Advertisement
नाम : अजीत खेमवी
जनम : 16 अगस्त 1950
ठिकाण : हुबली, कर्नाटक
व्यावसाय : भौतिकीविद
पत्नी : आशा खेमवी
प्रारंभिक जीवन :
अजीत खेमवी का जन्म 1950 मे कर्नाटक के हुबली मे हुआ था | और उन्होंने अपने बचपन का एक बडा हिस्सा वहॉ बिताया था | हुबली मे बिताए गए अपने समय के दौरान, खेमवी भारतीय प्रसिध्दा शास्त्रीय संगीतकार, गंगूबाई हंगल के पडोसी थे | इससे अजीत को भारतीय शास्त्रीय संगीत मे गहरी रुचि लेने मे मदद मिली | अजीत खेमवी का विवाह जैव प्रौघोगिकीविद आशा खेमवी से हुआ है | उनका एक बेटा अनिरुध्दा खेमवी है, जो एलन इंस्टीटयूट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेहबली मे स्कूली शिक्षा और जूनियर कॉलेज की शिक्षा के बाद, वह बॉम्बे विश्वाविदयालय से संबध्दा रुइया कॉलेज से भौतिकी मे बी एस सी और एम एस सी खत्मा करने के लिए मुंबई चले गए | बाद मे उन्होंने टाटा इंस्टीटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च टीआयएफआर मे भौतिकी मे पीएचडी के लिए अपने शोध पर्यवेक्षक के रुप मे प्रसिध्दा भारतीय खगोल भौतिकीविद और ब्रम्हांड विज्ञानी जयंत नार्लीकर के साथ जुड गए |
बाद मे, वह कैम्ब्रिजके खगोल विज्ञान संस्थान मे लॉर्ड मार्टिन रीस के तहत पोस्टा डॉक्टारल फेलो के रुप मे काम करने के लिए इंग्लैंड चले गए | इसके बाद वह अपने अत्मा मेटर टीआईएफआर मे रिसर्च फेलो के रुप में लौट आए| 1988 में जब आययूसीएए का गठन हुआ, तो वह असिस्टैंट प्रोफेसर के रुप मे शामिल हो गए, और बाद मे 1997 मे डीन ऑफ विजिटर प्रोग्राम्सा मे शामिल हो गए, 2009 तक बाराह साल तक एक पद पर रहे | उन्होंने 2009 मे आययूसीएए का निर्देशन किया | निर्देशक सोमक रायचौधरी सफल होने से पहले 2014 तक |
कार्य :
उन्हें आयएयू के खगोल विज्ञान के कार्याकाल ओएडी के उपाध्याक्ष के रुप मे चुना गया था और यह अंतरिक्ष विभाग, भारत के अंतरिक्ष आयोग मे भी कार्य करता है | खेमवी ने भारत मे एक अनुसंधान क्षेत्र के रुप मे खगोल विज्ञान के विकास मे एक अनुसंधान क्षेत्र के रुप मे खगोल विज्ञान के विकास मे बहुत महत्वापूर्ण भूमिका निभाई है | आययूसीएए मे डीन ऑफ विजिटर प्रोग्राम्सा के रुप मे वे खगोलीय अनुसंधान को बढावा देने के लिए आययूसीएए और भारत भर मे आयोजित कई कार्यक्रमों के विकास और जिविका के लिए जिम्मेदार थे |
आययुसीएए के निदेशक के रुप मे उन्होंने दक्षिणी अफ्रीकी बडे टेलीस्कोप SALT और लेजर इंटरफेरोमीटर गुरुत्वाकर्षण वेव ऑब्जर्वेटरी LIGO सहित कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं मे भारत की भागीदारी को मजबूत बनाने मे मूख्या भूमिका निभाई | उन्होंने विश्वाविदयालय अनुदान आयोग भारत के तहत आयएनएफओएनईटी की भी कल्पना की और उस पर अमल किया, जिसने भारत मे सभी विश्वाविदयालयों को सूचना और संचार प्रोघोगिकी मंत्रालय व्दारा वित्त् पोषित परियोजना भी कल्पना की और उस पर अमल किया, जिस ने भारत मे सभी विश्वाविदयालयों को मजबूत बनाने मे मुख्या भूमिका निभाई |
उन्होने विश्वाविदयालय अनुदान आयोग के तहत आयएनएफओएननईटी परीयोजना भी कल्पना की और उसपर अमल किया, जिसने भारत मे सभी विश्वाविदयालयों को सूचना और संचार प्रौघोगिकी का लाभ पहॅुंचाया, जिसमें हजारों पत्रिकाओं इलेक्ट्रॉनिक उपयोग सक्षम किया गया |
पूरस्कार और सम्मान :
1) नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के फेलो
2) भारतीय विज्ञान अकादमी के साथी
3) भारतीय खगोलीय सोसायटी के पूर्व अध्याक्ष
4) अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संघ के उपाध्याक्ष 2016 वर्तमान
5) इंडियन एसोसिएशन ऑफ जनरल रिलेटिविटी एंड ग्रेविटेशन के पूर्व अध्याक्ष
6) सेासायटी 2004 के साथ अकादमिक सहभगिता के लिए युजीसी हरिओम वत्सा पुरस्कार का प्राप्ताकर्ता
7) राजा रमना फेलोशिप 2017
8) कंसोर्टियम फॉर एजुकेशनल कम्यूनिकेशन सीईसी, नई दिल्ली के गवर्निग बोर्ड के पूर्व अध्याक्ष
9) भारतीय अंतरीक्ष आयोग के सदस्या
10) इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ एस्ट्रोफिसिक्सा, बैंगलोर गवर्निग काउंसिल के अध्याक्ष
पूस्ताके :
1) गुरुत्वाकर्षण और ब्रम्हांड विज्ञान मे मुख्या विशेषताएं | खेमवी, जेवी नार्लीकर और सी वी विश्वेश्वर 1988