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नाम : अजय कुमार परिदा
जनम दि : 12 दिसंबर 1963
ठिकाण : भागबनपूर, औडिशा
व्यावसाय : जीवविज्ञानी
प्रारंभिक जीवन :
अजय कुमार परिदा एक भारतीय जीवविज्ञानी है , जो कृषि संयंत्र आण्विक जीव विज्ञान और जैव प्रौघोगिकी के क्षेत्र मे उनके योगदान के लिए जाने जाते है | ओडिशा के जाजपूर जिले के एक गाँव भगाबनपूर मे पैदा हुई और पली बढी परिदा, वह जगुली हाई स्कूल कोटापूर मे हुई | वह 1972:78 मे शिक्षीत एन सी कॉलेज जाजपूर मे हुआ, 1979:83 मे उनका रवीशॉ कॉलेज, कटक मे हुआ | उनकी पीउचडी 1992 मे दिल्ली विश्वाविदयालय से हुई | वह एक निदेशक के रुप कार्यरत है, जिवन विज्ञान संस्थान भुवनेश्वर, 2017 से आज तक |
परिदा का प्रमूख वैज्ञानिक योगदान वैश्विक परिवर्तन और जलवायू परिवर्तन, समुद्र के स्तर मे वृध्दि और कम होने वाली वर्षा के कारण वैश्विक और राष्ट्रीय स्तार पर गिरती कृषि उत्पादकता मे प्रमुख चुनौतियों के समाधान के लिए सीमांत प्रौधोगिकी के अनुप्रयोग के क्षैत्र मे है | उनके शोध का उद्रदेश जलवायू परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए स्थान विशेष की फसल की किस्मों को विकसित करना और स्थिरता और प्रमूख कृषि प्रणालियों की स्स्थिरता मे महत्वापूर्ण निहितार्थ है | परिदा ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान औ प्रौघोगिकी के अनुप्रयोग मे शामिल है | उन्होंने जीव विज्ञान और जैव प्रोघोगिकी मे प्रासंगिक मुद्रदो पर जागरुकता पैदा करने के लिए सकूल स्तार के जीनोम क्लबों के संगठन मे एक सक्रिय भूमिका निभाई है जिसे सरकार व्दारा समर्पित डीएनए क्लबो की राष्ट्रीय काम आपनाया है |
कार्य :
इंस्टीटयूट ऑफ लाइफ साइंसेज आयएलएस भुवनेश्वार ओडिशा, भारत की निदेशक है | आएलएस जैव प्रौघोगिकी विभाग, सरकार का एक स्वायत्ता संस्थान है | भारत की उन्होंने 2009:17 के दौरान एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन चेन्नाई के कार्यकारी निदेशक के रुप मे कार्य किया |
परिदा ने फसल सुधार के लिए उन्नात जैव प्रौघोगिकी उपकरणों का उपयोग किया है | उन्होंने विशेष रुप से नमक और सुखे तनाव के लिए तनाव सहिष्णू जीन की पहचान करने मे अग्रणी योगदान दिया है | परिदा के शोध ने मैंग्रोव मे आनुवांशिक वास्तुकला और प्रजातियों के संबंध और खेती की अनाज, फलियां और अन्या खेती की फसल प्रजातियों के जंगली रिश्तेदारों की बुनियादी समझा मे भी योगदान दिया है | उन्होंने अपने पीएचडी के लिए 20 छात्रों की देखरेख की है |
डिग्री अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं मे 70 से अधिक सहकर्मी व्दारा प्रकाशित प्रकाशनों के साथ परिदा के शोघ योगदान का व्यापक रुप से उल्लेख किया गया है ओर कई प्रकाशन अनुवंशिक संधान लक्षण वर्णन, संरक्षण अनुवंशिकी , तनाव जीव विज्ञान और जैव प्रौघोगिकी से जुडी प्रक्रिया और तंत्र कि बुनियादी समझा को बढाने के लिए महत्वापूर्ण मूल्या है | संबंधित नीतिगत मददे |
पूरस्कार और सम्मान :
• परिदा ने निम्मलिखित पूरस्कार जीते है :
1) भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन व्दारा उमाकांत सिंन्हा मेमोरियल अवार्ड
2) बिरला साइंस फाउंडेश्ंन व्दारा बीएम बिडला विज्ञान पुरस्कार
3) सरकार व्दारा कैरियर विकास के लिए राष्ट्रीय जीव विज्ञान पूरस्कार भारत की
4) नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज व्दारा एप्लीकेशन ओरिएंटेड रिसर्च के लिए एनएएसआय रिलायंस अवार्ड
5) TATA इनोवेशन फेलोशिप ऑफ डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी गवर्नमेंट
6) राष्ट्रीय कृषी विज्ञान अकादमी से मान्यात पूरस्कार
7) उन्हें 2012 भारतीय विज्ञान कांग्रेस के कृषि विज्ञान और वानिकी अनुभाग के अध्याक्ष के रुप मे चूना गया था | डॉ. परिदा 2014 नैशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंडिया के जैविक विज्ञान सत्र के अध्याक्ष थे |