के बाद अध्यायनों के दौरान था उन्होंने एक एपिसोड पर युरिडाइन न्यूक्लियोटाइड के प्रभाव को स्पष्टा किया था | बाद मे, उन्होंने जादवपूर विश्वाविदयालय मे अपने शोधो को जारी रखा और ग्लुकोज 6 फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेस की शुध्दि के लिए और एस फ्रेगिलिस से यूडिपी ग्लूकोज 4 एपिमेरेज के विनियमन के लिए कार्य प्रणाली की खोज की |


        उनके शोधो से पता चला कि एजाइम के डिसेन्सिटाइजेशन के लिए एक प्रोटोकॉल भी प्रस्तावित किया जिससे हाइपरबोलिक कैनेटिक्सा उत्पान्न् हुआ और वह प्रदर्शित किया की एंजाइम को सक्रीय या डीएक्टिवेट करने के लिए निकोटिनामाइड एडेनिन जइन्यूक्लियोटाइड के अतिरिक्त और पृथकरण उनके काम को एंजाइम के सक्रीय स्थलों के साथ साथ ऑलस्ट्रोसिटी के आणविक तंत्र के बारे मे समझा को चौडा करने की सूचना मिली थी | उन्होंने लीशमैनिया डोनोरानी के मेजबान परजीवी के जीवन चक्र मे सी ए के लिए बायोमॉडयूलेटरी भूमिका को समझाने का प्रयास किया | उनके शोध कई लेखो के माध्याम से प्रकाशित हुए है, और उन्होंने अपने डॉक्टरल शोधो मे कई विव्दानों का उल्लेख किया है |


        भादुडी जो 1986 से 1992 तक जर्नल बायोसाइंसेज और 1983 से 1991 तक इंडियन जर्नल ऑफ बायोकेमिस्ट्री एंड बायोफिजिक्सा जैसी पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड मे बेंडे थे | इंटरनेशनल यूनियन ऑफ बायेाकेमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की राष्ट्रीय आयोजन समिति के सदस्या थे | काँग्रेस 1994 मे नई दिल्ली मे आयोजित कि गई उन्होंने मोलेकुलर बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी ऑफ पारसाइटस पर UNDP परियोजना के लिए परियोजना निदेशक के रुप मे कार्य किया और 1990 मे कोच्चि मे आयोजित भारतीय विज्ञान कॉग्रेस की जैव रसायन और बायोफिजिक्सा अनुभाग की अध्याक्षता की वह विज्ञान, शिक्षा और सांस्कृतिकसंस्थान आयएसइसी कोलकत्ता के अध्याक्ष थे |


पूरस्कार और सम्मान :


1) भादुडी ने 1989 मे कलकता विश्वाविदयालय के बी सी गुहा मेमोरियल लेक्चार सहित कई पूरस्कार प्रदान किए |  

2) भारतीय विज्ञान अकादमी 1986 और भारतीय विज्ञान अकादमी 1989 एक निर्वाचित साथी शांति स्वरुप भटनागर पूरस्कार 

3) 1978 मे वैज्ञानिक और औघोगिक अनुसंधान परिषद व्दारा सर्वोच्चा भारतीय विज्ञान पूरस्कारों मे से एक |

4) भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी उन्हे 1995 मे जगदीश चंद्रबोस पदक के साथ फिर से सम्मानित किया | उन्हें डिएससी प्राप्ता हुई है |

5) होनारिस कोसा 1995 मे बर्दवान विश्वाविदयालय से और उनका नाम उनके बाइसेन्टेनरी समारोह के दौरान प्रेसीडेंसी विश्वाविदयालय के 200 शानदार पूर्व छात्रों की सूची मे शामिल किया गया है |