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अमल कुमार रायचौधुरी की जीवनी - Biography of Amal Kumar Raychaudhuri in hindi jivani

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नाम : अमल कुमार रायचौधुरी

जनम दि : 14 सितंबर 1923

ठिकाण : बारिसल ईस्टा बंगाल अब बांग्लादेश

पत्नी : नोमिता सेन

व्यावसाय : भौतिक विज्ञानी


प्रारंभिक जीवनी :


        डॉ. रायचौधुरी का जनम बैसल बांग्लादेश मे से आने वाले एक वैघ परिवार मे 14 सितंबर 1923 को सुरबाला और सुरेशचंद्रा रायचौधुरी के घर हुआ था | वह सिर्फ एक बच्चा था | जब परिवर कोलकता चला गया | उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तिर्थपति संस्थान मे की और बाद मे हिंदू स्कूल कोलकाता से मैट्रिक पूरा किया | 2005 मे अपनी मृत्यू से ठीक पहले बनी एक डॉक्टयूमेंट्री फिल्मा में, एके आर ने खुलासा किया कि वह अपनो विव्दानों से गणित के बारे मे बेहद भावुक या और समस्याओं को हल करने से बहुत खुशी मिलेगी | यह तथ्या हो सकता है की उनके पिता एक स्कूल में गणित के शिक्षक थे और उन्होंने उन्हें प्रेरित भी किया |


        उसी समय क्योंकि उनके पिता कहने मे इतने सफल नही थे, इसलिए कॉलेज मे ऑनर्स विषय के रुप मे उन्हें गणित उनकी पहली पसंद को लेने के लिए हत्तोत्साहित किया गया था | उन्होंने 1942 मे प्रेसीडेंसी कॉलेज से एमएससी और 1944 में कलकत्ता विश्वाविदयालय से एमएससी अर्जित किया और वे 1945 मे रिसर्च स्कॉलर के रुप मे इंडियनन एसोसिएश्ंन ऑफ द कल्टिवेशन ऑफ साइंस आयएसीएस से जुडे 1952 मे उन्होंने इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस आयएएससी के साथ एक शोध कार्य किया |


कार्य :


        वह एक प्रमूख भारतीय भौतिक विज्ञानी थे, जो समाजिक सापेक्षता और ब्रम्हांड विज्ञान मे अपने शोध के लिए जाने जाते थे | उनका सबसे महत्वापूर्ण योगदान नाम रायचौधुरी समीरकण है | जो दर्शाता है कि विलक्षणता सामान्या सापेक्षता मे अनिवार्य रुप से उत्पान्ना होती है | और पेनरोज हॉकिंग विलक्षणता प्रमेयों के प्रमाण एक महत्वापूर्ण घटक है | रायचौधुरी कोलकता के प्रेसीडेंसी कॉलेज मे अपने कार्यकाल के दौरान एक शिक्षक के रुप मे भी प्रतिष्ठित थे | उनके कई छात्र स्थापित वेज्ञानिक बन गए है |


        कुछ वर्षो के बाद यह पता चला कि उनके 1955 के पेपर को उल्लेखनीय भौतिकविदों ने माना था, जैसे पास्काल जॉर्डन, रायचौधुरी को डॉक्टरेट शोध प्रबंध प्रस्तू करने के लिए पर्याप्ता रुप से स्वीकार किया गया था | और उन्होने कलकत्ता विश्वावदयालय मे अपने डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्ता की एक परिक्षक के साथ प्रो नॉन् आचीबाल्डा व्हीलर ने 1959 मे किए गए कार्यो की विशेष सराहना की |


        1961 मे , रायचौधुरी अपने अल्मा मेटर, प्रेसीडेंसी कॉलेज और फिर कलकत्ता विश्वाविदयालय से संबध्दा संकाय मे शामिल हो गए, और वहां तक अपनी सेवानिवृत्ति तक रहे है | वह 1970 क दशक मे एक प्रसिध्दा वैज्ञानिक व्याक्ति बन गए| और उनकी मृत्यू से कुछ समय पहले पूरी की गई एक लघु वृत्ताचित्र फिल्मा का विषय था |


सम्मान और मान्याता :


1) उन्हें 1974:83 की अवधि के लिए समान्या सापेक्षता और गुरुत्वाकर्षण पर अंतर्राष्ट्रीय समिति का सदस्या चुना गया |

2) 1980:82 दोरान वे इंडियन एसोसिएशन ऑफ जनरल रिलेटिविटी एंड ग्रेविटेशन के अध्याक्ष थे |

3) उन्हें 1982 मे भारतीय विज्ञान अकादमी का फेलो चुना गया |

4) युजीसी एमेरिटस फेलो 1986 से 1988 तक

5) उन्हें 1987 मे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का फेलो चुना गया |

6) नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के फेलो |

7) एस्ट्रोफिजीकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की मानद फेलो

8) राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी व्दारा प्रोफेसर एसी बनर्जी मेमोरियल लेक्चार अवार्ड 1989 से सम्मानित 

9) इंटर युनिवर्सिटी सेंटर ऑफ एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्सा पुणे के मानद फेलो |

10) वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकाादमी के वरिष्ठा वैज्ञानिक 1988:91 थै |

11) उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान आकदमी व्दारा वीनू बापू मेमोरीयल अवार्ड 1991 से सम्मानित किया गया |

12) बर्दवान विश्वाविदयालय कल्याणी विश्वाविदयालय और विदयासागर विश्वाविदयालय से सम्मान |

13) मान विजिटींग प्रोफेसर जादवपूर विश्वाविदयालय, कोलकता